महाविद्या स्त्रोत क्या है, इसे करने से क्या होता है ?

सर्वप्रथम आज हम जानेगें की महाविद्या स्त्रोत क्या है, इसे करने से क्या होता है ? पराम्बा जगदम्बा महाविद्या की उपासना इस कलिकाल में सर्वश्रेष्ठ महत्वपूर्ण एवं शीघ्र फलदायक है।

समस्त विघ्न बाधाओं तथा अनिष्ट ग्रहों की शान्ति एवं शत्रु विनाशक के लिए महाविद्या स्त्रोत बहुत ही उपयोगी ग्रंथ है।

इसके द्वारा स्तोत्र पाठ, जप एवं मंत्रानुष्ठान से शीघ्र अतिशीघ्र कार्य सिद्ध होता है। घर में भूत, प्रेतादि विघ्न बाधाओं के लिए तो रामबाण सिद्ध है।

परिणामे महाविद्या महादेवस्य सन्निधौ।
एकविंशतीवारेण पठित्वा सिद्धिमाप्रुयात्।।
स्त्रियो वा पुरूषो वाडषी पापं भस्म समाचरेत।
दुष्टानां मारणं चैव सर्वग्रहनिवारणम्।
सर्व कार्य सिद्धिस्यात प्रतशान्तिः विशेषतः।।

अर्थात-  महादेव जी के समीप इस महाविद्या का पाठ करने से साधक को सभी कार्यों में सिद्धि प्राप्त होता है।

स्त्री या पुरूष सभी के पाप नष्ट होते है तथा दुष्टजनों का मारण समस्त पाप ग्रहों का निवारण और समस्त कार्यों में सिद्धि विशेष कर प्रेत बाधा आदि की शान्ति होती है।

इस महाविद्या ग्रंथ में दस महादेवी हैं

काली, तारा, छिन्नमस्ता, षोडसी, भुवनेश्वरी, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बंग्लामुखी, मातंगी और कमला।

श्री भैरवीतंत्रे शिवप्रोक्ता महाविद्या स्त्रोत:

अर्थात-  शिव (महादेव) द्वारा कहा हुआ। भैरवी तंत्र में वर्णित है।

महाविद्या स्त्रोत क्या है, इसे करने से क्या होता है ? 1

महाविद्या मंत्र

हुँ श्रीं हृीं वज्रवैरोचनीये हुँ हुँ फट् स्वाहा ऐं।

तदन्तर श्रद्धा भक्ति पूर्वक दत्तचीत हो पर्यन्त महाविद्या का पाठ करें।

महाविद्या के एक श्लोक के माध्यम से यह भी सत्य है की

श्लोक

गग्डादि पुलीने जाता पर्वते च वनात्तरे।
रूद्रस्य हृदये जाता विद्याऽं कामरूपिणी।।

अर्थात- गंगा, यमुना, सरस्वती आदि में हिमालय, विन्घ्य आदि पर्वत में दण्डकारव्य आदि के मध्य एवं आशुतोष भगवान रूद्र के हृदय में मै स्वच्छन्द रूप से महाविद्या स्वरूप उत्पन्न हुई।

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