ज्योतिषशास्त्र के अनुसार शनिदेव को बहुत ही धीमी गति से चलने वाला ग्रह माना जाता है तथा शनिदेव को ही व्यक्ति के किये जाने वाले शुभ या अशुभ कर्मों का फल देने वाला देवता माना जाता है। वर्तमान समय मे शनिदेव वक्री है परन्तु 4 नवम्बर 2023 को 08 बजकर 26 मिनट पर यह कुंभ राशि में मार्गी हो जायेंगे। ऐसे में शनि ग्रह की मार्गी स्थिति कुछ राशि वाले जातको के लिए बहुत अच्छी होगी तो कुछ के लिए बेहद ही खराब हो सकती है तो आइए हम राशि अनुसार देखते हैं कि इन पर शनिदेव का प्रभाव कैसा रहेगा।
शास्त्रों के अनुसार शनिदेव को न्यायधीश की संज्ञा दी गई है। सूर्य पुत्र शनिदेव को मृत्यु लोक का स्वामी भी माना जाता है। शनिदेव समय आने पर व्यक्ति के अच्छे और बुरे कर्मों के फल के आधार पर ही सजा देकर उसे सुधारने के लिए प्रेरित करते हैं। शनि ग्रह की मजबूत स्थिति में जातक को सभी सुख-सुविधा, संतुष्टि, उत्तम स्वास्थ्य तथा मजबूत दिमाग का वरदान प्राप्त होता है।
राशि अनुसार शनि का कुम्भ राशि में मार्गी होने का फल
मेष राशि
मेष राशि वाले जातकों के लिए शनिदेव दशम तथा एकादश भाव के स्वामी हैं तथा आपकी कुण्डली में मार्गी गति की अवस्था के दौरान यह एकादश भाव में उपस्थित है। ऐसे में शनि की मार्गी गति के कारण आप अपना कोई भी निर्णय बहुत ही बुद्धिमानी से लेंगे। अपने कार्य क्षेत्र में निवेश करने के लिए बहुत स्पष्टता से निर्णय लेंगे जिसमे आपको संतुष्टि मिलेगी शनिदेव के मार्गी होने के दौरान कार्यक्षेत्र में पदोन्नति होगी जिससे आप सफलता प्राप्त करेंगे। इस दौरान नौकरी में कुछ परिवर्तन हो सकते हैं साथी साझेदारी में किये गये कार्य-व्यवसाय में आपको सफलता मिलेगी। शनि की मार्गी अवस्था में आर्थिक रूप से लाभ प्राप्त होगा साथ ही धन संचय करने में भी आप सफल होंगे। अपने परिवार और जीवनसाथी के साथ अच्छी समझ स्थापित करेंगे तथा अपने रिश्ते को मजबूत करने में भी कामयाब होंगे। शनि की मार्गी अवस्था के दौरान आपका स्वास्थ्य उत्तम बना रहेगा जिससे आप अपने जीवन में संतुष्ट रहेंगे। इस समय आप स्वयं को आरामदायक महसूस करेंगे। ध्यान, योग इत्यादि के द्वारा ध्यान केन्द्रित करने में आपको सहायता मिलेगी।
उपायः- प्रतिदिन ओम भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का 41 बार जाप करें।
वृषभ राशि
वृषभ राशि के जातक के लिए शनिदेव आपकी कुण्डली के नवम और दशम भाव के स्वामी हैं। अपने मार्गी अवस्था में शनिदेव आपकी कुण्डली में दशम भाव में स्थित है। ऐसे में शनिदेव के मार्गी होने के दौरान आपको कार्य-व्यवसाय में अपने सहकर्मियों का सहयोग मिलेगा। कार्य क्षेत्र में सफलता प्राप्त होगी साथ ही पदोन्नति होने की भी संभावना है। व्यवसाय के क्षेत्र में नये अवसर प्राप्त हो सकते हैं। साझेदारी में किये गये व्यापार से आपको लाभ प्राप्त होगा तथा मुनाफा कमाने के लिए समय अनुकूल है। आर्थिक रूप से शनिदेव के मार्गी होने के दौरान धन कमाने और संचित करने में सफल होंगे। नौकरी के नये अवसर प्राप्त हो सकते हैं। अपने परिवार और जीवनसाथी के साथ अनुकूल समय व्यतीत करने का मौका मिलेगा। स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से शनि की मार्गी स्थिति उत्तम रहने वाली है। रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होगी तथा स्वास्थ्य उत्तम बना रहेगा।
उपायः- प्रतिदिन ओम आदित्याय नमः का जाप करें।
मिथुन राशि
मिथुन राशि के जातकों के लिए शनिदेव अष्टम तथा नवम भाव के स्वामी हैं। अपने मार्गी अवस्था के दौरान शनिदेव आपकी कुण्डली के नवम भाव में स्थित होंगे। ऐसे में मार्गी अवस्था के दौरान आपके पिता के स्वास्थ्य को लेकर धन खर्च हो सकता है जिसके कारण आप चिंतित रहेंगे। इस समय आपके खर्चे अधिक होंगे जिससे धन संचय कर पाने में भी आप नाकामयाब होंगे। व्यवसाय के क्षेत्र में अत्यधिक परिश्रम करने के बाद ही आपको लाभ प्राप्त होगा। स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से देखें तो शनि के मार्गी होने के दौरान शरीर में ऊर्जा की कमी महसूस हो सकती है जिससे पैरों में दर्द तथा कुछ अन्य परेशानियों का सामना भी करना पड़ सकता है।
उपायः- ओम बुधाय नमः का प्रतिदिन 41 बार जाप करें।
कर्क राशि
कर्क राशि वाले जातकों के लिए शनिदेव आपकी कुण्डली के सप्तम और अष्टम भाव के स्वामी हैं। अपने मार्गी अवस्था के दौरान आपकी कुण्डली में शनिदेव अष्टम भाव में उपस्थित रहेंगे। ऐसे में आपको लाभ और सफलता की प्राप्ति नहीं होगी। कार्य-व्यवसाय को लेकर दबाव बना रहेगा। नौकरी में परिवर्तन लाने का विचार कर सकते हैं। आर्थिक दृष्टिकोण से धन को लेकर कुछ कमियों का सामना करना पड़ सकता है। खर्चों में उतार-चढ़ाव लगा रहेगा। धन प्राप्ति में विलम्ब हो सकता है। जीवनसाथी के साथ अच्छे रिश्ते बनाने में असफल होंगे। स्वास्थ्य कमजोर होने के कारण बार-बार बीमार पड़ सकते हैं। शनि की मार्गी अवस्था के दौरान आपके पैरों में दर्द तथा सूजन की समस्या भी हो सकती है।
उपायः-भगवान शिव जी का सोमवार के दिन आराधना करके उनके नाम से यज्ञ या हवन करें।
सिंह राशि
सिंह राशि वाले जातकों के लिए शनिदेव षष्ठम तथा सप्तम भाव के स्वामी हैं। शनिदेव अपने मार्गी अवस्था में आपकी कुण्डली के सप्तम भाव में उपस्थित रहेंगे। इस दौरान कार्य-व्यवसाय में आपको उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है। नौकरी में परिवर्तन लाने का विचार कर सकते हैं। आर्थिक रूप से यात्रा के दौरान आपको धन हानि का सामना करना पड़ सकता है। जीवनसाथी तथा स्वास्थ्य पर धन खर्च हो सकता है। शनिदेव के मार्गी होने के दौरान लेन-देन करना नुकसानदायक हो सकता है। परिवार और प्रेम जीवन में भी कुछ परेशानियाँ आ सकती है। ऐसे में धैर्य और सहनशीलता बनाये रखें। पैरों और जाँघों में दर्द की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
उपायः- माँ दुर्गा के नाम से यज्ञ या हवन करें।
कन्या राशि
कन्या राशि वाले जातकों के लिए शनिदेव पंचम तथा षष्ठम भाव के स्वामी हैं। अपने मार्गी अवस्था में शनिदेव आपकी कुण्डली के छठे भाव में स्थित हैं। इस दौरान आपको नौकरी के नये अवसर प्राप्त होंगे। विदेश यात्रा करने का मौका मिल सकता है। व्यवसायिक कार्यों में आपको भाग्य का पूरा सहयोग मिलेगा। आर्थिक रूप से आप पैसा कमाने और पैसा बचाने में सफल होंगे। विदेशों से धन लाभ प्राप्त करने के संकेत मिल रहे हैं। जीवनसाथी के पक्ष में रिश्ते अनुकूल रहेंगे। स्वास्थ्य सम्बन्धित कोई समस्या नही होगी। आपका स्वास्थ्य उत्तम रहेगा।
उपायः- शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए यज्ञ और हवन करें।
तुला राशि
तुला राशि वाले जातकों की कुण्डली में शनिदेव चतुर्थ और पंचम भाव के स्वामी हैं। शनिदेव अपनी मार्गी अवस्था में आपकी कुण्डली के पंचम भाव में उपस्थित रहेंगे। इस दौरान आप कठिन से कठिन कार्यों को भी पूरा करने में सक्षम होंगे। कार्य-व्यवसाय में पदोन्नति मिलेगी। नौकरी में परिवर्तन होने की संभावना है। आर्थिक दृष्टिकोण से धन बचा पाने में सक्षम होंगे। जीवनसाथी के साथ आपसी समझ मजबूत होंगे। स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से यह समय आपके लिए अनुकूल रहेगा। शनिदेव के मार्गी अवस्था में आपके अन्दर और उत्साह बना रहेगा।
उपायः- केतु की शांति के लिए हवन करें।
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि वाले जातकों के लिए शनिदेव तृतीय और चतुर्थ भाव के स्वामी हैं। शनिदेव अपने मार्गी अवस्था के दौरान आपकी कुण्डली के चतुर्थ भाव में स्थित होंगे। इस दौरान आपका जीवन व्यस्तता से पूर्ण रहेगा। परिवार में वाद-विवाद की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। कार्य-व्यवसाय के क्षेत्र में अपने वरिष्ठों के कारण कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। आर्थिक रूप से औसत लाभ प्राप्त होगा तथा धन संचय करने में भी असफल होंगे। खर्च की अधिकता रहेगी। पारिवारिक समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण स्वास्थ्य से सम्बन्धित समस्या हो सकती है।
उपायः- ओम मांडाय नमः मंत्र का 41 बार श्रद्धापूर्वक जाप करें।
धनु राशि
धनु राशि वाले जातक की कुण्डली में शनिदेव द्वितीय तथा तृतीय भाव के स्वामी हैं। शनिदेव अपने मार्गी अवस्था में आपकी कुण्डली के द्वितीय भाव में उपस्थित होंगे। इस दौरान आपके परिवार तथा आर्थिक क्षेत्रों मे अनुकूल परिणाम मिलेंगे। आपकी प्रगति में बाधाएँ आ सकती हैं। कार्य-व्यवसाय में आगे बढ़ने के लिए धैर्य रखना होगा। अत्यधिक मेहनत करने के बाद धन लाभ होगा। जीवनसाथी के साथ आपके रिश्ते अनुकूल रहेंगे। रिश्तों में आपसी समझ बढ़ेगी। आप दोनों साथ में खुशी भरे पल व्यतीत करेंगे। आपका स्वास्थ्य उत्तम रहेगा।
उपायः- प्रतिदिन ओम नमः शिवाय मंत्र का 41 बार जाप करें।
मकर राशि
मकर राशि वाले जातकों की कुण्डली में शनिदेव प्रथम तथा द्वितीय भाव के स्वामी हैं। ऐसे में शनिदेव आपके द्वितीय भाव में उपस्थित रहेंगे। इस दौरान आपको अत्यधिक धन कमाने का अवसर प्राप्त होगा। कार्य-व्यवसाय में नई नौकरी करने के अवसर प्राप्त होंगे। विदेशों से भी आपके लिए नौकरी के अवसर आ सकते हैं। व्यापारिक समझौते होने के कारण आपको उच्च लाभ प्राप्त हो सकता है। जीवनसाथी के साथ आपके रिश्ते मजबूत होंगे। शनिदेव के मार्गी होने के दौरान जीवनसाथी के साथ खुशी के पल व्यतीत करेंगे। आपका स्वास्थ्य अनुकूल रहेगा।
उपायः- शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए काल भैरव यज्ञ का हवन करें।
कुंभ राशि
कुंभ राशि वाले जातकों की कुण्डली में शनिदेव पहले और द्वादश भाव के स्वामी हैं, ऐसे मे शनिदेव मार्गी होने के दौरान आपकी कुण्डली के प्रथम भाव में ही उपस्थित होंगे। इस दौरान आपको जाँघों और आँखों में दर्द की समस्या उत्पन्न हो सकती है। कार्य-व्यवसाय को लेकर लम्बी दूरी की यात्रा करनी पड़ सकती है। आर्थिक रूप से लाभ प्राप्त होगा परन्तु बचत कर पाने में असफल होंगे। खर्च की अधिकता रहेगी परिवार में वाद-विवाद की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। जीवनसाथी के साथ बहस होने की संभावना बन सकती है जिससे खुशियों में कमी आ सकती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी आने के कारण नींद में कमी आयेगी तथा पैरों में दर्द भी रहेगा।
उपायः- नियमित रूप से ओम भास्कराय नमः मंत्र का जाप करें।
मीन राशि
मीन राशि वाले जातकों के लिए शनिदेव एकादश और द्वादश भाव के स्वामी हैं। वक्री अवस्था में शनिदेव आपकी कुण्डली के द्वादश भाव में ही उपस्थित रहेंगे। इस दौरान आपको लाभ के साथ-साथ खर्च भी उठाने पड़ सकते हैं। कार्य-व्यवसाय में अच्छे परिणाम हासिल नहीं होंगे। व्यापार में आपको नुकसान झेलना पड़ सकता है। आर्थिक दृष्टिकोण से लाभ कम तथा नुकसान ज्यादा उठाना पड़ सकता है। जीवनसाथी से सुख की प्राप्ति नहीं होगी। स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से आपको कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। पैरों तथा आँखों में जलन हो सकता है ऐसे में अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान दें।
उपायः- बृहस्पतिदेव की पूजा करें।