जातक की कुण्डली में लव और अरेंज मैरिज योग
कुण्डली के विश्लेषण द्वारा हम जीवन से जुड़ी कई बातों की जानकारी प्राप्त करते है तथा अपने जीवन की शुभ एवं अशुभ पहलुओं को भी जान सकते हैं, इस प्रकार यदि कुण्डली में प्रेम से संबंधित कोई परेशानी है तो कुण्डली के माध्यम से पता लगाया जा सकता है। कुण्डली में उपस्थित ग्रहों की दशा, भावों की शुभ अशुभ स्थिति, ग्रहों की युति का प्रभाव आपके प्रेम जीवन पर भी पड़ता है जो इस प्रकार है
अरेंज मैरिज योग
☸ किसी महिला की कुण्डली का विश्लेषण करते समय मंगल को महत्वपूर्ण स्थान पर रखा गया है। यदि दूसरे, सातवें, और ग्यारहवें भाव का स्वामी का संबंध मंगल से हो तो जातक की कुण्डली में अरेन्ज मैरिज का योग बनता है।
☸ जब दूसरे, सातवें एवं ग्यारहवें भाव के स्वामी चतुर्थ भाव या उसके स्वामी या नवें भाव या उसके स्वामी से जुड़े हो तो अरेंज मैरिज का योग बनता है।
☸ यदि शुक्र चतुर्थ भाव या उसके स्वामी अर्थात चतुर्थेश अथवा नवम भाव या नवमेश से संबंध रखता हो तो अरेंज मैरिज का योग बनता है।
प्रेम विवाह का योग
☸ यदि शुक्र पहले, पंचम, सप्तम, अष्टम, दशम या द्वादश भाव में विराजमान हो तो कुण्डली में प्रेम विवाह का योग बनता है।
☸ सातवें भाव पर शुक्र, मंगल या चन्द्रमा जैसे ग्रहों का प्रभाव अथवा स्थिति प्रेम विवाह का योग बनाती है।
☸ अगर सातवें भाव स्वामी अर्थात सप्तमेश प्रथम, पंचम अथवा द्वादश भाव में हो तो प्रेम विवाह का योग बनता है।
ग्रहों की दशा
कुण्डली में ग्रहों की स्थिति के साथ-साथ ग्रहों की दशा एवं अंतर्दशा भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। किसी जातक के प्रेम संबंधों में दशा और अंतर्दशा के कारण परेशानी हो सकती है। जैसे मंगल दोष के कारण मंगल की महादशा में प्रेम एवं वैवाहिक जीवन अत्यधिक प्रभावित हो सकता है।
भावों का प्रभाव
कुण्डली में भावों की अशुभता आपके प्रेम प्रेम संबंधों को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है। यदि पंचम भाव में कोई दोष हो तो प्रेम जीवन में सफलता मिलती है।
कुण्डली मिलान
वैवाहिक जीवन को सफल बनाने के लिए कुण्डली मिलान बहुत आवश्यक होता है। कुण्डली मिलान द्वारा युवक-युवती के गुणों की गणना की जाती है। यदि वर-वधू की कुण्डली मिलान करते समय अनुकूलता नहीं बन रही हो तो प्रेम जीवन में अत्यधिक परेशानी हो सकती है।
राशि अनुसार कैसा होगा आपका प्रेम जीवन
अब तक आपने राशि अनुसार अपने जीवन की कई घटनाओं को जानना है तो आज हम यहाँ जानेंगे कि राशि अनुसार आपका प्रेम जीवन कैसा होगा।
मेष राशि
मेष राशि के जातक स्वतंत्र रहना पसन्द करते हैं तथा इस राशि का स्वामी मंगल होता है अतः आपका प्रेम जीवन उत्साह भरा हो सकता है, आपको हर कदम पर जीवनसाथी का सहयोग मिलेगा।
वृषभ राशि
वृषभ राशि के जातकों का स्वामी शुक्र होता है तथा शुक्र विवाह का कारक व सौन्दर्यता का प्रतीक है। आपका प्रेम जीवन स्थायी रहेगा क्योंकि आपकी संवेदनशीलता और स्नेहपूर्ण स्वभाव के कारण आपका साथ आपकी ओर आकर्षित महसूस करेगा और सदैव आपके पास रहने की इच्छा जाहिर करेगा।
मिथुन राशि
मिथुन राशि के जातकों की लव-लाइफ उत्साह एवं मनोरंजन पूर्ण रहेगा। आप अपने बुद्धि विवेक से सभी परिस्थितियों का सामना कर लेंगे। अपने आकर्षक वाणी से अपने पार्टनर का मन जीत सकते हैं और अपने साथी के साथ खुलकर बात करेंगे फलस्वरूप आपका रिश्ता मजबूत होगा।