19 जून से आरम्भ हो रहे गुप्त नवरात्रि में करें माँ भगवती के अनेक रुपों की आराधना शीघ्र मिलेगी सफलता

हिन्दू धर्म में प्रत्येक वर्ष चार नवरात्र आते हैं माघ, चैत्र, आषाढ़ और आश्विन। इन सभी महीनों में से माघ और आषाढ़ माह में आने वाली नवरात्रि को ही गुप्त नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। आपको बता दें गुप्त नवरात्रि के दौरान पूरे 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है। वास्तव में गुप्त नवरात्रि में साधक और तांत्रिकों का देवी की आराधना करने का अत्यधिक महत्व होता है परन्तु बहुत से गृहस्थ जीवन वाले लोग भी गुप्त नवरात्रि को पूरी श्रद्धा से मनाते हैं।

कब होगी शुरुआत गुप्त नवरात्रि की

आषाढ़ माह में पड़ने वाली गुप्त नवरात्रि की शुरुआत 19 जून 2023 से होने वाली है जो कि 28 जून 2023 को समाप्त होगा। इस नवरात्रि में पूरे 10 महाविद्याओं की उपासना की जायेगी। इस वर्ष आषाढ़ माह में गुप्त नवरात्रि की घटस्थापना 19 जून को शुभ मुहूर्त में सुबह 05ः23 मिनट से 07ः27 मिनट तक की जायेगी। अतः इन शुभ ग्रहों में घट स्थापना कर लेना अत्यधिक शुभ फलदायी होता है।

किन 10 महाविद्याओं की होती है पूजा

आषाढ़ माह में पड़ने वाली गुप्त नवरात्रि में इन दिये गये 10 महाविद्याओं की विशेष उपासना की जाती है ये 10 महाविद्याएं इस प्रकार है-

माँ काली

गुप्त नवरात्रि की शुरुआत के पहले ही दिन इस दस महाविद्याओं में माँ काली की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है। माँ की श्रद्धापूर्वक आराधना करने से जातक को अपने सभी विरोधियों पर विजय प्राप्त होती है। माँ काली की पूजा-अर्चना विधिपूर्वक सम्पन्न करने के बाद दिये गये इस मंत्र का जाप अवश्य करें, यह शुभ फलदायी माना जाता है।

मंत्रः- ऊँ क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रीं हूं हूं दक्षिण कालिके क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रीं हूं हूं स्वाहा:।

माँ तारा

गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन माँ तारा की पूजा-अर्चना की जाती है सबसे पहले मान्यता के अनुसार माँ तारा की पूजा ऋषि वशिष्ठ नें की थी। माँ तारा को तांत्रिकों की देवी माना जाता है। माँ तारा की उपासना करने से जातक को आर्थिक उन्नति और मोक्ष की प्राप्ति के अवसर प्राप्त होते हैं।

मंत्रः- ऐं ऊँ ह्रीं क्रीं हूं फट्।

माँ त्रिपुर सुंदरी

गुप्त नवरात्रि के तीसरे दिन माँ त्रिपुर सुंदरी की पूजा-अर्चना की जाती है। माँ सुंदरी को ललित या राज राजेश्वरी के नाम से भी जाना जाता है। माँ त्रिपुर सुंदरी की उपासना करने से जातक को धन, ऐश्वर्य, भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

मंत्रः- श्री ह्रीं क्लीं ऐं सौः ओम ह्रीं क्रीं कए इल ह्रीं सकल ह्रीं सौः ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं नमः।

माँ भुवनेश्वरी

गुप्त नवरात्रि के चौथे दिन माँ भुवनेश्वरी की श्रद्धापूर्वक पूजा आराधना की जाती है। इनकी श्रद्धापूर्वक पूजा करने से जातक को संतान सुख की प्राप्ति होती है।

मंत्रः- ओम ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं सौः भुवनेश्वर्ये नमः या ह्रीं।

माँ छिन्नमस्ता

गुप्त नवरात्रि के पाँचवे दिन माँ छिन्नमस्ता की पूजा-अर्चना की जाती है मान्यता के अनुसार इनकी श्रद्धापूर्वक उपासना करने से जीवन में आयी हुई चिंताएं हमेशा के लिए दूर हो जाती हैं और सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

मंत्रः- श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्रवैरोचनीयै हूं हूं फट् स्वाहाः।

माँ त्रिपुर भैरवी

गुप्त नवरात्रि के छठे दिन माँ त्रिपुर भैरवी की पूजा-अर्चना की जाती है इनकी श्रद्धापूर्वक उपासना करने से जातक अपने जीवन के सभी बंधनों से मुक्त हो जाता है।

मंत्रः- ह सः हसकरी हसे।

माँ धूमावती

गुप्त नवरात्रि के सातवें दिन माँ धूमावती की पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता के अनुसार माँ धूमावती की श्रद्धापूर्वक उपासना करने से जातक के किसी भी प्रकार के संकट जल्द ही दूर हो जायेंगे। एक बात का विशेष ध्यान रखें माँ धूमावती की पूजा विवाहित स्त्रियाँ बिल्कुल भी न करें।

मंत्रः- धूं धूं धूमावती ठः ठः।

माँ बंगलामुखी

गुप्त नवरात्रि के आठवें दिन माँ बंगलामुखी की उपासना की जाती है। माँ की श्रद्धापूर्वक उपासना करने  से जातक पूरी तरह से भय से मुक्त हो जाता है साथ ही उस जातक की बोलने की कला में सिद्धि प्राप्त होती है।

मंत्रः- ओम ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय, जिव्हा कीलय, बुद्धिं विनाश्य ह्लीं ओम स्वाहाः।

माँ मातंगी

गुप्त नवरात्रि के नौवें दिन माँ मातंगी की उपासना की जाती है। मान्यता के अनुसार माँ मातंगी की श्रद्धापूर्वक पूजा-अर्चना करने से जातक के गृहस्थ जीवन में खुशहाली आती है साथ ही दाम्पत्य जीवन में परस्पर प्रेम बढ़ता ही रहता है।

मंत्रः- श्री ह्रीं क्लीं हूं मातंग्यै फट् स्वाहाः।

माँ कमला

गुप्त नवरात्रि के दसवें दिन माँ कमला देवी की उपासना की जाती है मान्यता के अनुसार माँ कमला की श्रद्धापूर्वक आराधना करने से जातक अपने धन तथा संतान सम्बन्धित समस्याओं से छुटकारा पा लेता है।

मंत्रः- ओम श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद-प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।

गुप्त नवरात्रि का महत्व

गुप्त नवरात्रि के महत्वों की बात करें तो चैत्र और शारदीय नवरात्रि की तरह इस नवरात्रि में भी दुर्गा सप्तशती का विधिपूर्वक पाठ किया जाता है इस नवरात्रि में साधक और गुप्त तांत्रिक सिद्धियां प्राप्त करने के लिए तथा अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए 10 महाविद्याओं की साधना करते हैं। अतः इनकी साधना और उपासना को गुप्त ही रखा जाता है इसलिए भी इसे गुप्त नवरात्रि के नाम से जानते हैं। मान्यता के अनुसार गुप्त नवरात्रि में माँ की पूजा करने से जातक के जीवन के सभी दुख और संकट हमेशा के लिए दूर हो जाते हैं साथ ही साधक को मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। इस तरह से साधक गुप्त रुप से माँ भगवती के सभी कड़े नियमों के साथ व्रत और साधना करके माँ को प्रसन्न करते हैं तथा दुर्लभ शक्तियों को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। माँ भगवती अपने सभी भक्त साधकों से प्रसन्न होकर उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।

गुप्त नवरात्रि पूजा विधि

☸आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि पर देवी पूजा करने के लिए सूर्योदय से पहले उठकर साफ-सुथरे होकर स्नानादि करके पवित्र हो जाएं।

☸ पवित्र होने के बाद शुभ मुहूर्त में पूजा वाले पवित्र स्थान पर देवी की मूर्ति एक चैकी पर लाल कपड़ा बिछाकर रख दें और उसे गंगाजल से पवित्र करें।

☸ माँ दुर्गा की पूजा की शुरुआत करने से पहले एक मिट्टी के बर्तन में जौ के बीज बोएं और नवमी तिथि तक हर दिन उसमें पानी का छिड़काव करते रहें, उसके बाद पूरे विधि-विधान से शुभ मुहूर्त में कलश स्थापित करें।

☸ माता की पूजा के लिए कलश स्थापित करके अखंड ज्योति जलाकर दुर्गा सप्तशती का पाठ और उनके मंत्रों का पूरी श्रद्धा के साथ जप करें और अपनी सभी प्रार्थनाएं उनके सामने बोलकर माँ का ध्यान करें आपकी सभी मनोकामनाएं जल्द ही पूरी होंगी।

गुप्त नवरात्रि शुभ मुहूर्त 2023

घटस्थापना 19 जून दिन सोमवार 2023 को होगा।
घटस्थापना मुहूर्तः- सुबह 05ः23 मिनट से, सुबह 07ः27 मिनट तक।
अवधिः- 02 घण्टे 04 मिनट।
घटस्थापना अभिजीत मुहूर्तः- सुबह 11ः55 मिनट से दोपहर 12ः50 मिनट तक।
अवधिः- 56 मिनट

 

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