02 फरवरी 2024 स्वामी विवेकानंद जयंती

स्वामी विवेकानन्द जयन्ती की बात करें तो विवेकानन्द जयंती का यह उत्सव प्रतिवर्ष 12 जनवरी को उनके जन्म दिवस पर मनाया जाता है। आपको बता दें स्वामी विवेकानन्द जी का नाम इतिहास में एक ऐसे विद्वान व्यक्ति के रूप में दर्ज है जिन्होंने हमेशा मानवता की सेवा को ही सबसे ज्यादा ऊपर रखा और उसे ही सर्वोपरि धर्म के रूप में माना है। स्वामी विवेकानन्द जी एक महान व्यक्ति के रूप में एक प्रखर प्रतिनिधि थे। उन्होंने पूरे विश्व भर में भारतीय धरोहर और संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए कई सारे महत्वपूर्ण योगदान दिये हैं। स्वामी विवेकानन्द जी ने मानवता की सेवा और उनके परोपकार के लिए 1897 में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की और इस मिशन का नाम अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस के नाम पर रखा।

स्वामी विवेकानन्द जी के जन्म दिवस पर ही क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय युवा दिवस

☸ स्वामी विवेकानन्द जयंती को ही युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है ऐसा इसलिए क्योंकि स्वामी विवेकानन्द जी ने युवा शक्ति को स्वयं एक संदेश दिया तथा उनके उपदेशों ने युवाओं को जागरुक करने के साथ ही सक्रिय भूमिका निभाने की प्रेरणा दी।

स्वामी विवेकानन्द जी ने अपने संदेश में यह कहा कि-

“उठो जागो और तब तक न रुको जब तक तुम्हे तुम्हारे लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाये”

☸ स्वामी विवेकानन्द जी ने युवा शक्ति के महत्व को भली-भाँति सभी लोगों को समझाया और उन्हें नेतृत्व सेवा की भूमिका के महत्वपूर्ण तत्वों के बारे में भी शिक्षा दी। उनके विचार और दिये गये उपदेशों ने सभी युवाओं को व्यक्तिगत और सामाजिक दिशा में अत्यधिक प्रेरित किया।

☸ युवा दिवस तथा विवेकानन्द जयंती के दिन पूरे देश भर के स्कूल और विद्यालयों में तरह-तरह के कार्यक्रम होते हैं तथा रैलियाँ भी निकाली जाती हैं। इस दिन योगासन की स्पर्धा आयोजित की जाती है, पूजा-पाठ किये जाते, जगह-जगह इनके व्याख्यान होते तथा विवेकानन्द साहित्य की प्रदर्शनी भी लगाई जाती है।

☸ युवा दिवस के दिन लोग भजन-कीर्तन, संवाद, सेमिनार का आयोजन भी करते हैं। जिसमें स्वामी विवेकानन्द जी के विचारों पर विशेष चर्चा की जाती है तथा उनके प्रेरणादायक जीवन के बहुत से विशेष उदाहरणों को याद भी किया जाता है। युवा दिवस को स्वामी विवेकानन्द जयन्ती के रूप में मनाने से, सभी युवाओं को उनके उपदेशों को अपनाने, आत्मविश्वास को बढ़ाने साथ ही समाज की सेवा में सक्रिय रूप से शामिल होने के लिए प्रेरणा मिलती है।

स्वामी विवेकानन्द जी के बारे में कुछ विशेष तथ्य

☸ स्वामी विवेकानन्द जी के बचपन का नाम वीरेश्वर रखा गया था। शुरुआत में विवेकानन्द जी को अक्सर करके बिली कहकर पुकारा गया तथा बाद में उनका नाम बदलकर नरेंद्रनाथ दत्त रखा गया।

☸ स्वामी विवेकानन्द जी के पिता की मृत्यु हो जाने के बाद उनका जीवन बहुत ही ज्यादा गरीबी में बीता था। उस समय उनकी माँ और बहन को काफी ज्यादा संघर्ष करना पड़ा था। इन दिनों स्वामी विवेकानन्द जी कई दिनों तक भूखे थे ताकि परिवार के अन्य लोगों को पर्याप्त भोजन मिल सके।

☸ स्वामी विवेकानन्द जी के पास बी.ए की डिग्री होने के बावजूद भी इन्हें अपनी नौकरी के लिए अत्यधिक संघर्ष करना पड़ा, नौकरी के लिए जगह-जगह भटकना पड़ा जिसके कारण वे नास्तिक बन गये और भगवान से उनका विश्वास भी उठ गया।

☸ स्वामी विवेकानन्द जी की आर्थिक स्थिति को देखते हुए खेत्री के महाराजा अजीत सिंह उनकी आर्थिक रूप से सहायता करने के लिए बहुत ही गोपनीय तरीके से स्वामी विवेकानन्द जी की माँ को नियमित रूप से 100 रुपया भेजते थें।

☸ स्वामी विवेकानन्द जी को पूरी 31 बीमारियाँ थी उनकी इन बीमारियों में से एक बीमारी निद्रा रोग से ग्रसित होना भी था।

☸ स्वामी विवेकानन्द जी नें स्वयं अपने लिए भविष्यवाणी की थी कि वे 40 वर्ष तक की आयु भी प्राप्त नही कर पायेंगें और उनके द्वारा कही गयी इन्हीं बातों के दौरान स्वामी विवेकानन्द जी की मृत्यु 39 वर्ष की अवस्था में 4 जुलाई 1902 को ही हो गई।

☸ स्वामी विवेकानन्द जी के इस उम्र में मृत्यु होने की वजह तीसरी बार दिल का दौरा पड़ना था। उन्होंने समाधि की अवस्था में ही अपने प्राण त्यागे थें।

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