24 अक्टूबर विजयदशमी, दशहरा और विसर्जन

इस वर्ष विजयदशमी यानी दशहरा का त्योहार 24 अक्टूबर 2023 को मंगलवार के दिन मनाया जायेगा।

अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को भगवान श्री राम जी ने लंकापति रावण का वध करके अधर्म पर पुनः धर्म की स्थापना की थी और इसी दिन को विजयदशमी के रुप में मनाया जाता है। यह भगवान विष्णु जी का प्रभु श्री राम जी के रूप में आठवां अवतार था। इस दिन रावण के अंत पर पूरी दुनिया के लिए बुराई पर अच्छाई के जीत के प्रतीक के रुप में माना जाता है।

दशहरा का महत्व

हिन्दू धर्म की कथा के अनुसार माँ दुर्गा ने पूरे नौ दिन तक महिषासुर से युद्ध किया था और उस दिन उसका संहार किया था। इसके अलावा रावण के द्वारा माता सीता का अपहरण कर लेने के बाद प्रभु श्री राम जी ने अश्विन शुक्ल दशमी तिथि पर प्राप्त माँ दुर्गा जी के दिव्यास्त्र की मदद से उस अहंकारी राक्षस रावण का वध किया था। इस दिन हुए रावण का वध असत्य पर सत्य की जीत के प्रतीक के रुप में जाना जाता है मान्यता के अनुसार दशहरा वाले दिन जो भी भगवान राम और माँ दुर्गा की पूजा अर्चना करता है उन्हें शत्रुओं पर विजय प्राप्त होने का वरदान मिलता है साथ ही उसके सारे कार्य पूरी तरह से सिद्ध हो जाते हैं।

माँ दुर्गा के विसर्जन का महत्व

जैसा कि आपको पता है समस्त सृष्टि पंचतत्वों से बना हुआ है। शास्त्रों के अनुसार हमारा शरीर जल, अग्नि और वायु से मिलकर बना हुआ है। इसी प्रकार से जल भी पंचतत्व है और इसे भी बहुत ज्यादा पवित्र माना गया है ऐसा इसलिए क्योंकि पुराणों में भी जल को ब्रह्मा माना गया है। पूजा पाठ में जल से ही पवित्रीकरण किया जाता है। कहा जाता है इस सृष्टि की शुरुआत से पहले और इस सृष्टि के अंत के बाद इस पूरी सृष्टि में मात्र जल ही जल होगा। जल को ही आरंभ, मध्य और अंत माना जाता है। इसलिए जल में ही त्रिदेवों का वास माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पवित्र जल में ही देवी-देवताओं का विसर्जन किया जाता है ऐसा इसलिए क्योंकि देवी-देवताओं की मूर्ति भले ही जल में विलीन हो जाए परन्तु उनके प्राण मूर्ति से निकलकर सीधे परम ब्रह्म में लीन हो जाते हैं।

क्यों किया जाता है माँ दुर्गा का विसर्जन

मान्यता के अनुसार माना जाता है कि बेटी एक पराया धन होती है और उसे अपने पति के साथ ही उसके घर में रहने के लिए जाना पड़ता है क्योंकि वह उनका ससुराल होता है। जिस तरह से विवाह के बाद बेटियाँ एक मेहमान की तरह मायके आती हैं ठीक उसी तरह से माँ दुर्गा भी इस धरती पर अपने बच्चों के पास मायके आती हैं और सृष्टि पर कुछ समय बिता लेने के बाद वापस अपने पति भगवान शिव जी के पास यानि अपने ससुराल चली जाती हैं। इसी पल को माँ दुर्गा जी के नवरात्रि के समापत हो जाने के बाद विसर्जन के रुप में मनाया जाता है। विसर्जन से पहले माँ दुर्गा का पूरी तरह से श्रृंगार किया जाता हैै सभी महिलाएं एक दूसरे के मांग और चूड़ी पर सिंदूर लगाती हैं जिसे समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।

उसके बाद सभी भक्त माँ दुर्गा की मूर्ति विसर्जन करते हैं विसर्जन के बाद हर कोई भावुक हो जाता है और फिर पंडाल का माहौल अचानक से बदल जाता है। सभी भक्त उस दिन माता के गीत गाकर उनकी विदाई पूरे उत्साह के साथ करते हैं और अगले वर्ष फिर उनके आने के लिए प्रार्थनाएं करते हैं।

विजयादशमी शुभ मुहूर्त

विजयादशमी 24 अक्टूबर 2024 को मंगलवार के दिन मनाया जायेगा।
शुभ मुहूर्तः दोपहर 1 बजे से 03ः28 मिनट तक।
दशमी तिथि प्रारम्भः 23 अक्टूबर 2023, शाम 5ः44 मिनट से,
दशमी तिथि समाप्तः 24 अक्टूबर 2023 दोपहर 03ः14 मिनट तक।

🌟 Special Offer: Buy 1 Get 10 Astrological Reports! 🌟

Unlock the secrets of the stars with our limited-time offer!

Purchase one comprehensive astrological report and receive TEN additional reports absolutely free! Discover insights into your future, love life, career, and more.

Hurry, this offer won’t last long!

🔮 Buy Now and Embrace the Stars! 🔮