हस्तरेखा द्वारा जाने मस्तिष्क रेखा का अर्थ

जिस प्रकार ज्योतिष शास्त्र में कुण्डली और उसमें उपस्थित सभी ग्रहों का महत्व है ठीक उसी प्रकार हस्तरेखा में रेखाओं का भी अत्यधिक महत्व है। रेखाओं द्वारा भी जीवन का विश्लेषण किया जाता है एवं जीवन की विभिन्न परिस्थितियों का अनुमान लगाया जाता है। मस्तिष्क रेखा आपके मन की स्थिति को प्रदर्शित करती है। इस रेखा द्वारा शक्ति, विचार एवं आत्म नियंत्रण की योग्यता का पता चलता है। मानसिक विचारों का हमारे भाग्य निर्माण में बहुत बड़ा योगदान होता है। जीवन में लक्ष्य प्राप्ति के लिए मन की एकाग्रता अत्यन्त आवश्यक है और यह एकाग्रता स्वस्थ मस्तिष्क रेखा ही प्रदान करता है। मस्तिष्क संचालन का सूक्ष्म ग्राफ मस्तिष्क रेखा में छिपा होता है जिससे दिमाग संबंधी सभी महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त कर सकते हैं। इतना ही नही मस्तिष्क रेखा द्वारा शारीरिक व्याधियों के कष्टों का पता भी लगाया जा सकता है। मस्तिष्क रेखा का अध्ययन अत्यन्त सावधानी एवं सूक्ष्मता से करना चाहिए। इसके लिए सबसे पहले यह ज्ञात करें कि मस्तिष्क रेखा किस स्थिति में है मनुष्य का मस्तिष्क प्रतिबल चिन्ताशील एवं सक्रिय रहता है उसका विद्युत प्रवाह हथेली में किसी न किसी रूप में अंकित रहता है। कई बार हथेली के दो भागों में विभक्त करती हुई केवल एक ही रेखा दिखाई देती है ऐसे में मस्तिष्क रेखा एवं हृदय रेखा को लेकर गहरी चिंता बढ़ सकती है। इस स्थिति में हृदय रेखा को अनुपस्थित मानना चाहिए। उसके बाद मस्तिष्क रेखा की लम्बाई नापें। हृदय रेखा की भाँति यह हथेली के अंत तक नही जाती हैं बल्कि दूसरे छोर तक जाने का प्रयत्न मात्र करती है। उसके बाद रेखा की आकृति, प्राकृतिक मोड़ एवं उभराव ज्ञात करें।

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हस्त रेखा विज्ञान के अनुसार जीवनरेखा एवं हृदय रेखा के बाद

हथेली में तीसरी महत्वपूर्ण रेखा मस्तिष्क रेखा होती है।

मस्तिष्क रेखा के प्रकार एवं उनकी महत्ता

छोटी मस्तिष्क रेखा

यदि उपरोक्त चित्र के अनुसार मस्तिष्क रेखा छोटी हो तो यह रेखा जातक के मंद बुद्धि को बताता है तथा जातक अत्यधिक चिंतनशील होता है। यदि मस्तिष्क रेखा को नापें तो यह जहाँ समाप्त होती है। सामान्यतः कई बार जातकों का जीवन भी वहीं समाप्त होता है। इस परिणाम की पुष्टि के लिए जीवनरेखा का गहन अध्ययन करना चाहिए।

जब मस्तिष्क एवं जीवनरेखा का अंत सितारे पर हो

यदि छोटी मस्तिष्क रेखा एवं छोटी जीवन रेखा के अंत में सितारे का निशान बना हो तो इसके आधार पर मृत्यु की भविष्यवाणी स्पष्ट रूप से कर सकते हैं लेकिन यह स्थिति बायें हाथ में हो तो अधिक सक्रिय होती है। दाये हाथ में इससें मात्र घटना का संकेत मिलता है। हथेली में जितने बड़े सितारे का चिन्ह् हो उतने ही बड़े घटना की संभावना होती है।

जीवनेरखा से हटकर प्रारम्भ होती हुई मस्तिष्क रेखा

कई बार ऐसा होता है कि मस्तिष्क रेखा जीवनरेखा से कुछ हटकर प्रारम्भ होती है। इस स्थिति में जातक का मानसिक विकास आयु के उस भाग से प्रारम्भ होगा जिस स्थान से रेखा का अलग अस्तित्व प्रारम्भ होता है।

हृदय रेखा को काटती हुई मस्तिष्क रेखा

यदि मस्तिष्क रेखा इतनी बड़ी हो जाये कि वह हृदय रेखा को काटती हुई शनि पर्वत पर पहुँच जाये तो दिमागी असंतुलन के कारण मृत्यु की संभावना अधिक रहती है।

मस्तिष्क रेखा के अंत में द्वीप का चिन्ह

यदि चन्द्रपर्वत की ओर जाती हुई मस्तिष्क रेखा के अंत में द्वीप का चिन्ह बना हो तो यह मानसिक विक्षेप का द्योतक है। इस स्थिति में जातक किसी भी परिस्थिति में पागल हो सकता है। ऐसे जातक को कभी भी ज्यादा नही छेड़ना चाहिए तथा उसकी इच्छा के विरूद्ध बहस नही करनी चाहिए। द्वीप एवं चिन्ह की लघुता एवं दीर्घता से विक्षेप की लघुता एवं दीर्घता का अंदाजा लगाया जा सकता है।

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मस्तिष्क रेखा एवं जीवन रेखा की दूरी

यदि मस्तिष्क रेखा और जीवन रेखा में दूरी अधिक हो तो ऐसे जातक बिना सोच-विचार के कार्यों को प्रारम्भ कर देते हैं। यदि किसी जातक के हाथ में मस्तिष्क रेखा एक किनारे से जीवनरेखा से लगभग मिलती हुई आगे बढ़ती है और इन दोनों रेखाओं के बीच अंतर स्पष्ट रूप से हो तो ऐसे जातक अत्यधिक बुद्धिवाले होते हैं। ऐसे जातक बहुमुखी प्रतिभावान होते हैं।

गुरू पर्वत पर झुकी हुई मस्तिष्क रेखा

यदि मस्तिष्क रेखा गुरू पर्वत की ओर झुकी हुई हो तो ऐसा माना जाता है कि यह स्थिति जातकों को एक अच्छा अभिनेता, साहित्यकार, कलाकार एवं राजनेता बनाती है। सभी कार्यों में सफलता मिलती है तथा समाज में भी मान-सम्मान प्राप्त होता है।

बुध पर्वत की ओर मस्तिष्क रेखा

यदि मस्तिष्क रेखा बुध पर्वत की ओर हो तो जातक कुशाग्र बुद्धिवाला होता है। कार्य-व्यवसाय के क्षेत्र में अत्यधिक लाभ एवं सफलता प्राप्त करता है। सामान्य तौर पर ऐसे जातक बहुत कम उम्र में ही बड़ा व्यापार स्थापित कर लेते हैं तथा उनको मान, प्रतिष्ठा भी प्राप्त होती है।

ऐसी मस्तिष्क रेखा बनाती है धनवान

यदि मस्तिष्क रेखा और हृदय रेखा दोनों ही एक दूसरे के समान्तर हथेली के आर-पार गई हो तो ऐसे जातक अत्यधिक धनवान होते हैं। इसके साथ ही ऐसे जातक दूरदर्शी भी होते हैं। ऐसे जातक स्वयं के आगे किसी को महत्व नही देते हैं। इतना ही नही यह किसी भी काम में लापरवाही नही करते हैं।

मस्तिष्क रेखा टूटी हुई हो तो

यदि मस्तिष्क रेखा बीच में टूट जाये तो जिस जगह वह टूटी है उस समय जातक को दुर्घटना का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे जातक प्रायः अस्वस्थ रहते हैं।

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