Kundali Expert

होली की शुभ मुहूर्त, पूजन विधि एवं कथा | Holi, Holika Dahan 2023|

एक त्यौहार के बाद लोगों को अगले आने वाले त्यौहार की तारीख जानने की काफी उत्सुकता रहती है। 25 अक्टूबर की दिवाली के बाद हर किसी के ये जानने की उत्सुकता होगी की साल का पहला सबसे बड़ा पर्व होली कब मनाया जायेगा ? तो आइये हम जानते है होली का महत्व शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि-

हिन्दू पंचाग के अनुसार वर्ष 2023 मे साल का पहला बड़ा पर्व होली है जो 7 मार्च दिन मंगलवार को मनाई जाएगी। 7 मार्च को संध्या शुभ मुहूर्त मे होलिका दहन किया जायेगा और 8 मार्च को होलिका के दिन रंग खेला जायेगा। होलिका दहन वाले दिन को छोटी होली के नाम से जाना जाता है।

होली का महत्व

हिन्दू धर्म में होली का बहुत महत्व है। यह पर्व फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। होली का त्यौहार रंगो और प्रेम का प्रतीक है। इस दिन होलिका मे  लोग अहंकार और बुराई को भस्म करते है। यह पर्व पूरे देश में बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। रंगो का त्यौहार कहा जाने वाला यह पर्व पारंपरिक रुप से दो दिनो मे मनाया जाता है। पहले दिन होलिका जलायी जाती है। जिसे होलिका दहन भी कहते है। दूसरे दिन लोग एक दूसरे पर रंग अबीर गुलाल इत्यादि फेकते है। ढोल बजाकर होली के गीत गाए जाते है घर-घर जाकर लोगो को रंग लगाया जाता है। इसके बाद स्नान करके विश्राम करने के बाद नए कपड़े पहन कर शाम को लोग एक दूसरे के घर मिलने जाते है। गले मिलते है और मिठाइयाँ खिलाते है।
होली की शुभ मुहूर्त, पूजन विधि एवं कथा | Holi, Holika Dahan 2023| 1

होलिका दहन शुभ मुहूर्त

होलिका दहन छोटी होली के दिन मनाई जायेगी।  वर्ष 2023 मे होलिका दहन का शुभ मुहूर्त दो घंटे 27 मिनट का बताया जा रहा है। इस दिन शाम को 6 बजकर 24 मिनट से लेकर 8 बजकर 51 मिनट तक होलिका दहन किया जा सकता है।

होली की कथा

शास्त्रों के अनुसार प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक असुर राजा था। वे खुद को ही ईश्वर समझने लगा था। यही नही हिरण्यकश्यप के राज्य में कोई भी व्यक्ति ईश्वर का नाम नही ले सकता था। वही राजा की बहन होलिका को आग में भस्म न होने का वरदान मिला हुआ था। हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था। वह राजा के मना करने पर भी उनकी पूजा किया करता था। एक बार हिरण्यकश्यप ने होलिका को आदेश दिया कि प्रहलाद को गोद में लेकर आग मे बैठ जाएं परन्तु आग मे बैठने पर होलिका जल गई और भगवान की कृपा से प्रहलाद बच गया तभी से ईश्वर भक्त प्रहलाद की याद में होलिका दहन किया जाने लगा।
मानव समाज अपने समस्त दुखों उलझनों एवं संतापों को भूलाकर ही इस त्यौहार को उसकी सम्पूर्णता के साथ मनाता है। इस पर्व के मौके पर सभी अपने प्रियजनों से मिलते है, रंग और अबीर से होली खेलते है, साथ ही कई सारी क्रियाओं मे भाग लेते है जो एक दूसरे के लिए खुशी को प्रदर्शित करता है। इस प्रकार लोग रंगो के इस त्यौहार मे अपनों के संग खुशियां मनाते है।

होलिका दहन की पूजा विधि

☸ होलिका दहन करने से पहले होली की पूजा की जाती है।
☸ पूजा को करते समय पूजा करने वाले व्यक्ति को होलिका के पास जाकर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए।
☸ अब होलिका के पास गोबर से बनी ढ़ाल तथा अन्य खिलौने रख दें।
☸ होलिका दहन मुहूर्त समय में जल, मौली, फूल, गुलाल तथा दान एवं खिलौनों की चार मालाएं अलग से लाकर सुरक्षित रख ली जाती है। इनमे से एक माला पितरों के नाम दूसरी हनुमान जी के नाम की तीसरी शीतलामाता के नाम की तथा चौथी अपने घर-परिवार के नाम की होती है।
☸ कच्चे सूत को होलिका के चारो ओर तीन या सात परिक्रमा करते हुए लपेंटे।
☸ उसके बाद शुद्ध जल एवं अन्य पूजन की सभी वस्तुओं को एक-एक करके होलिका को समर्पित किया जाता है।
☸ रोली, अक्षत व पुष्प को भी पूजन में प्रयोग किया जाता है।
☸ गंध पुष्प का प्रयोग करते हुए पंचोपचार विधि से होलिका का पूजन करें, पूजन के बाद जल से अर्घ दें।
☸ अगले दिन होली की भस्म लाकर चांदी की डिबिया में रखें।

होलिका दहन की सामग्री

एक लोटा जल, माला, रोली, चावल, गंध पुष्प, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल आदि का प्रयोग करें। इसके अलावा  नई फसलों के अनाजों । जैसे पके चने एवं गेहू की बालियां भी रखें।

 

 

170 Views
Exit mobile version