फुलेरा दूज 2025: महत्व, रीति-रिवाज और शुभ मुहूर्त
फुलेरा दूज, जिसे फुलैरा दूज भी कहा जाता है, 1 मार्च 2025 को मनाई जाएगी। यह त्योहार हिंदू पंचांग में विशेष महत्व रखता है, खासकर उत्तर प्रदेश के ब्रज क्षेत्र में, जिसमें मथुरा और वृंदावन शामिल हैं। भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ा यह दिन होली उत्सवों की शुरुआत को दर्शाता है। आइए इसके महत्व, रीति-रिवाजों और इस सुंदर त्योहार को मनाने के शुभ मुहूर्तों के बारे में विस्तार से जानें।
फुलेरा दूज का महत्व
फुलेरा दूज फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष (चंद्रमा के बढ़ते चरण) के दूसरे दिन मनाई जाती है। यह दिन होली का अग्रदूत है, जो वसंत के आगमन और हर्षोल्लासपूर्ण उत्सवों की शुरुआत का प्रतीक है। यह माना जाता है कि यह दिन भगवान श्रीकृष्ण का प्रिय है क्योंकि यह होली के रंगों के खेल की तैयारी का संकेत देता है।
मथुरा और वृंदावन के भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित मंदिरों में फुलेरा दूज का विशेष महत्व है। इस दिन मंदिरों में भगवान के विग्रह को सुंदर फूलों से सजाया जाता है और विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। भक्तों का मानना है कि फुलेरा दूज पर शुरू किया गया कोई भी कार्य ईश्वरीय कृपा और सफलता से संपन्न होता है।
फुलेरा दूज के प्रमुख रीति-रिवाज
- मंदिर सजावट
भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित मंदिरों को फूलों से सुंदर तरीके से सजाया जाता है। श्रीकृष्ण और राधा के विग्रहों को रंगीन परिधानों से सजाया जाता है, जो वसंत और आनंद का प्रतीक हैं। - फूलों से होली खेलना
होली के विपरीत, जो रंगों से खेली जाती है, फुलेरा दूज पर भक्त फूलों से होली खेलते हैं। फूलों का उपयोग पवित्रता, भक्ति और उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है। - विशेष भजन और कीर्तन
भक्त मंदिरों में एकत्र होते हैं और श्रीकृष्ण और राधा को समर्पित भजन और कीर्तन गाते हैं। ये गीत भक्ति को व्यक्त करते हैं और राधा-कृष्ण के दिव्य प्रेम का उत्सव मनाते हैं। - भगवान श्रीकृष्ण को भोग लगाना
भक्त लड्डू, गुजिया जैसे पारंपरिक मिठाइयाँ तैयार करते हैं और भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित करते हैं। इस प्रसाद को फिर भक्तों के बीच वितरित किया जाता है, जो आनंद और आशीर्वाद को साझा करने का प्रतीक है। - नए कार्यों की शुरुआत
फुलेरा दूज नए उपक्रम, विवाह या किसी आध्यात्मिक साधना की शुरुआत के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। भक्त मानते हैं कि इस दिन शुरू किया गया कोई भी कार्य भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से सफल होता है।
फुलेरा दूज 2025 के शुभ मुहूर्त
फुलेरा दूज: शनिवार, 1 मार्च 2025 है।
- द्वितीया तिथि प्रारंभ: 1 मार्च 2025, प्रातः 3:16 बजे
- द्वितीया तिथि समाप्त: 2 मार्च 2025, रात्रि 12:09 बजे
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फुलेरा दूज की ज्योतिषीय महत्वता
ज्योतिषीय दृष्टि से फुलेरा दूज फाल्गुन महीने में आती है, जो चंद्रमा और बृहस्पति के प्रभाव से युक्त होता है। यह संयोजन रचनात्मकता, प्रेम और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देता है। यह अपने प्रियजनों के साथ संबंधों को मजबूत करने और व्यक्तिगत और आध्यात्मिक विकास पर ध्यान केंद्रित करने का आदर्श समय है।
जिन जातकों की कुंडली में शुक्र कमजोर होता है, उन्हें इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को फूल और मिठाइयाँ अर्पित करने की सलाह दी जाती है। यह प्रेम, रचनात्मकता और समृद्धि से जुड़े शुक्र ग्रह के प्रभाव को मजबूत करता है।
घर पर फुलेरा दूज कैसे मनाएं
- सुबह की पूजा
- दिन की शुरुआत स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनने से करें।
- भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र के साथ एक छोटा-सा पूजा स्थान बनाएं।
- फूल, मिठाई और फल अर्पित करें।
- श्रीकृष्ण मंत्र का जाप करें
जैसे:
“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”
यह शांति और भक्ति को बढ़ाता है। - घर को सजाएं
ताजे फूलों से घर और पूजा स्थान को सजाएं। यह एक उत्सवपूर्ण और आध्यात्मिक वातावरण बनाता है। - पारंपरिक पकवान बनाएं
गुजिया, लड्डू और हलवा जैसे मिठाइयाँ तैयार करें। इन्हें परिवार, मित्रों और पड़ोसियों के साथ साझा करें। - श्रीकृष्ण लीला की कहानियाँ पढ़ें
शाम के समय श्रीकृष्ण के बाल और दिव्य कृत्यों की कहानियाँ पढ़ें या सुनाएँ।
निष्कर्ष
फुलेरा दूज केवल एक त्योहार नहीं है; यह दिव्य प्रेम, आनंद और जीवन की जीवंतता का उत्सव है। यह होली के आगामी पर्व के लिए आधार तैयार करता है और भक्तों को भक्ति और सामुदायिक संबंधों की शक्ति की याद दिलाता है। इस दिन के रीति-रिवाजों में भाग लेकर और शुभ मुहूर्त का पालन करके, भगवान श्रीकृष्ण और राधा की कृपा प्राप्त की जा सकती है, जो जीवन में समृद्धि और खुशी सुनिश्चित करती है।
यह फुलेरा दूज आपके जीवन में खुशी, शांति और सफलता लेकर आए!