मंगल ग्रह मेष और वृश्चिक राशिओं का स्वामी गृह होता है। मंगल एक उग्र स्वाभाव का गृह है। यदि किसी की कुंडली में मंगल मारक स्थिति अर्थात शत्रु ग्रह बनकर बैठा हो तब व्यक्ति को छोटी-छोटी बात पर बहुत गुस्सा आता है और मंगल की महादशा और अंतरदशा में यह प्रभाव और अधिक बढ़ जाता है। कुंडली में मंगल की स्थिति खराब होने से व्यक्ति को ज़मीन-जायदात से सबंधित और शत्रु से भय बना रहता है। इसकी ख़राब स्थिति व्यक्ति को करज़ाई भी बना देती है। मंगल ग्रह बड़े भाई का कारक होता है और यदि मंगल की स्थिति ख़राब हो तो बड़े भाई से सबंध विच्छेद होने का खतरा होता है या बड़े भाई के स्वस्थ्य में परेशानी आ सकती है।
मंगल बीज मंत्र के लाभ
🔅जब आप मंगल मंत्रों का पाठ करते हैं, तो कुंडली में मंगल दोष को दूर या कम किया जा सकता है।
🔅मंगल मंत्र का जाप करने वाले को सुख की प्राप्ति होती है और मंत्र के जाप से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।
🔅मंगल मंत्र का जप करने से जातक को गरीबी, कर्ज और त्वचा रोगों से मुक्ति मिलती है।
🔅मंगल मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को साहस, ऊर्जा और प्रतिष्ठा का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
🔅मंगल मंत्र क्रोध, झूठ, ईर्ष्या को दूर करता है और व्यक्ति को साहसी बनाता है।
यह आपको अपने जीवन के उद्देश्य की तलाश में मदद करता है और आपको उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए शक्ति भी प्रदान करता है।
जीवन में लक्ष्य हासिल करने के लिए जुनून होना बहुत जरूरी है। यहीं पर मंगल, शक्ति के ग्रह के रूप में आपके जीवन में आता है।
वैदिक ज्योतिष में मंगल मंत्र अग्नि, ऊर्जा, धातु, हथियार, निर्माण, सैनिक, पुलिस, चिकित्सा, इंजीनियर और खेल से संबंधित व्यवसायों में सफलता प्राप्त करने में मदद करता है। यदि आप उल्लिखित क्षेत्रों में से एक में हैं तो यह आपके लिए आदर्श है।
मंगल का बीज मंत्र 108
ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः।
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