हिन्दू धर्म के पंचांग के अनुसार अंतिम महीना यानि फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को फुलेरा दूज का त्योहार मनाया जाता है। यह त्योहार मथुरा और वृन्दावन के पवित्र स्थानों पर श्री कृष्ण के मंदिरों में इस त्योहार को मनाने का सर्वाधिक महत्व होता है। यह त्योहार एक उत्तरी भारत का त्योहार है। जिसे रंगों के त्योहार के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा फुलेरा दूज के दिन श्रीकृष्ण और राधा रानी की विधिपूर्वक पूजा का विधान होता है। ब्रज में इस त्योहार को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन प्रभु श्री कृष्ण और राधा रानी के द्वारा फूलों की होली खेली जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार फुलेरा दूज के दिन से ही होली की शुरूआत मानी जाती है। इसी दिन मंदिर में श्री कृष्ण और राधा रानी को गुलाल अपित करना चाहिए। इस त्योहार के दिन सगाई और विवाह जैसे शुभ कार्यों को करना बहुत ही ज्यादा उत्तम माना जाता है।
फुलेरा दूज पूजा विधि
☸ फुलेरा दूज के दिन गोधुलि मुहूर्त में पूजा-पाठ करने का विधान होता है, इस दिन शाम के समय में पूजा करना अत्यधिक उत्तम होता है।
☸ पूजा करने के लिए स्नानादि से निवृत्त होकर गुलाबी रंग के वस्त्र पहने, यदि संभव न हो तो आप किसी भी रंग के वस्त्र पहन सकते हैं।
☸ उसके बाद मंदिर में श्री कृष्ण और राधा रानी का फूलों से श्रृंगार करना चाहिए तथा उन्हें कुमुद, मालती तथा पलाश के फूल चढ़ाने चाहिए।
☸ उसके बाद राधा और कृष्ण जी को सुगंधित अबीर लगाकर मिठाई, पंचामृत तथा मिश्री इत्यादि मीठे चीजों का भोग लगायें।
☸ घी का दीपक तथा धूप दिखाकर मधुराष्ट्रक या राधा कृपा कटाक्ष का पाठ करें और राधा कृष्ण के मंत्रों का भी जाप करें।
☸ पूजा की समाप्ति के बाद राधा-रानी को श्रृंगार की वस्तुएं भेंट करें तथा गरीब और जरूरतमंद लोगों को दान-दक्षिणा करें।
फुलेरा दूज शुभ मुहूर्त
12 मार्च 2024 मंगलवार के दिन फुलेरा दूज का पर्व मनाया जायेगा।
द्वितिया तिथि प्रारम्भः- 11 मार्च 2024 सुबह 10ः44 मिनट से।
द्वितिया तिथि समाप्तः- 12 मार्च 2024 सुबह 07ः13 मिनट तक।