हिन्दू धर्म में आने वाली कई संक्रान्तियों में वृश्चिक संक्रांति का भी अत्यधिक महत्व माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शास्त्रों में मौजूद 12 राशियों में सूर्य के होने वाले प्रवेश को ही संक्रांति के नाम से जाना जाता है। सूर्य का यह होने वाला राशि परिवर्तन प्रत्येक राशियों को प्रभावित करता है परन्तु वृश्चिक राशि में सूर्य का प्रभाव विशेष रूप से रहता है। आपको बता दें वृश्चिक राशि में सूर्य का गोचर कई मामलों में शुभ माना जाता है। हिन्दू पंचाग के अनुसार वर्ष में कुल 12 संक्रान्तियाँ होती हैं। ऐसे में सूर्यदेव जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो उस दिन मकर संक्रान्ति मनायी जाती है ठीक वैसे ही सूर्य दिव जब वृश्चिक राशि में प्रवेश करते हैं तो उस समय वृश्चिक संक्रांति मनाई जाती है।
वृश्चिक संक्रांति मनाए जाने का महत्व
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वृश्चिक संक्रांति के दिन को शास्त्रों में बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। यह दिन विशेष रूप से वित्त कर्मचारियों छात्रों और शिक्षकों के लिए बहुत ही ज्यादा शुभ माना जाता है। इस दिन की पूजा विशेष रूप से करने से धन से जुड़ी सारी समस्याएँ समाप्त हो जाती हैं। इसके अलावा वृश्चिक संक्रांति के दिन सूर्य देव को जल अर्पित करने के साथ-साथ इस दिन दान, श्राद्ध और पितरों का तर्पण करना भी अति उत्तम माना जाता है। वृश्चिक संक्रांति के शुभ अवसर पर जो भी व्यक्ति दान-पुण्य करता है उसके सारे पाप खत्म हो जाते हैं और उन्हें सभी गम्भीर बीमारियों से छुटकारा मिल जाता है।
वृश्चिक संक्रांति के दिन स्नान दान का महत्व
हिन्दू धर्म में वैसे तो हर संक्रांति के दिन दान दक्षिणा का विशेष महत्व होता है परन्तु वृश्चिक संक्रांति के दिन दान-दक्षिणा करने तथा धर्म और कर्म का विशेष महत्व होता है। वृश्चिक संक्रांति के दिन दान-दक्षिणा में खाने-पीने की वस्तुएँ दान करने का विशेष महत्व माना जाता है। इसके अलावा इस दिन श्राद्ध और पितृ तर्पण का भी विशेष महत्व होता है। इस संक्रांति में 16 घडियां को बहुत ही ज्यादा शुभ माना जाता है। इसलिए इस दौरान दान-दक्षिणा करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। कहा जाता है वृश्चिक संक्रांति के दिन गायों का दान करना बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है।
वृश्चिक संक्रांति के दिन सूर्य से मिलने वाले फल
वृश्चिक संक्रांति के दौरान सूर्यदेव का वृश्चिक राशि में प्रवेश करना वृश्चिक राशि वाले जातकों के लिए अति शुभ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार सूर्यदेव का वृश्चिक राशि में प्रवेश करने से व्यापार और नौकरी के क्षेत्र में पर्याप्त लाभ की प्राप्ति होती है। जातक के रुके हुए कार्य पूरे होने लग जाते हैं साथ ही उनके मान-सम्मान मे भी दिन-प्रतिदिन वृद्धि होती जाती है। इसके अलावा सूर्य के इस गोचर से वृश्चिक राशि वाले जातकों के आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी होती है। वृश्चिक संक्रांति के दिन समाज में व्यक्ति का मान-सम्मान बढ़ता है इसलिए किसी भी प्रकार का घमंड करने से बचना चाहिए और अपनी वाणी को हमेशा मधुर बनाये रखना चाहिए। यदि आप अपने व्यवहार में जरा सा भी परिवर्तन लाते हैं तो आपको कई तरह के नुकसान उठाने पड़ सकते हैं।
वृश्चिक संक्रांति पूजा विधि
☸ वृश्चिक संक्रांति के दिन सूर्योदय से पहले जगकर स्नानादि करके पवित्र हो जाना चाहिए।
☸ उसके बाद सूर्यदेव की पूजा-अर्चना करने के लिए एक ताँबे के लोटे में पानी लेकर उसमें गंगाजल मिलाकर तथा लाल चंदन डालकर सूर्यदेव को जल अर्पित करें।
☸ उसके बाद जल में रोली, हल्दी और सिंदूर मिश्रित करके उस जल से सूर्यदेव को अघ्र्य दें और घी और लाल चंदन के मिश्रण से सूर्यदेव के समय घी का दीपक जलाएँ।
☸ सूर्यदेव को गुग्गल का धूप दिखाएँ ।
☸ इसके बाद वृश्चिक संक्रांति के दौरान सूर्यदेव को गुड़ से बने हलवे का भोग लगाएँ।
☸ उसके बाद एक लाल चंदन की माला से ओम दिनकराय नमः मंत्र का श्रद्धापूर्वक जाप करें।
☸ अंत में दान-दक्षिणा करके वृश्चिक संक्रांति के दिन की पूजा सम्पन्न करें।
वृश्चिक संक्रांति के दिन भाग्योदय के कुछ उपाय
☸ वृश्चिक संक्रांति के दौरान भाग्य में उन्नति करने के लिए भगवान शिव जी की श्रद्धापूर्वक उपासना करें।
☸ इस दिन वृश्चिक राशि के जातको को भगवान शिव की उपासना करके ओम नमः शिवाय तथा ओम सोमाय नमः का जाप करे ऐसा करने से जातक के बुद्धि में तीव्र वृद्धि होगी।
☸ वृश्चिक संक्रांति के दिन अपने भाग्य की उन्नति करने के लिए मोती, सोना, चांदी, वंश पात्र, चावल, मिश्री, सफेद कपड़ा, शंख, कपूर, सफेद गाय, दूध, दही, चंदन तथा एक जोड़ा जनेऊ के साथ ही दक्षिणा करना चाहिए और यदि यह सभी वस्तुएँ दान कर पाना संभव न हो तो अपनी इच्छानुसार कुछ भी दान कर सकते हैं।
☸ अपने भाग्य में वृद्धि करने के लिए चाँदी के ग्लास में जल पीना चाहिए तथा अपने हाथ की कनिष्ठा या छोटी उंगली में मोती रत्न धारण करना चाहिए।
☸ अपने भाग्य में वृद्धि के लिए सोमवार या जन्म नक्षत्र वाले दिन पीपल के वृक्ष की चार परिक्रमा अवश्य करनी चाहिए साथ ही सफेद पुष्प शिव जी को अर्पण करना चाहिए।
☸ वृश्चिक संक्रांति के दिन सोमवार का व्रत रखें और पीपल के वृक्ष के नीचे प्रत्येक सोमवार को दीपक जलाने से भाग्योदय में वृद्धि होती है।
☸ इसके अलावा वृश्चिक संक्रांति के दौरान भाग्य में वृद्धि करने के लिए अपने माता-पिता तथा घर के बड़ों का चरण स्पर्श अवश्य करें और उनकी प्रतिदिन सेवा भी करते रहें।
☸ पीपल का एक पत्ता सोमवार के दिन तोड़कर और एक पत्ता जन्म नक्षत्र वाले दिन तोड़कर उस पत्ते को अपने कार्यस्थल पर रखने से जातक को पूर्ण सफलता तथा धन लाभ की प्राप्ति होती है, इसके अलावा तरक्की के नये मार्ग खुलने लगते हैं।
☸ पीपल के वृक्ष की सूखी डालियों को नहाने के पानी में डालकर उसी जल से स्नान करना चाहिए ऐसा करने से भी जातक के भाग्य में उन्नति होती है।
वृश्चिक संक्रांति शुभ मुहूर्त
वृश्चिक संक्रांति 17 नवम्बर 2023 को शुक्रवार के दिन मनाया जायेगा।
वृश्चिक संक्रांति पुण्य काल तिथिः- प्रातः 06ः45 मिनट से, दोपहर 12ः06 मिनट से
वृश्चिक संक्रांति महा पुण्य काल तिथिः- प्रातः 06ः45 मिनट से, प्रातः 08ः32 मिनट तक।