हिन्दू धर्म के होने वाले सभी महत्वपूर्ण त्योहारों में रंग पंचमी का त्योहार भी अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। रंग पंचमी का यह त्योहार प्रतिवर्ष चैत्र कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। आपको बता दें यह पर्व होली के पावन पर्व के पाँच दिन मनाया जाने वाला त्योहार होता है। चूँकि चैत्र कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से ही होली का पावन पर्व आरम्भ हो जाता है और आरम्भ होने के बाद यह पंचमी तिथि तक चलता है। पंचमी तिथि के पड़ने के कारण ही इसे रंग पंचमी का पर्व भी कहा जाता है। रंग पंचमी का पर्व हिन्दूओं के लिए अत्यधिक धार्मिक महत्व रखता है। यह मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश तथा उत्तर भारत के जितने भी क्षेत्र हैं वहाँ उत्साह के साथ मनाया जाता है। वृन्दावन और मथुरा के सभी धार्मिक स्थलों पर रंग पंचमी का उत्सव होली के समापन होने का एक प्रतीक होता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार रंग पंचमी के दिन लोग गुलाल को हवा में उड़ाकर ही भगवान जी को अर्पित करते हैं। अन्य धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उड़ते हुए गुलाल से देवी-देवता अत्यधिक प्रसन्न होते हैं साथ ही अपने भक्तों को आशीर्वाद देकर सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करते हैं।
रंग पंचमी के त्योहार का महत्व
रंग पंचमी के त्योहार का हिन्दू धर्म में अत्यधिक महत्व होता है इस दिन हमारी पृथ्वी के वातावरण में चारो ओर अबीर और गुलाल उड़ता हुआ प्रतीत होता है। इस दिन का सबसे बड़ा महत्व यह होता है कि इस दिन तामसिक और राजसिक गुणों का पूरी तरह से नाश हो जाता है। इसके अलावा एक सकारात्मकता का संचार भी होता दिखाई देता है। शास्त्रों के अनुसार इस त्योहार को अनिष्टकारी शक्तियों से विजय पाने का दिन कहा जाता है यह पर्व समाज में रह रहें लोगों के आपसी प्रेम और सौहार्द को दर्शाता है।
कैसे मनाया जाता है रंग पंचमी का यह पर्व
रंग पंचमी के त्योहार के दिन सभी भक्त राधा और कृष्ण जी को अबीर और गुलाल चढ़ाकर उनकी पूजा करते हैं। रंग पंचमी के दौरान कई राज्यों में जुलूस भी निकाला जाता है और उसी जुलूस में उत्साह से गुलाल उड़ाये जाते है। मान्यता के अनुसार भरी जुलूस में अबीर और गुलाल उड़ाने से वातावरण पवित्र हो जाता है साथ ही इन रंग-बिरंगे गुलालों से खेलने के कारण देवी-देवता भी खुबसूरती की तरफ आकर्षित होते हैं। अबीर और गुलाल उड़ाने से हमारी पृथ्वी के वायुमण्डल में एक सकारात्मक और धार्मिक प्रवाह की उत्पत्ति होती है। धार्मिक और पौराणिक मान्यता के अनुसार जब यह अबीर लोगों के शरीर से स्पर्श करता है तो इससे लोगों के विचारों के साथ-साथ उनके व्यक्तित्व में भी पाॅजिटिविटी आती है साथ ही उनके सभी पिछले जन्म में किये गये पाप कर्मों का भी नाश हो जाता है।
रंग पंचमी के दिन करें माँ लक्ष्मी जी की पूजा
☸ रंग पंचमी के पर्व के दिन माता लक्ष्मी जी की पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व होता है।
☸ पूजा आरम्भ करने से पहले प्रातः काल जल्दी जगकर जल में गंगाजल के साथ एक चुटकी हल्दी डालकर स्नानादि करें।
☸ पूजा के दौरान भगवान श्री विष्णु जी के साथ माता लक्ष्मी जी की तस्वीर रखें और गुलाब के पुष्प और माला अवश्य अर्पित करें।
☸ उसके बाद खीर, मिश्री, गुड़ और चने का भोग अवश्य लगाएं।
☸ भोग लगाने के बाद एक स्वच्छ आसन पर बैठकर स्फटिक या कमलगट्टे की माला से ओम श्रीं श्रीये नमः के मंत्रों का जाप करें।
☸ विधिपूर्वक पूजा-अर्चना कर लेने के बाद माँ लक्ष्मी जी की आरती करें।
☸ अंत में पूजा समाप्त हो जाने के बाद घर के हर कोने में छिड़के और धन रखे जाने वाले स्थान पर भी जल छिड़के ऐसा करने से धन आने के सभी रास्ते खुलेंगे साथ ही जीवन में हमेशा बरकत होगी।
रंग पंचमी शुभ मुहूर्त
30 मार्च 2024 को रंग पंचमी का त्योहार शनिवार के दिन मनाया जायेगा।
पंचमी तिथि प्रारम्भः- 29 मार्च 2024 को रात्रि 08ः20 मिनट से,
पंचमी तिथि समाप्तः- 30 मार्च 2024 को रात्रि 09ः13 मिनट तक।