सोम प्रदोष व्रत में जरूर पढ़ें यह कथा, जो संतान के कष्टों को दूर करती है।

सोम प्रदोष व्रत में जरूर पढ़ें यह कथा, जो संतान के कष्टों को दूर करती है

प्रदोष व्रत सनातन धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। जब यह व्रत सोमवार को होता है, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है और इसे सोम प्रदोष व्रत’ के नाम से जाना जाता है।

महादेव को त्रयोदशी तिथि समर्पित है। प्रत्येक माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, प्रभु की पूजा करने से साधक को आरोग्य और शुभ फल की प्राप्ति होती है।

चलिए जानते हैं Astrologer K.M sinha से मई में पड़ने वाले प्रदोष व्रत की तिथि और शुभ मुहूर्त के बारे में

प्रदोष तिथि एवं मुहूर्त 2024

हिन्दू पंचांग के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की प्रदोष तिथि 20 मई को दोपहर 3 बजकर 57 मिनट से शुरू होगी और यह अगले दिन यानी 21 मई को शाम 5 बजकर 37 मिनट तक रहेगी।

प्रदोष तिथि में प्रदोष काल (जो शाम के समय का होता है) में पूजा का विधान है, इसलिए  20 मई को ही प्रदोष व्रत मनाया जाएगा, जोकि सोमवार को है इसलिए इसे सोम प्रदोष व्रत के रूप में मनाया जाएगा।

सोम प्रदोष के दिन, भगवान शिव की पूजा और व्रत से अधिक पुण्य प्राप्त होता है। इस दिन को शिव साधना के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। व्रत और पूजा से सभी वैवाहिक कठिनाइयाँ दूर होती हैं और विवाहित जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।

सोम प्रदोष व्रत पूजा विधि

☸ इस दिन सुबह स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

☸ उसके बाद चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस स्थान को गंगा जल से शुद्ध करें।

☸ अब शिव परिवार की तस्वीर रखें और उन्हें सफेद फूल और बेल पत्र अर्पित करें।

☸ फिर सफेद पेड़ा और फल का भोग उनके सामने रखें और घी का दीपक जलाएं।

☸ इस दौरान नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें।

☸ इससे भगवान शिव की कृपा बरसेगी।

प्रदोष व्रत को मानने के लिए कुछ प्रमुख उपाय हैं-

व्रत करना:- प्रदोष व्रत को मानना व्रत का मूल है। इस दिन भगवान शिव और पार्वती का व्रत रखना महत्वपूर्ण है।

शिव मंदिर जाना:-  प्रदोष काल में शिव मंदिर जाकर पूजा-अर्चना करना और भगवान शिव की आराधना करना व्रत के महत्व को और बढ़ाता है।

शिव लिंग का अभिषेक:-  शिव लिंग को जल से स्नान कराकर और गंगा जल से उसका अभिषेक करके भगवान शिव को समर्पित करना व्रत के प्रभाव को बढ़ा देता है।

शिव स्तोत्र पाठ:- प्रदोष व्रत के दिन शिव स्तोत्र या मंत्र का जाप करना, जैसे कि शिव चालीसा, शिव तांडव स्तोत्र या ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करना व्रत के फल को अधिक बढ़ाता है।

उपवास:- प्रदोष व्रत के दिन उपवास करना भी महत्वपूर्ण है। इस दिन फलाहारी भोजन या फल का सेवन करना व्रत का हिस्सा है।

सत्संग:-  प्रदोष व्रत के दिन धार्मिक ग्रंथों का पाठ करना, सत्संग में भाग लेने से व्रत का फल अधिक होता है।

ये कुछ प्रमुख उपाय हैं जो प्रदोष व्रत को मानने में मदद करते हैं। ध्यान रहे कि हर क्षेत्र और परिवार में इस व्रत का विधान अलग हो सकता है, इसलिए आपको अपने परिवार या स्थल के अनुसार इस व्रत को मानना चाहिए।

सोम प्रदोष व्रत में जरूर पढ़ें यह कथा, जो संतान के कष्टों को दूर करती है और राजसुख प्रदान करती है:-

किसी गाँव में एक समृद्ध व्यापारी रहता था। धनी होने के बावजूद उसकी संतान नहीं थी। वह और उसकी पत्नी बड़ी चिंतित थें। एक दिन वे गाँव के पुराने पंडित जी से मिले और अपनी समस्या का समाधान चाहा। पंडित जी ने उन्हें सोम प्रदोष व्रत के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि यदि वे प्रदोष व्रत का पालन करें, तो उन्हें संतान की कृपा प्राप्त हो सकती है।

व्यापारी ने अपनी पत्नी के साथ मिलकर प्रदोष व्रत का पालन किया। वे शिव मंदिर गए और भगवान शिव की पूजा की। उन्होंने शिव लिंग को गंगा जल से स्नान किया और उसे पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, आदि से अर्चना की।

इसी तरह वे हर सोमवार को प्रदोष व्रत का पालन करते थें। उनकी श्रद्धा और प्रेम ने भगवान शिव को प्रसन्न किया और उन्हें संतान प्रदान की। वे एक सुखी और समृद्ध जीवन बिता रहे थें।

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