हिन्दू धर्म के अनुसार दोनो पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित किया गया है तथा इस दिन शिव जी के साथ-साथ माता पार्वती जी की पूजा अर्चना की जाती है। जो व्यक्ति इस व्रत को पूरी निष्ठा और श्रद्धा से करता है। उसके सभी दुखों का नाश होता है एवं उसके जीवन में सुख समृद्धि का आगमन होता है। साथ ही साथ शिव जी की कृपा हमेशा बनी रहती है। प्रदोष व्रत महीने में दो बार आता है। एक कृष्ण पक्ष में एवं दूसरा शुक्ल पक्ष में यह व्रत दोनो ही पक्षो में त्रयोदशी तिथि को ही मनाया जाता है। यह व्रत सूर्यास्त पर निर्भर करता है। इस व्रत की उपासना करने से शिव जी शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते है।
प्रदोष व्रत की पूजा विधि
☸ इस दिन ब्रहम मुहूर्त मे उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
☸इसके बाद दीप प्रज्वलित करके व्रत संकल्प करे तथा पूरे दिन व्रत करने के बाद प्रदोष काल में किसी मंदिर जाकर पूजन करें अथवा घर के स्वच्छ स्थान पर शिवलिंग की स्थापना करके पूजन करें।
☸ इसके बाद शिवलिंग को दूध, दही, घी एवं गंगाजल से अभिषेक करें।
☸ इसके बाद धूप, दीप, फल-फूल, नेवैद्य आदि से शिव जी की विधि पूर्वक पूजा करे।
पूजा का शुभ मुहूर्त
प्रारम्भ तिथिः- 23 सितम्बर 2022 को शाम 04ः15 मिनट से
समापन तिथिः- 24 सितम्बर 2022 को शाम 06ः46 मिनट तक