शनि की महादशा में शनि के अन्तर्दशा का फल:-
शुभ फल:- यदि शनि उच्च शनि में स्वराशि में शुभ स्थान पर व शुभ ग्रहों के साथ हो तो अपनी महादशा और अन्तर्दशा में जातक को जीवन मे कभी सुख-सुविधा और यश की कमी नही होने देता है। जातक को राजा जैसी सुख प्राप्त होता है। जातक के पास हर प्रकार का वाहन और आवास का सुख-सुविधा प्राप्त होता है। जातक को लोहा, तेल, पशु, कोयला से लाभ प्राप्त होता है।
अशुभ फल:- यदि शनि अशुभ स्थान पर शत्रु ग्रहों से साथ हो तथा शनि की अन्तर्दशा चल रही हो तो जातक के द्वारा किये गये सभी कार्यों मे असफलता मिलेगा। वाद-विवाद बढ़ेगा, नौकरी पेशा व व्यापार मे हानि होगा। जातक का मेल-जोल गलत व नीच लोग के साथ बढ़ेगा जातक मे दूसरो के प्रति जलन का भाव उत्पन्न होगा।
शनि की महादशा में बुध के अन्तर्दशा का फलः-
शुभ फल:- शनि महादशा में उच्च राशि, स्वराशि, शुभ ग्रहयुक्त बुध की अन्तर्दशा चले तो जातक का तेज बुद्धि वाला तथा शान्त का हो जाता है तथा जातक का मन धर्म के क्षेत्र मे अधिक लगेगा। जातक को हर कार्य में सफलता मिलेगा, नौकरी व व्यवसाय मे लाभ प्राप्त होता है। प्रायः शनि की अशुभ दशा में पीड़ित जातक सुख और शान्ति का अनुभव करते है।
अशुभ फल:- यदि बुध अशुभ प्रभाव में हो तो बुध अपनी अन्तर्दशा मे जातक के अन्दर अपने दुश्मनो से भय बना रहता है। जातक इतना परेशान व घबराया रहता है तो उसका किसी चीज में नही लगता तथा जातक का मन अच्छे, स्वादिष्ट भोजन में भी नही लगता।
शनि की महादशा में केतु के अन्तर्दशा का फलः-
शुभ फल:- यदि केतु शुभ ग्रह के साथ दृष्टि होकर योगकारक ग्रह से सम्बन्ध करता है तो शनि महादशा में अपनी अन्तर्दशा आने पर जातक को बहुत ज्यादा शुभ फल नही देता है। जातक के कार्य मे बाधाएं आते है। व्यापार में हानि होता है। अनेक प्रकार के रोग जातक को होता है। धन की हानि, भोजन व अन्य जरुरत के चीजो के लिए दूसरों पर निर्भर हो जाते है।
अशुभ फल:- शनि की महादशा में यदि केतु नीच स्थान में हो तो तथा अशुभ स्थान मे हो तो केतु की अन्तर्दशा में जातक को शुभ फल देता है तथा जातक की सारी दुख दूर होती है और कार्यों मे सफलता मिलता है।
शनि की महादशा में शुक्र के अन्तर्दशा का फलः-
शुभ फल:- शनि महादशा में उच्च राशि, खुद की राशि, शुभ ग्रह के साथ व केन्द्र, त्रिकोण में स्थित शुक्र की अन्तर्दशा हो तो जातक पर अत्यधिक शुभ फल प्राप्त होता है। जातक को अपने कलाओं के द्वारा सफलता मिलता है। किसी के साथ प्रेम-प्रसंग का सम्बन्ध बनता है। उच्चाधिकारियों से साथ अच्छा तालमेल बनता है। जातक को अत्यधिक धन लाभ होता है, व्यापार में वृद्धि होती है।
अशुभ फल:- शुक्र की अशुभ होने की अन्तर्दशा में जातक का मन बुरे कार्यों मे लगने लगता, एक से अधिक स्त्रियों के सम्बन्ध व रमण करने की इच्छा बढ़ती है। जुआ, शराब, सट्टा खेलने लगता है तथा उसमे भारी हानि होती है। जातक पर भीख मांगने तक की स्थिति बनता है।
शनि की महादशा में सूर्य के अन्तर्दशा का फलः-
शुभ फल:- शनि की महादशा मे सूर्य उच्च राशि मे या खुद की राशि व षेडबलयुक्त सूर्य की अन्तर्दशा चल रहा होता है तो जातक राजाओ जैसे जीवन व्यतीत करता है। कठिन परिश्रम करने वाले विद्यार्थी को सफलता मिलती है। जातक को मान-सम्मान व धन में वृद्धि होती है। कार्यों में सफलता मिलता है।
अशुभ फल:- अशुभ सूर्य की स्थिति मे जातक का झूठ मे लोगो से लड़ाई-झगड़ा होता है। लोगो से मनमुटाव बना रहा है। पिता से भी वाद-विवाद होता रहता है। सम्पत्ति में हिस्सा न मिलने के कारण मन में क्रोध रहता है। जातक को काला ज्वर एवं मन्दाग्नि रोग से पीड़ा मिलता है।
शनि की महादशा मेें चन्द्रमा के अन्तर्दशा का फलः-
शुभ फल:- शनि महादशा में उच्च राशि, स्वराशि, शुभ ग्रहों विशेषतः बृहस्पति से दृष्ट या बृहस्पति से केन्द्र स्थान मे हो तो चन्द्रमा की अन्तर्दशा मे जातक को अत्यधिक लाभ मिलता है। प्रतियोगिता परीक्षा व विद्यार्थी अच्छे परिणाम के साथ उत्र्तीर्ण होते है। जातक यश-वैभव मे वृद्धि होता है। वैवाहिक जीवन मे मधुरता बनी रहती है। संतान पक्ष से सुख प्राप्त होता है।
अशुभ फल:- अशुभ व क्षीण चन्द्रमा की अन्तर्दशा मे जातक का अपने मित्रों के साथ मनमुटाव व अनबन होता रहता है। जातक अपनी जिन्दगी से मुक्ति पाना चाहता है। बुरे संगति के कारण जातक को मधुमेह, गर्दन मे जकड़न, शीत ज्वर आदि रोग हो जाता है।
शनि की महादशा में मंगल के अन्तर्दशा का फलः-
शुभ फल:- यदि मंगल कारक उच्च स्थान व शुभ ग्रह के साथ अगर युति कर रहा हो तो अपनी अन्तर्दशा के शुरुआत मे शुभ फल देता है। इन दौरान आपको पदोन्नति मिलता है, वेतन में बढ़ोत्तरी होती है। कृषि कार्य मे लाभ प्राप्त होता है। नया कारोबार शुरु होता है। कार्यों मे सफलता व मान-सम्मान में वृद्धि होता है।
अशुभ फल:- जब मंगल नीच मे या अशुभ हो तो जातक के मन में एकाग्रचित नही रहता है। जातक का कार्य व्यवसाय भी ठीक नही चलता है। जातक का कार्य होते-होते रुक जाता है। जातक को कोई रोग होता है। लोगो से झूठ-मूठ के लड़ाई-झगड़ व वाद-विवाद होता रहता है।
शनि की महादशा में राहु के अन्तर्दशा का फलः-
शुभ फल:- यदि शनि की महादशा मे राहु की उपदशा चल रही हो तो मिलाजुला फल देता है। जातक को अचानक धन लाभ होता है। धार्मिक कार्यों व दान-पुण्य मे मन लगता है। अधिक परिश्रम करने पर सफलता प्राप्त होता है।
अशुभ फल:- अशुभ राहु की अन्तर्दशा मे जातक को अनेक प्रकार के कष्टो से सामना करना पड़ता है। जातक जीवन से अच्छा मृत्यु को मानता है। अशुभ राहु के कारण जातक को कष्टों से छुटकारा नही मिलता व किसी भी प्रकार का लाभ व सफलता नही मिलता है।
शनि की महादशा में बृहस्पति के अन्तर्दशा का फलः-
शुभ फल:- शुभ बृहस्पति की अन्तर्दशा आने पर जातक राहु की अन्तर्दशा के फलस्वरुप जातक दुखो से छुटकारा पाकर सुख प्राप्त करता है। जातक तंत्र-मंत्र व धर्म से जुड़े क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है तथा जातक का धार्मिक कार्यों की तरफ अधिक मन लगता है। घर में मंगल कार्य सम्पन्न होता है। जातक सकारात्मक सोच के साथ अपना जीवन व्यतीत करता है।
अशुभ फल:- पापी बलों से हीन व अशुभ प्रभावी होने पर बृहस्पति अपनी अन्तर्दशा मे जातक के वैवाहिक जीवन मे कटु रहता है। संतान प्राप्त होने मे बाधा आती है। सफलता प्राप्त नही होता है। कार्यों मे बाधाएं आती है। जातक को कोढ़ व चमड़ी रोग होता है।