क्या है आपकी कुण्डली मे धनयोग

क्या है आपकी कुण्डली मे धनयोगः-
आज के आधुनिक समय मे प्रत्येक मनुष्य धनवान बनने की इच्छा रखता है। इसके लिए वह कड़ी मेहनत भी करता है। परन्तु इसके बावजूद कई लोगो को पैसो की तंगी की परेशानी बनी रहती है। हमारे ज्योतिष शास्त्रो के अनुसार ऐसा कई बार ग्रहों के दोष, दशा अथवा गलत कर्मो के कारण भी होता है तथा क्योकि कुण्डली मे उपस्थित ग्रह व्यक्ति के जीवन को किसी न किसी प्रभावित करते है।

कुण्डली मे धनयोगः-
जब परिवार मे कोई शिशु जन्म लेता है तो उसकी जन्मकुण्डली बनाई जाती है और ज्योतिषाचार्य द्वारा कुण्डली मे बने योेंगो का पता लगाया जाता है। कुण्डली मे बने शुभ एवं अशुभ योगो के साथ-साथ धन या वित्तयोगो का भी विश्लेषण किया जाता है तो आइये जानते है कि इन योगो का निर्माण और विश्लेषण कैसे किया जाता हैै?

जन्म कुण्डली मे धनयोग कैसे बनते है ?
जन्मकुण्डली मे पूरे  बारह घर होते है और कुण्डली का दूसरा घर वित्तिय घर के रुप मे जाना जाता हैै। जो आपके धन का स्वामी होता है तथा ग्यारहवा घर वित्तीय लाभ का होता है। इन दोनो भावो के सम्बन्ध से धनयोग बनता है। यदि लग्न कुण्डली मे द्वितीय भाव, पंचम भाव, नवम भाव और एकादश भाव या इनका स्वामी कुण्डली में जुडा हो तो धनयोग का निर्माण होता है अथवा यदि कुण्डली मे द्वितीय भाव का स्वामी एकादश भाव मे या एकादश भाव का स्वामी द्वितीय भाव में उपस्थित हो तो धनयोग का निर्माण होता है। इसके अलावा बृहस्पति और शुक्र जैसे ग्रह भी क्रमशः धन और भौतिक लाभ प्राप्त करने में बड़ी भूमिका निभाते हे। इन ग्रहों और भावो के कई संयोजन है जो आपकी कुण्डली मे धन योग का निर्माण करता है।

READ ALSO   ज्योतिष में नौ ग्रह और वास्तु शास्त्र में विभिन्न दिशाओं में उनके स्थान

कुण्डली मे धन योग है या नहीः-
💠 यदि मंगल और चन्द्रमा किसी भाव मे एक साथ उपस्थित हो तो कुण्डली का यह योग धनयोग को दर्शाता है।
💠 यदि किसी जातक की कुण्डली मे मंगल शुक्र के साथ युति कर रहा हो तो जातकों को स्त्री पक्ष की ओर से लाभ प्राप्त होता है।
💠 यदि कुण्डली मे गुरु दसवे या ग्यारहवे भाव मे सूर्य और मंगल पाचवे भाव मे उपस्थित हो तो जातक को प्रशासनिक क्षमताओं द्वारा लाभ प्राप्त होता है।
💠 यदि किसी जातक की कुण्डली मे पाचवे भाव मे सूर्य हो और लाभ भाव मे शनि उपस्थित हो साथ ही चन्द्रमा शुक्र की युति हो रही हो तो जातक धनवान होता है।
💠 बुध कर्क राशि या मेष राशि हो तो ऐसा जातक समृद्ध होगा।
💠 बृहस्पति जब कर्क, धनु या मीन राशि का और पाचवें भाव का स्वामी दसवे भाव मे उपस्थित हो तो जातकों को संतान पक्ष से धन लाभ मिलता है।
💠 यदि किसी जातक की कुण्डली मे सातवे भाव में मंगल या शनि विराजमान हो और ग्यारहवे भाव में शनि या राहु उपस्थित हो तो ऐसे जातक गलत तरीके से धन की प्राप्ति करता है।

कुण्डली मे धन के शुभ योगः-
यदि किसी जातक की कुण्डली मे धन योग का निर्माण हुआ है तो जातक को अधिक धन लाभ प्राप्त होगा। यह योग जातक के आर्थिक पक्ष को मजबूत बनाता है। कुण्डली का योग न केवल धन प्राप्ति का साधन बनता है जबकि धन संग्रह और अनावश्यक खर्चों से बचने की आपकी क्षमता को सुदृढ़ भी करता है। इसके अलावा यह सही निवेश करने मे सहायता प्रदान करता है जो आगे आने वाले दिनो मे शुभ फल देता है।

READ ALSO   ASHADHI  EKADASHI

कुण्डली मे धनयोग के सकारात्मक परिणामः-
💠 यदि कुण्डली मे केतु ग्यारहवे भाव मे उपस्थित हो तो जातक विदेश मे कमायेगा।
💠 यदि लग्न का स्वामी दशम भाव मे उपस्थित हो तो जातक अपने माता-पिता से भी अधिक धनवान होगा।
💠 यदि दसवे भाव मे पाचवे भाव का स्वामी हो तो जातक अपने संतान द्वारा लाभ प्राप्त करेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *