कुंडली में हैं ऐसे योग तो धनवान बनने से कोई नहीं रोक सकता (पाश योग)

जब किसी जातक का जन्म होता है तो उसकी कुण्डली में कई प्रकार के शुभ एवं अशुभ योगों का निर्माण होता है जो जातक के जीवन को प्रभावित करते हैं। जब कुण्डली में दो या दो से अधिक ग्रह एक दूसरे से परस्पर संबंध या दृष्ट हो तो योग बनता है। इन ग्रहों की युति से बनने वाले योगों का कुण्डली में विशेष महत्व है आज उन्ही योगों मे से एक योग पाश योग की सम्पूर्ण जानकारी ज्योतिषाचार्य के. एम. सिन्हा जी द्वारा समझेंगे-

पाश योग

कुंडली में हैं ऐसे योग तो धनवान बनने से कोई नहीं रोक सकता (पाश योग) 1जब किसी जातक की कुण्डली में राहु-केतु को छोड़कर अन्य सभी ग्रह जैसे सूर्य, मंगल, बुध, चन्द्रमा, शुक्र, शनि एवं गुरु बारह भावों में से किसी पाँच भाव में उपस्थित हो तो पाश योग का निर्माण होता है इस योग को राजयोग की संज्ञा दी जाती है जिन जातकों की कुण्डली में इस योग का निर्माण होता है वह राजा के समान पराक्रमी, प्रभावशाली एवं भाग्यवान होता है साथ ही भूमि-सम्पत्ति के लिए भी चिंता की कोई बात नही होती है। समाज में मान, पद-प्रतिष्ठा बढ़ता है।

पाश योग के प्रकारः- पाश योग एक राजयोग है तथा इस योग को दो भागों में भी विभाजित किया जाता है जिसमें पहला पाश योग उच्च कोटि का एवं दूसरा पाश योग मध्यम कोटि का है। इसकी पूर्ण जानकारी हम निम्न कुण्डली द्वारा समझेंगे।

उच्च कोटि का राजयोग

कुंडली में हैं ऐसे योग तो धनवान बनने से कोई नहीं रोक सकता (पाश योग) 2

जब किसी जातक की कुण्डली में राहु-केतु को छोड़कर अन्य सभी सात ग्रह केन्द्र एवं त्रिकोण भाव को मिलाकर पाँच भावों में विराजमान हो तो उच्च कोटि का पाश योग निर्माण होता है। इस योग के प्रभाव से जातक गुणवान, चरित्रवान एवं साहसी होता है। ऐसे जातक देखने में आकर्षक, सुन्दर एवं पुष्ट शरीर वाले होते हैं तथा तर्क-वितर्क की शक्ति भी अच्छी होती है। शिक्षा के क्षेत्र मे अत्यधिक विद्वान एवं कुशाग्र बुद्धिवाले होते हैं। शारीरिक रुप से स्वस्थ होते है तथा स्वभाव से हसमुख एवं निर्भय होते है। किसी के दबाव मे आकर कोई भी काम पूर्ण नही करते है अर्थात जो भी कार्य करते है अपने इच्छानुसार ही करते है। मित्र एवं रिश्तेदारों में भी लोकप्रिय होते है जिसके कारण इनके एक से अधिक मित्र होते है।

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मध्य कोटि का पाश योगकुंडली में हैं ऐसे योग तो धनवान बनने से कोई नहीं रोक सकता (पाश योग) 3

 जब किसी जातक की कुण्डली में राहु-केतु को छोड़कर अन्य सभी सात ग्रह त्रिकोण, केन्द्र एवं त्रिक भाव अर्थात छठें, आठवें व बारहवें भावों को मिलाकर किसी पांच भाव में उपस्थित हो तो मध्य कोटि का पाश योग का निर्माण होता है परन्तु इस स्थिति में अधिकतर ग्रह त्रिक भाव में होने चाहिए।

अपने रिश्तों को पूरी ईमानदारी से निभाते है। इसके अलावा किसी भी मित्र या परिजन के लिए छल-कपट की भावना नही रखते है। इनका रिश्तों के प्रति समर्पण देखकर लोग अधिक आकर्षित होते है। आर्थिक दृष्टिकोण से निभाते हैं। अपने बुद्धि-विवेक द्वारा अच्छा धन प्राप्त करते है। समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति करते है।

इस योग के प्रभाव से जातक की छठी ज्ञानेन्द्री अधिक प्रभावशाली होती है जिसके कारण भविष्य में होने वाली घटनाओं का आभास इन्हें पहले ही हो जाता है। कहा जाए तो ऐसे जातक दिव्य दृष्टि वाले होते है तथा गुढ़ विद्याओं जैसे जादू-टोना, तंत्र-मंत्र, ज्योतिष शास्त्र इत्यादि की जानने की उत्सुकता अधिक रहता है। अपने बुद्धि-विवेक द्वारा परिवार का नाम रोशन करने में सक्षम होते है। समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। इस योग में जन्मे जातक अपने स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देते है। वे अपने खान-पान को लेकर बेहद सजक होते तथा प्रतिदिन व्यायाम भी करते हैं। ये अपने जीवन में समय को बहुत महत्व देते है। इसके अलावा इस योग के प्रभाव से जातक स्वाभिमानी, मेहनती एवं अनुशासित होता है। अपने लक्ष्यों के प्रति बहुत समर्पित होते हैं तथा किसी भी परिस्थिति से घबराते नही हैं और डटकर उनका मुकाबला करते हैं। नेतृत्व करने की क्षमता भी रखते है।

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राहु-केतु पाश योगः- कभी-कभी जातकों की कुण्डली में राहु-केतु के साथ पाश योग का निर्माण हो जाता है ऐसे स्थिति में पाश योग के शुभ परिणामों में कमी आ जाती है।