भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण, लड्डू गोपाल के रूप में प्रसिद्ध हैं और उनका जन्मोत्सव हर साल उत्साहपूर्वक मनाया जाता है। श्रीकृष्ण के जन्म के समय की परिस्थितियाँ और समय विशेष रूप से गूढ़ और अर्थपूर्ण हैं। आधी रात में उनका जन्म क्यों हुआ, इसके पीछे कई आध्यात्मिक और ज्योतिषीय कारण छिपे हैं।
चंद्रवंशी होना और रात्रि का महत्व
श्रीकृष्ण का जन्म अर्धरात्रि में होने का एक प्रमुख कारण उनका चंद्रवंशी होना है। भगवान श्रीराम जो सूर्यवंशी थे, ने दिन के समय जन्म लिया था, जबकि भगवान कृष्ण का जन्म रात में हुआ क्योंकि वे चंद्रवंश से संबंधित थे। चंद्रमा देव उनके पूर्वज थे और चंद्रमा के पुत्र बुध हैं, इसीलिए भगवान कृष्ण का जन्म बुधवार को हुआ था साथ ही, रोहिणी चंद्रमा की पत्नी और नक्षत्र हैं, जिससे भगवान कृष्ण का रोहिणी नक्षत्र में जन्म होना स्वाभाविक था।
अष्टमी तिथि और आध्यात्मिक शक्ति
अष्टमी तिथि को शक्ति का प्रतीक माना जाता है। भगवान विष्णु जो पूरे ब्रह्मांड का संचालन करते हैं, ने इसी तिथि को श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया। अष्टमी की रात, जब चंद्रमा अपनी आंशिक पूर्णता में होता है, वह भगवान कृष्ण के आध्यात्मिक और मानसिक संतुलन को दर्शाता है, जो इस समय के चुनने का एक महत्वपूर्ण कारण है।
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सुरक्षा के लिए अर्धरात्रि का चयन
भगवान कृष्ण का जन्म कंस के कारागार में हुआ था, जो कि उनके माता-पिता वसुदेव और देवकी के लिए एक भयानक समय था। आधी रात का समय इसीलिए चुना गया ताकि कंस के सैनिक नींद में रहें और भगवान कृष्ण को सुरक्षित रूप से गोकुल पहुँचाया जा सके। जब श्रीकृष्ण का जन्म हुआ, तभी कारागार के सभी द्वार अपने आप खुल गए और पहरेदार गहरी नींद में सो गए। इस प्रकार, वसुदेव जी ने बिना किसी बाधा के नवजात श्रीकृष्ण को गोकुल पहुँचाया और पुनः कारागार में लौट आए।
आधी रात का गूढ़ अर्थ
आधी रात का समय, जब चारों ओर अंधेरा होता है, एक नया आरंभ और जीवन के नए चरण का प्रतीक है। श्रीकृष्ण का जन्म अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का संदेश देता है। उनका जन्म अंधकार में हुआ, लेकिन उन्होंने अपने जीवन के माध्यम से ज्ञान, प्रेम और धर्म के प्रकाश को फैलाया। इसी तरह, श्रीकृष्ण का जीवन हमें सिखाता है कि कठिनाइयों और अंधकार के बीच भी हमें अपने मार्ग पर अडिग रहना चाहिए और प्रकाश की ओर अग्रसर होना चाहिए।
भगवान श्रीकृष्ण का अर्धरात्रि में जन्म हमें जीवन की जटिलताओं के बीच एक नई शुरुआत और साहस का संदेश देता है। उनके जीवन से प्रेरित होकर, हम भी अपने जीवन में आने वाली बाधाओं को पार कर सकते हैं और धर्म के मार्ग पर चल सकते हैं।