11 जनवरी 2024 दर्श अमावस्या

हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार दर्श अमावस्या के दिन पितरों की पूजा, पितृ तर्पण, स्नान तथा दान करना बहुत ही ज्यादा पुण्य फलदायी माना जाता है। इस दिन पूर्वजों की प्रार्थना करने की अत्यधिक मान्यता होती है। पितरों की पूजा होने के कारण इस दिन को श्राद्ध अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। दर्श अमावस्या के दिन चंद्रदेव की पूजा करने का विधान होता है। दर्श अमावस्या हिन्दू पंचांग में एक विशेष तिथि होती है जब चंद्रमा ग्रहण लग जाने के कारण दर्शनीय नही हो पाता है। इस दिन चंद्रमा के दर्शनीय होने का अभाव रहता है जिसके कारण अमावस्या तिथि का चन्द्रमा हम देख नही पाते हैं। यह अमावस्या तिथि पितरों के तर्पण के लिए बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है।

दर्श अमावस्या पूजा विधि

☸ प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान करें, स्नान के पानी में गंगाजल मिलाकर अवश्य स्नान करें।

☸ स्नान करने के बाद भगवान विष्णु जी का ध्यान करें और पूजा पाठ के लिए एक स्वच्छ स्थान चुनें, उसके बाद पूजा का संकल्प लेकर सूर्यदेव को जल चढ़ायें।

☸ भगवान शिव और माँ पार्वती की मूर्ति या चित्र पूजा स्थल पर स्थापित करें।

☸ उसके बाद धूप, दीपक, अगरबत्ती, फूल, पंचामृत, दूध, दही, शहद, घी, फल, पान, इलायची, कपूर, सिन्दूर बेल पत्र, धातु कलश तथा गंगा कलश इन सबका उपयोग कर पूजा अर्चना करें।

☸ पवित्र मन से भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करें और विधिपूर्वक पूजा करने के दौरान मंत्रों का जाप अवश्य करें।

☸ पूजा समाप्त हो जाने के बाद आरती अवश्य करें, साथ ही विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना न भूलें।

☸ पूजा समाप्त हो जाने के बाद नदी में तिल प्रवाहित करें यदि नदी में तिल चढ़ाना संभव न हो पाये तो शिवलिंग पर ही चढ़ा दें।

दर्श अमावस्या शुभ मुहूर्त

दर्श अमावस्या 11 जनवरी 2024 बृहस्पतिवार के दिन मनाया जायेगा।
कृष्ण अमावस्या प्रारम्भः- 10 जनवरी रात्रि 8ः10 मिनट से,
कृष्ण अमावस्या समाप्त:- 11 जनवरी शाम 5ः26 मिनट तक 

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