2023 में हनुमान जी करेंगे आपके सभी कष्ट दूर, रखें यह व्रत और जाने पूजा विधि, कथा और लाभ:-

भगवान शिव के ग्यारहवें अवतार कहे जाने वाले हनुमान जी का व्रत करने से भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण होती है। हनुमान जी बल, पराक्रम, सेवा और भक्ति के आदर्श माने जाते है। सुख-समृद्धि एवं संतान प्राप्ति के लिए मंगलवार का व्रत रखना शुभ होता है। मंगलवार का दिन भगवान हनुमान जी को ही समर्पित है। इसी सभी कारणों से हनुमान जी को सकल गुण निधान भी कहा गया है। हनुमान जी को ही एक ऐसा देवता माना गया है जो सभी युगों मे किसी न किसी रुप में भक्तों के कष्ट हरने के लिए विद्यमान रहते है।

हनुमान जी को समर्पित मंगलवार व्रत की पूजन विधि

☸ हनुमान जी का व्रत लगातार 21 मंगलवार तक करना चाहिए।
☸ मंगलवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि कार्यों से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें।
☸ अब उत्तर-पूर्व कोने मे किसी एकांत स्थान पर हनुमान जी की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करें। गंगाजल से छिटे देकर उनको लाल वस्त्र धारण कराएं।
☸ उसके बाद पुष्प, रोली और अक्षत अर्पित करें तथा चमेली के तेल का दीपक जलाएं।
☸ अब हनुमान जी को फूल अर्पित करें और हाथ में अक्षत और फूल लेकर हनुमान जी की कथा सुनें एवं हनुमान चालीसा एवं सुन्दरकाण्ड का पाठ करें।
☸अब भगवान को भोग लगाएं तथा अपनी मनोकामना पूर्ण करने की प्रार्थना करें और सभी मे प्रसाद वितरण करें। यदि सम्भव हो तो दान भी करें।
☸ शाम के समय हनुमान मन्दिर मे चमेली के तेल का दीपक जलाएं। साथ ही सुन्दरकाण्ड का पाठ करें और उनकी आरती करें।

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जब 21 मंगलवार व्रत पूर्ण हो जाएं तो 22 वें मंगलवार को विधि-विधान के साथ बजरंगबली का पूजा करें तथा उन्हें चोला अर्पित करें तथा इक्कीस (21) ब्राह्मणों को बुलाकर उन्हें भोजन कराएं तथा अपनी क्षमतानुसार दान-दक्षिणा दें।

मंगलवार  व्रत का लाभ

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार हनुमान जी का व्रत करने से कुण्डली में मौजूद सभी ग्रह शांत हो जाते है तथा भगवान की असीम कृपा प्राप्त होती है। संतान प्राप्ति मे आ रही रुकावटें दूर होती है। हनुमान जी अपने भक्तों पर आने वाले हर संकट को  दूर करते है। इसके अलावा यह व्रत करने से भूत-प्रेत और काली शक्तियों का प्रभाव नही पड़ता है। मंगलवार का व्रत करने से सम्मान, साहस और पुरुषार्थ बढ़ता है।

मंगलवार व्रत कथा

प्राचीन समय की बात है किसी नगर में एक ब्राह्मण दंपत्ति रहते थे उनके कोई संतान न होने कारण वह बेहद दुखी थे। हर मंगलवार ब्राह्मण वन में हनुमान जी की पूजा करने जाता था। वह पूजा करके बजरंगबली से एक पुत्र की कामना करता था। उसकी पत्नी भी पुत्र की प्राप्ति के लिए मंगलवार का व्रत करती थी। वह मंगलवार के दिन व्रत के अंत में हनुमान जी को भोग लगाकर ही भोजन करती थी।

एक बार व्रत के दिन ब्राह्मणी ने भोजन नहीं बना पाया और न ही हनुमान जी को भोग लगा सकी तब उसने प्रण किया कि वह अगले मंगलवार को हनुमान जी को भोग लगाकर ही भोग करेगी। वह भूखी प्यासी छह दिन तक पड़ी रही मंगलवार के दिन वह बेहोश हो गई। हनुमान जी उसकी श्रद्धा और भक्ति देखकर प्रसन्न हुए। उन्होंने आशीर्वाद स्वरुप ब्राह्मणी को एक पुत्र दिया और कहा कि यह तुम्हारी बहुत सेवा करेगा। बालक को पाकर ब्राह्मणी बहुत खुश हुई। उसने बालक का नाम मंगल रखा।

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कुछ समय उपरांत जब ब्राह्मण घर आया तो बालक को देख पूछा कि वह कौन ? पत्नी बोली कि मंगलवार व्रत से प्रसन्न होकर हनुमान जी ने उसे यह बालक दिया है। यह सुनकर ब्राह्मण को अपनी पत्नी की बात पर विश्वास नही हुआ। एक दिन मौका पाकर ब्राह्मण ने बालक को कुएं में गिरा दिया। घर पर लौटने पर ब्राह्मणी ने पूछा कि मंगल कहां है ? तभी पीछे से मंगल मुस्कुरा कर आ गया। उसे वापस देखकर ब्राह्मण चौक गया। उसी रात को बजरंगबली ने ब्राह्मण को सपने में दर्शन किए और बताया कि यह पुत्र उन्होंने ही उसे दिया है। सच जानकर ब्राह्मण बुहत खुश हुआ। जिसके बाद से ब्राह्मण दंपत्ति नियमित रुप से मंगलवार व्रत रखने लगे। मंगलवार का व्रत रखने वाले मनुष्य पर हनुमान जी की असीम कृपा होती है।