हिन्दू धर्म के पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष शबरी जयंती का यह पर्व फाल्गुन माह की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिण के क्षेत्रों में मनाया जाता है। शबरी जयंती के दिन प्रभु श्री राम जी के साथ-साथ माता शबरी की पूजा-अर्चना भी की जाती है। शबरी जयंती के इस अवसर पर ही माता शबरी ने आश्रम में भगवान श्री राम के स्वागत सत्कार में झूठे बेर खिलायें थे।
शबरी जयंती मनायी जाने की प्रथा के अनुसार भील समुदाय से संबंध रखने वाली शबरी का नाम श्रमणा था। शबरी जब विवाह के योग्य हुइ तो उनके पिता और भीलों के राजा का विवाह शबरी के साथ तय हुआ। उस समय विवाह के समय जानवरों की बलि देने की प्रथा थी, जिसका विरोध शबरी ने किया और इस प्रथा को समाप्त करने के लिए विवाह न करके अपना घर त्यागकर वन में चली गई और वहाँ जाकर प्रभु श्री राम की पूजा भक्ति और तप में लीन हो गयी उसी दौरान प्रभु श्री राम और माता शबरी का मिलन हुआ।
शबरी जयंती पूजा विधि
☸ शबरी जयंती के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सर्वप्रथम प्रभु श्री राम और माता शबरी को नमस्कार कर उनका स्मरण करें।
☸ गंगाजल युक्त पानी से स्नानादि करके पवित्र होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
☸ उसके बाद जल से आचमन करके अपने आपको पवित्र करके व्रत का संकल्प लेते हुए माता शबरी की पूजा, फल, फूल, दूर्वा, सिन्दुर, धूप, दीप तथा अक्षत से करें।
☸ उसके बाद भोग लगाकर माता शबरी की आरती करके अपने परिवार के कुशल मंगल होने की कामना करें।
☸ पूरे दिन उपवास रखें और सुबह और शाम आरती करने के पश्चात फलाहार करें और अगले दिन विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने के बाद ही अपना व्रत खोलें।
शबरी जयंती पूजा शुभ मुहूर्त
03 मार्च 2024 रविवार के दिन शबरी जयंती मनाया जायेगा।
सप्तमी तिथि प्रारम्भः- 02 मार्च 2024 सुबह 07ः53 मिनट से,
सप्तमी तिथि समाप्तः- 03 मार्च 2024 सुबह 08ः44 मिनट तक।