हिन्दू धर्म के पंचांग के अनुसार रथ सप्तमी पारम्परिक रूप से माघ महीने में शुक्ल पक्ष के सातवें दिन या चन्द्रमा के बढ़ते हुए चरण में मनाई जाती है। इस दिन का महत्व महाराष्ट्र, तेलांगना, तमिलनाडु, कर्नाटक और उड़ीसा जैसे राष्ट्रों में बहुत ज्यादा होता है। मुख्य रूप से उड़ीसा में रथ सप्तमी को माघ सप्तमी के रूप में भी मनाया जाता है और अन्य क्षेत्रों में यह सूर्य जयंती के रूप में मनाया जाता है। भगवान सूर्यदेव ने रथ सप्तमी के दिन पूरी दुनिया ज्ञानवर्धन किया था इसे सूर्य देव के जन्म दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
रथ सप्तमी पूरी तरह से भगवान सूर्यदेव को समर्पित होता है। हिन्दू धर्म की परम्परा के अनुसार भगवान सूर्यदेव को सात घोड़ों द्वारा संचालित रथ पर सवार माना जाता है। भगवान सूर्यदेव के इस रूप की पूजा रथ सप्तमी की पूजा के दौरान ही की जाती है। मान्यता के अनुसार महाभारत में भीष्माचार्य ने अपना शरीर छोड़ने और मोक्ष प्राप्त करने के लिए इसी दिन को चुना था। रथ सप्तमी के दौरान सूर्य की ओर पृथ्वी का झुकाव सबसे अधिक होता है। इस दिन किये गये सत्कर्म से हजार गुना अधिक फल प्राप्त होते हैं।
रथ सप्तमी को माघ सप्तमी, जया सप्तमी, सूर्य जयंती, महा सप्तमी, विधान सप्तमी, आरोग्य सप्तमी, मंदार तथा अचला सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है।
रथ सप्तमी पूजा विधि
☸ रथ सप्तमी के दिन प्रातः काल स्नानादि करके सूर्य तथा पितृ पुरूषों को जल अर्पित करें, घर के बाहर सात रंगों की एक रंगोली बनाएं।
☸ रंगोली के मध्य चार मुखी दीपक जलायें तथा चारों मुख प्रज्जवलित करें।
☸ उसके बाद सूर्य देव को लाल पुष्प और शुद्ध मीठा पदार्थ अर्पित करें।
☸ सूर्य देव की पूजा के दौरान गायत्री मंत्र या सूर्य के बीज मंत्रों का जाप करें।
☸ मंत्र जाप करने के बाद गेहूँ, गुड़, तिल, ताँबे के बर्तन तथा लाल वस्त्रों का जरूरतमंदों को दान करें।
☸ उसके बाद घर के सभी लोगों के साथ भोजन ग्रहण करें।
रथ सप्तमी शुभ मुहूर्त
रथ सप्तमी का पर्व 16 फरवरी 2024 शुक्रवार के दिन मनायी जायेगी।
सप्तमी तिथि प्रारम्भः- 15 फरवरी 2024 सुबह 10ः12 मिनट से।
सप्तमी तिथि समाप्तः- 16 फरवरी 2024 सुबह 08ः54 मिनट तक।
रथ सप्तमी स्नान मुहूर्तः- 16 फरवरी 2024 सुबह05ः17 मिनट से सुबह 06ः59 मिनट तक