लहसुनिया रत्न | Lehsuniya Gemstone |

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार रत्न धारण करना आजकल के समय में बहुत आम बात हो गया है कुछ लोग इस रत्न को किसी ज्योतिष के अनुसार पहनते है तो कुछ लोग इसे मात्र केवल फैशन के तौर पर धारण करते है। आपको बता दें केतु को वैदिक ज्योतिष शास्त्रों में छाया ग्रह के रुप में बताया गया है जो कि अधिकतर ये लोगों को अशुभ प्रभाव ही देता है। शास्त्रों के अनुसार इन रत्नों का ब्राह्मण्ड़ में स्थित सभी ग्रहों से सम्बन्ध होने के कारण इनका हमारे जीवन में हमेशा ही सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यूँ कहें तो प्रत्येक ग्रह से किसी न किसी एक रत्न का सम्बन्ध होता है। शायद इसलिए कहा यह जाता है कि रत्न धारण करने मात्र से ही विशेष रुप से ग्रह के दुष्प्रभाव दूर हो जाते है और यदि हम वास्तु शास्त्र के अनुसार बात करें तो रत्न पहननें मात्र से न सिर्फ एक अलग तरह की सकारात्मकता आती है बल्कि घर-परिवार में हमेशा सुख-समृद्धि का वास होता है। साथ ही सभी विशेष ग्रह के सभी दोष दूर हो जाते है। अब बात करते है लहसुनिया रत्न की तो लहसुनिया केतु का रत्न होता है। यह रत्न दिखने में बहुत ही ज्यादा चमकीला होता है। जिस प्रकार से इसकी आकृति होती है उसी की बनावट के कारण इसे अंग्रेजी में कैट्स आई कहते है। शास्त्रों के अनुसार जब आपकी कुण्डली में मौजूद केतु आपके लिए कोई अशुभ प्रभाव दे या फिर आपकी किसी परेशानी का कारण बने तो ऐसे में लहसुनिया रत्न धारण करना अत्यन्त ही शुभ माना जाता है। परन्तु ध्यान रहे किसी भी प्रकार के रत्न को बिना किसी योग्य ज्योतिषी की सलाह के बिना धारण नही करना चाहिए। क्योंकि इस रत्न को धारण करने से जितना ज्यादा फायदा होता है साथ ही इसे धारण करने से आपको जिस प्रकार हर तरह की समस्याओं से छुटकारा मिलने के साथ-साथ मानसिक रुप से शांति भी मिलती है। ठीक उसी प्रकार से बिना किसी सलाह के गलत तरीके से रत्न धारण कर लिया जाये तो उसके गलत या अशुभ प्रभाव से आपको बहुत भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है रत्न तो बहुत से प्रकार के होते है परन्तु हम आपको लहसुनिया रत्न क्यों धारण किया जाता है और इसके लाभ और महत्व क्या होते है इन सभी चीजों के बारे में हमारे ज्योतिष विज्ञान की मैगजीन में हमारे योग्य ज्योतिषाचार्य के.एम. सिन्हा जी के द्वारा जानेंगे। केतु रत्न सफेद, काला, पीला और हरा चार रंगों में पाया जाता है। जिनमें से प्रत्येक में कई धारियां पाई जाती है। यदि आप केेतु के अशुभ ग्रह से शुभ प्रभाव पाना चाहते है तो इस रत्न की मदद से केतु के दोषपूर्ण प्रभाव को खत्म किया जा सकता है। केतु किसी एक ही राशि का स्वामी नही होता है। यह जिस भी राशि में बैठता है उसको उसी के समान फल देने लगता है। इसके अलावा यदि किसी जातक की कुण्डली में केतु ग्रह कमजोर हो या फिर पीड़ित हो तो उस व्यक्ति के जीवन में किसी न किसी प्रकार की समस्या अवश्य रुप से आती रहती है।

जातक के स्वास्थ्य पर लहसुनिया रत्न के लाभः-

☸ जिस प्रकार से लहसुनिया रत्न आपके पर्सनल और प्रोफेशनल लाईफ में हर प्रकार से अच्छे प्रभाव देता है ठीक वैसे ही आपके स्वास्थ्य पर भी इसका बहुत अच्छा प्रभाव होता है तो आइए हम यहाँ देखते है स्वास्थ्य के लिए यह रत्न कैसे लाभप्रद है।

☸ लहसुनिया रत्न का स्वास्थ्य के लिए बात करें तो यह रत्न जातक को होने वाले लकवा की बिमारी, डिप्रेशन साथ में कैंसर जैसी खतरनाक एवं जानलेवा बीमारियों में यह रत्न बहुत ही फायदेमंद होता है।

☸ इसके अलावा लहसुनिया रत्न जो कि केतु ग्रह को शान्त करने वाला रत्न होता है। यह रत्न किसी जातक के मन को एकदम शांति प्रदान करता है। इस रत्न को धारण मात्र कर लेने से ही जातक की स्मरण शक्ति सोचने, समझने की शक्ति बहुत तेज हो जाती है साथ ही व्यक्ति होने वाले किसी भी प्रकार के तनाव से मुक्ति भी दिलाने का कार्य करती है।

☸ लहसुनिया रत्न जातक के शरीर में होने वाले किसी भी प्रकार के कष्टों को कोसों दूर करता है साथ ही यह रत्न खून से सम्बन्धित विकार जैसे एनीमिया, हड्डियों के कैंसर, त्वचा रोग, अस्थमा और भी बहुत से सर्जरी वाले किसी भी इलाज से मदद करता है।

केतु का व्यक्ति के जीवन पर पड़ने वाला प्रभावः-

☸ वैदिक ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार यदि हम बात करें केतु की तो केतु किसी जातक के कर्म के संतुलन, आध्यात्मिकता तथा धार्मिकता का स्वामी होता है। स्वामी होने के कारण इसके प्रभाव से जातक की कल्पना शक्ति अत्यधिक बढ़ती रहती है साथ ही जातक के अनेक व्यापारों में केतु के प्रभाव से उसका भाग्य साथ देता है। लहसुनिया के स्वामी केतु के प्रभाव से जातक अपने जीवन में किसी भी स्त्रोत से पैसा कमाता है साथ ही बहुत अच्छा जीवन भी जीता है।

☸ जैसा की आपको पता है केतु एक छाया ग्रह होता है। जो किसी भी जातक को अत्यधिक दुःख और पीड़ा देने वाला होता है। केतु के पड़ने वाले बुरे प्रभावों से भी जातक प्रभावित होते है। उनको मानसिक और भावनात्मक रुप से बहुत सी परेशानियाँ झेलनी पड़ती है। इसके साथ ही केतु का बुरा प्रभाव जातक को कई प्रकार के शारीरिक कष्ट भी देता है।जिसके कारण उन्हें बहुत सी तकलीफों का सामना करना पड़ता है।

☸ केतु का किसी जातक की कुण्डली में बुरा प्रभाव पड़ रहा हो तो ऐसा जातक बहुत जल्द डिप्रेशन का शिकार हो जाता है और व्यक्ति हर समय चिंतित रहता है। जिसके कारण व्यक्ति को बुरे-बुरे सपने भी आते रहते है। इसके अलावा जब केतु किसी जातक की कुण्डली में चन्द्रमा के साथ युति कर रहा हो या फिर ठीक इसकी विपरीत स्थिति हो रही हो तो ऐसे में जातक पागल या दिवालिया भी कुछ परिस्थिति में हो जाता है। अतः इन ग्रहों के अशुभ प्रभावों को कम करने या नष्ट करने के लिए ही लहसुनिया रत्न पहना जाता है।

☸ यदि आप इन सब में से किसी भी प्रकार की बिमारी से पीड़ित है और अपनी कुण्डली में केतु को प्रसन्न करना चाहते है तो यह लहसुनिया रत्न अवश्य रुप से आपके काम आ सकता है। यह रत्न केतु के अशुभ प्रभावों को दूर करके जातक को हमेशा इसके सकारात्मक फल देता है साथ ही इन सभी क्षेत्रों में सफलता और सुख प्रदान कराता है।

 

 

लहसुनिया रत्न असली है या नकली इस बात की पहचान कैसे करें:-

☸ बात करें अगर रत्नों की तो आजकल के वर्तमान समय में बहुत से प्रकार के असली और नकली रत्न बाजार में बिक रहे है। इसी कारण से रत्नों की पहचान करके रत्न खरीदना आज कल के समय में बहुत मुश्किल हो गया है। जिसके कारण दुकानदार भी अधिक सावधानी असली और नकली को लेेकर बरतने लगे है। अगर हम लहसुनिया की बात करे तो इसे आमतौर पर बहुत चमकदार माना जाता है परन्तु यह लैब द्वारा प्रमाणित होना चाहिए। इन सब बातों का ध्यान रखने और एक अच्छीे गुणवत्ता वाला रत्न खरीदने के लिए हमें क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए। यह हम ज्योतिषाचार्य के.एम. सिन्हा द्वारा इस ज्योतिष विज्ञान की मैगजीन में देखेंगे और इन सब बातों को जान कर यह भली-भाँति आसानी से समझ पायेंगे की हमें किस तरह से एक अच्छे गुणवत्ता वाले रत्नों की पहचान करनी चाहिए।

☸ लहसुनिया रत्न की पहचान करने के लिए उस रत्न को एक अंधेरे कमरे में रखकर उसकी चमक देखनी चाहिए यदि यह रत्न बिल्ली की आँखो की तरह चमक रहा है तो यह एकदम असली रत्न होता है। बिल्ली की जैसे रत्न चमक रहा होता है तो यह रत्न असली होता है। अगर चमक वैसी नही होती है तो रत्न नकली होता है।

☸ इसके अलावा लहसुनिया रत्न को पहचानने का एक तरीका और है यह सबसे आसान तरीका होता है कि एक लहसुनिया रंग का कपड़ा लें फिर उस रत्न को उसे कपड़े पर थोड़ी देर रगड़े यदि रत्न को रगड़ने से उसकी चमक और ज्यादा बढ़ जाती है तो यह रत्न वास्तव में एकदम असली रत्न होता है।

☸ लहसुनिया रत्न के रंगों की बात करें तो यह रत्न हरे रंग, हल्का हरा रंग तथा भूरे और पीले रंग का होता है। अगर इन रत्नों को रंगों के माध्यम से पहचानना है तो सबसे पहले इन रत्नों को हाथ पर रख लें उसके बाद आप उसे तिरछा करके देखेंगे तो उसमें एक पतली रेखा दिखाई देती है। यह रेखा रत्न के अन्दर एकदम बारीक प्रकाश की किरण की तरह दिखाई देती है। अगर प्रकाश दिखाई देता है तो यह पूर्ण रुप से असली होती है।

☸ इसके अलावा लहसुनिया रत्न की पहचान इस प्रकार से भी कर सकते है। इस रत्न के अन्दर पाये जाने वाले एक कट के माध्यम से भी पहचान कर सकते है। इस रत्न के अन्दर इस प्रकार से कट होना चाहिए कि उसको चयन किये जाने के बाद उसका प्रभाव जैसे का तैसा रहें। इस लहसुनिया रत्न को कैबोकाॅन के रुप में काटा जाए तो उस रत्न के ऊपर पड़ने वाली प्रकाश की किरण एकदम सीधी लम्बी रेखा में दिखाई देती है क्योंकि यह कैबोकाॅन के ऊपरी सतह पर दिखाई देती है। इन्ही कारण से इस रत्न का बिल्ली की जैसाी आँखों वाला रत्न यानि ब्ंजेमलं कहतें है।

☸ इसके अलावा लहसुनिया रत्न की पहचान कैरेट के माध्यम से भी कहते है, कैरेट के हिसाब से भी आपको इस रत्न की अच्छी खासी पहचान होनी चाहिए। लहसुनिया रत्न बाजार में 0.10 कैरेट से लेकर लगभग 3.00 कैरेट तक का मिलता है परन्तु ज्यादा से ज्यादा यह रत्न 150 कैरेट तक का आता है परन्तु 150 तक कैरेट का लहसुनिया मार्केट में बहुत मुश्किल से प्राप्त होता है। लहसुनिया रत्न कितने रत्ती का धारण करना चाहिए। यह कभी-कभी धारण करने वाले के वजन पर निर्भर करता है लहसुनिया आपको कितने रत्ती का धारण करने वाले के वनज पर निर्भर करता है लहसुनिया आपको कितने रत्ती का धारण करना चाहिए यह जानने का सबसे आसान तरीका आप अपने वनज को देखकर लगा सकते है। यदि आपका वनज 60 किग्रा है तो आपको 6 कैरेट का लहसुनिया भी धारण करना चाहिए और सामान्य व्यक्ति की बात करें तो यह व्यक्ति 2.25 रत्ती से लेकर 10 रत्ती तक का लहसुनिया पहना जा सकता है।

☸ लहसुनिया रत्न की बात करें तो इस संसार में पाये जाने वाला लहसुनिया रत्न की चमक दूधियां रंग का होता है या तो फिर बिल्कुल भी साफ नही पाया जाता है क्योंकि इस तरह के बिल्कुल साफ रत्न बहुत कठिनाई से प्राप्त होते है।

लहसुनिया रत्न के उपरत्नों को जानेः-

लहसुनिया रत्न के बारे में बात करें तो यदि कोई जातक किसी कारणवश केतू का रत्न यानि लहसुनिया नही पहन सकते है तो इसके उपरत्नों को भी मान्यता दी जाती है वैसे देखा जाए तो लहसुनिया रत्न 200 या 300 रु कैरेट मिलता है परन्तु कभी-कभी कुछ परिस्थिति में कोई-कोई जातक यह लहसुनिया रत्न नही खरीद पाते है क्योंकि यह रत्न कहीं न कहीं उसके लिए महंगा भी साबित हो सकता है परन्तु इस परेशानी से छुटकारा पाने के लिए जातक लहसुनिया रत्न का उपरत्न खरीद कर भी उसे आसानी से धारण कर सकते है इस रत्नों के प्रभाव भी जातक को उतने ही प्राप्त होते है आपको बता दे लहसुनिया रत्न यानि (Cat’s eye) के दो उपरत्न होते है जिनका नाम है। कैट्स आई कार्ट्ज, एलेग्जण्ड्राइट यह दोनों ही कैट्स आई यानि लहसुनिया के उपरत्न होते है इन दोनों में से कोई भी रत्न जातक धारण कर सकते है इस संसार में जितने भी रत्न है। उन सभी प्रकार के रत्नों के उत्पत्नो की कीमत बहुत कम ही होते है और इनके प्रभाव एक सामान्य होते है तो जातक इस आसानी से खरीद कर योग्य ज्योतिषाचार्य की सलाह से इसे अपनी बताई गई अंगुली मे धारण कर सकते है। लहसुनिया रत्न की कीमत भारत में 1300 रु प्रति रत्ती से लेकर 22.000 रु प्रति रत्ती तक होता है परन्तु भारत में क्वाटर््ज कैट्स आई कि कीमत 225 रु प्रति कैरेट से लेकर 600 रु प्रति कैरेट तक होता है आपको यह स्पष्ट रुप से बता दें की रत्न जितनी अच्छी क्वालिटी का होगा उसकी कीमत उतनी ही ज्यादा होगी।

लहसुनिया रत्न धारण करने की विधिः-

वैदिक ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार बात करें अगर लहसुनिया रत्न की तो इस केतू का रत्न कहा गया है कहा जाता है कि जब कभी जातक की कुण्डली में केतू का बुरा प्रभाव होता है तो जातक को बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यह रत्न विशेष रुप से केतू ग्रह के बुरे प्रभावों और कष्टों को कम करने के लिए जाना जाता है। लहसुनिया रत्न पहनने से जातक को केतू के दुष्प्रभावों से बच सकता है साथ ही जातक आत्मा और परमात्मा से सम्बन्ध रखता है साथ ही मानसिक तनाव जातक का बहुत ही कम करता है। देखा जाए तो आपको यह बात पता होगी की इस पूरे ब्राह्मण्ड में जितने भी रत्न पाये जाते है उन सभी रत्नों का सम्बन्ध किसी न किसी ग्रह से होता ही है साथ ही इन रत्नों को धारण करने की भी अलग-अलग विधि और तरीका होता है और यह जातक के लिए सबसे ज्यादा जरुरी होता है किसी भी रत्नों को विधिपूर्वक धारण करने पर ही आपको उसके अच्छे फल प्राप्त होंगे अन्यथा उसके अशुभ प्रभावों को आपको झेलना पड़ सकता है। इस लहसुनिया रत्न को धारण करने की कुछ विधियाँ नीचे बताई गई है। जिसको ध्यानपूर्वक पढ़कर आप भली-भाँति इस तरह से धारण कर सकते है।

☸ यह रत्न केतू से सम्बन्धित रत्न है जैसा की आप सभी जानते है की किसी भी जातक की कुण्डली में राहू और केतू दोनो ऐसे ग्रह है। जो किसी जातक की कुण्डली में हमेशा अशुभ फल ही देते है इसके साथ-साथ जातक के जीवन में संघर्ष बहुत ज्यादा करातें इसलिए आप जब कभी-भी इस रत्न को धारण करें तो इस रत्न को धारण करने से पहले किसी योग्य ज्योतिषाचार्य से इसके लिए सलाह अवश्य ले लें।

☸ लहसुनिया रत्न धारण करने से पहले उस रत्न का वजन अवश्य देख लेना चाहिए उस रत्न का वजन कम से कम 7 रत्ती का होना चाहिए जिसका वनज लगभग 1400 एम जी का होना चाहिए।

☸ इसके अलावा आप अपने जिस भी हाथ को शुभ मानते है या शुभ मानकर कार्य करते है उसी हाथ की अंगुली रिंग फिंगर या अपनी मध्यमा अंगुली में अंगूठी के रुप में भी लहसुनिया रत्न धारण कर सकते है।

☸ जब कभी भी केतू के इस रत्न को धारण करे तो हमेशा इस बात का आपको ध्यान रखना चाहिए की आपकी बाॅडी से यह रत्न हमेशा टच होता रहें अन्यथा इसका प्रभाव आपके ऊपर बिल्कुल भी नही होगा।

☸ लहसुनिया रत्न या इस प्रकार के किसी भी रत्न को धारण करने से पहले उसे अच्छे तरीके से शुद्ध कर लेना बहुत ही ज्यादा जरुरी होता है। इस लहसुनिया रत्न को शुद्ध करने के लिए उसे गंगाजल या फिर गाय के दूध से डुबोकर 10 से 15 मिनट तक रख देना चाहिए। उसके बाद ही उसे धारण करना चाहिए।

☸ इस रत्न को धारण करने के लिए एक शुभ दिन की तलाश की जाती है। आपको बता दे इस रत्न को शुक्ल पक्ष के किसी मंगलवार के दिन ही सुबह से शाम तक में किसी भी मुहूर्त में पहनना शुभ माना जाता है।

☸ इसके अलावा लहसुनिया रत्न धारण करने से पहले किसी योग्य और अनुभवी ज्योतिष के द्वारा पूछकर ही अंगूठी में जड़े हुए रत्न को केतू के इस मंत्र ‘‘¬ केतवे नमः’’ का 108 बार उच्चारण करके ही केतू के इस रत्न को धारण करना चाहिए।

☸ लहसुनिया रत्न को लगातार पहनने से अगर यह रत्न मैला हो जाता है तो इसे साफ करने का सबसे अच्छा उपाए यह होता है कि इस किसी साबुन के पानी में डालकर के उसे किसी साबुन के पानी में डालकर के थोड़ी देर बाद उसे किसी साफ ब्रश से अच्छे से साफ कर लेना चाहिए, साफ करके ही उसे दोबारा ग्रहण करना चाहिए।

लहसुनिया रत्न की कीमत क्या होगीः-

☸ लहसुनिया रत्न के कीमत की बात करें तो यह रत्न मार्केट में हर तरह के कीमत के साथ मौजूद होता है। यह रत्न 1300 प्रति कैरेट से लेकर 22.000 रु प्रति कैरेट तक होता है। इसके अलावा क्र्वाट्ज कैट्स आई की कीमत भारत में 225 से लेकर 600 रुपये प्रति रत्ती तक होता है। रत्नों की कीमत अउसकी क्वालिटी पर निर्भर करती है। रत्नों की क्वालिटी जितना ज्यादा अच्छी होगी उसकी कीमत भी उतनी ही ज्यादा अच्छी होगी। रत्न की चमक और उसकी कीमत देखकर ही आप उसकी उच्च गुणवत्ता का पता लग सकते है।

☸इस प्रकार से आपने लहसुनिया रत्न के सभी अच्छे पड़ने वाले और बुरे पड़ने वाले प्रभावों को देखा इन सभी चीजों को भली-भाँति देखकर और समझकर उच्च गुणवत्ता वाले रत्नों को प्राप्त कर सकते है। साथ ही उसके जितने भी पड़ने वाले बुरे प्रभाव है उन सब से बच सकते है।

 

 

390 Views