श्रावण पुत्रदा एकादशी 2023

आध्यात्मिक परंपराओं के अनुसार, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पुत्रदा एकादशी व्रत का पालन किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से व्रती को सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है, साथ ही आने वाली जीवन की कई परेशानियाँ भी दूर हो जाती हैं। पुत्रदा एकादशी के व्रत से व्यक्ति को संतान सुख की प्राप्ति का आशा मिलता है और उनके बच्चों की उन्नति में भी सहायक साबित होता है। इसके प्रभाव से संतान संबंधित समस्त संकटों का निवारण होता है।इस बार सावन मास की पुत्रदा एकादशी को 5 शुभ योगों का संयोग बन रहा है। इस कारण इस व्रत का महत्व अधिक बढ़ गया है।

श्रावण पुत्रदा एकादशी लाभ

☸ धार्मिक दृष्टि से हर माह में आने वाली एकादशी को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करके व्रत रखना तथा कथा सुनना पुण्य फल देता है।
☸ एकादशी का उपवास करने वालें को सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
☸ एकादशी का व्रत रखने और पितृ तर्पण करने से पितृ प्रसन्न होकर जीवन में आने वाली परेशानियां दूर करते है।

श्रावण पुत्रदा एकादशी महत्व

पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने और व्रत रखने से पुत्र प्राप्ति की इच्छा पूर्ण होती है। इस व्रत को करने वाले जातकों पर भगवान विष्णु की असीम कृपा रहती है। जो जातक साल में दो बार यह व्रत रखते है। उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है और उनकी संतान को सेहत का वरदान प्राप्त होता है।

श्रावण पुत्रदा एकादशी पूजा की विधि

☸एकादशी व्रत के नियम दशमी तिथि से ही लागू हो जाते है इस दिन भी प्याज, लहसून का सेवन नही किया जाता है।
☸ अगर एकादशी व्रत करना है तो दशमी के दिन सूर्यास्त से पहले ही भोजन कर लें। पुत्रदा एकादशी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठें और स्नान के बाद साफ कपड़े धारण करें।
☸ इस दिन गंगा स्नान का भी नियम है लेकिन अगर ऐसा ना हो पाये तो घर पर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें भगवान विष्णु की पूजा करें।
☸ भगवान विष्णु को पंचामृत और धूप, गुलाल, रोली, चंदन, पीले, पुष्प आदि से पूजा किया जाता है।

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श्रावण पुत्रदा एकादशी शुभ मुहूर्त

श्रावण शुक्ल एकादशी प्रारम्भः-26 अगस्त, 2023 को रात्रि 12 बजकर 08 मिनट से
श्रावण शुक्ल एकादशी समापनः- 27 अगस्त, 2023 को रात्रि 09 बजकर 32 मिनट पर
व्रत पारण का समयः- 28 अगस्त, 2023 को प्रातः 06 बजकर 02 मिनट से 08 बजकर 37 मिनट तक

श्रावण पुत्रदा एकादशी श्री विष्णु जी को समर्पित है और यह एकादशी व्रत पति-पत्नी द्वारा मिलकर किया जाता है ताकि पुत्र की प्राप्ति हो सके जिन विवाहित दम्पतियों की संतान नही होती या कोई विघ्न रहता है। उनके लिए यह व्रत एक वरदान है। इस दिन व्रत और पूजा करने से अवश्य ही संतान की प्राप्ति होती है।