मोक्षदा एकादशी 2023

मोक्षदा एकादशी को मोह का त्याग करने की शक्ति देने वाला व्रत माना जाता है। जिस तरह बाकी एकादशियों का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। उसी प्रकार मोक्षदा एकादशी भी भगवान विष्णु को समर्पित है। जब भगवान कृष्ण द्वापर युग में महाभारत के समय अर्जुन को गीता का ज्ञान दे रहे थे तब मोक्षदा एकादशी का ही समय चल रहा था। इसलिए इसे गीता जयंती के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्तियों के सभी पाप नष्ट हो जाते है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ उनके आठवें अवतार श्री कृष्ण जी की अलग से पूजा की जाती है। इसके साथ-साथ गीता के ग्यारह अध्यायों का पाठ किया जाता है।

मोक्षदा एकादशी कथा

वैशातक नाम का एक राजा गोकुल नाम के नगर पर राज करता था। यह राजा अपनी प्रजा का पुत्र की भांति ध्यान रखता था राजा के राज्य में रहने वाले ब्राह्मणों को चारो वेदों का ज्ञान था। राजा को रात्रि में ऐसा स्वप्न आया जिससे उसका मन भयभीत हो उठा। उसने अपने उस स्वप्न में अपने पूर्वजों को नरक में दुख भोगते हुए पाया कष्टों का सहन करते समय राजा के पूर्वज उसे नरक से मुक्त कराने की विनती कर रहे थे। ऐसा दृश्य देखकर राजा बहुत दुखी हुए। राजा ने एक प्रसिद्ध विद्वान के पास जाकर अपना स्वप्न विस्तार से बताया और इसके उपाय के बारे में पूछा। राजा ने कहा वह अपने पितरों की शांति के लिए कोई भी तप, दान, पूजा और व्रत आदि कर सकते है। कृपा करके इसका जो भी उपाय हो उसे मुझे बताएं तब ब्राह्मणों ने राजा को पर्वत ऋषि के आश्रम में जाने का सुझाव देते हुए कहा की वह भूत और भविष्य के ज्ञाता है। वह अवश्य ही आपके समस्या का समाधान करेंगे। ऐसा सुनकर राजा शीघ्र ही उस आश्रम के लिए निकल गया तब उस मुनि ने राजा को बताया की तुम्हारे भूतकाल में किये गये पाप के कारण तुम्हारे पूर्वज नरक में दुख भोग रहे है। यदि तुम अपने परिवार सहित मार्गशीर्ष में आने वाले एकादशी के व्रत को करोगे तो उससे प्राप्त पुण्य से तुम्हारे पितर नरक से मुक्त हो जायेंगे। राजा ने ऋषि को दण्डवत प्रणाम किया और उनके द्वारा बताए गये मोक्षदा एकादशी के व्रत को किया वायपेय यज्ञ के समान फल देने वाले इस व्रत को करने से राजा के पूर्वजों को स्वर्ग प्राप्त हुआ।

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मोक्षदा एकादशी महत्व

मोक्षदा एकादशी मार्गशीर्ष महीने में शुक्ल पक्ष में मनाई जाती है। मोक्षदा एकादशी की तुलना, चिंता मणि से की जाती है। जो सभी  मनोकामनाएं पूरी करती है। इसलिए इस दिन व्रत जप-तप पूजा पाठ करने से प्राणी श्री विष्णु का सानिध्य प्राप्त कर एवं सभी सांसारिक सुख भोगकर जीवन मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है। मोक्षदा एकादशी को करने से नीच योनि मे गये पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-पाठ और कीर्तन करने से पाप नष्ट हो जाते है।

मोक्षदा एकादशी पूजा विधि

☸ मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान श्री कृष्ण महर्षि वेद व्यास और श्री मद् भगवत गीता का पूजन किया जाता है।
☸ व्रत से एक दिन पूर्व दशमी तिथि को दोपहर में एक बार भोजन करना चाहिए ध्यान रहें रात्रि में भोजन नही करें।
☸ एकादशी के दिन प्रातः काल उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
☸ भगवान श्री कृष्ण की पूजा करें उन्हें धूप, दीप और नैवेद्य आदि अर्पित करें तथा रात्रि में भी पूजा और जागरण करें।
☸ एकादशी के अगले दिन द्वादशी को पूजन के बाद जरुरतमंद व्यक्ति को भोजन व दान दक्षिणा देनी चाहिए। इसके बाद भोजन ग्रहण करके व्रत खोलना चाहिए।

मोक्षदा एकादशी का महत्व और गीता जयंती

भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का संदेश दिया था इसलिए इस उपलक्ष्य में मोक्षदा एकादशी के दिन गीता जयंती मनाई जाती है। श्रीमद् भगवत गीता एक महान ग्रंथ है। यह ग्रंथ सिर्फ लाल कपड़े में बांधकर रखा नही जाता है बल्कि इसे पढ़कर उसके संदेशो का पालन करना चाहिए। भगवत गीता हमारी अंतरात्मा को शुद्ध करती है।

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मोक्षदा एकादशी शुभ मुहूर्त

मोक्षदा एकादशी तिथि प्रारम्भः- 22 दिसम्बर 2023 08ः15 से
मोक्षदा एकादशी तिथि समापनः- 23 दिसम्बर 2023 07ः10 तक