गृहारंभ मुहूर्त, Griharambha Muhurat

आइए जानें ज्योतिषाचार्य के.एम.सिन्हा द्वारा गृहारंभ मुहूर्त के बारे में

गृह निर्माण का शुभारंभ शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए जिसे गृह निर्माण का कार्य समय पर एवं निर्मित पूरा हो जायें। गृहारंभ व गृह प्रवेश के समय कुल देवता, गणेश जी, क्षेत्रपाल, वास्तु देवता व दिक्पति की विधिवत पूजा करनी चाहिए। गृह निर्माण करते समय विभिन्न मुर्हूतों का अवश्य ही ध्यान रखना चाहिए।

गृह निर्माण के शुभ मुहूर्त को लेकर विभिन्न मत सामने आते हैं। एक आम मान्यता है कि आषाढ़ शुक्ल से कार्तिक शुक्ल के बीच घर का निर्माण शुरू नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह माना जाता है कि भगवान विष्णु इन चार महीनों में सोते हैं। आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक के इस समय को ‘चातुर्मास’ कहा जाता है। इस अवधि में इस मान्यता को मानने वाले लोग न तो शादियों में शामिल होते हैं, न ही घर का निर्माण करते हैं और न ही नया व्यवसाय शुरू करते हैं।

☸ धुव्र तारे को स्मरण कर मकान की नींव रखनी चाहिए एवं रविवार, मंगलवार, रात्रि एवं सायंकाल को छोड़कर गृह निर्माण का कार्य प्रारम्भ करना चाहिए।

☸ गृह, देवालय व जलाशय निर्माण प्रारम्भ देव प्रबोधिनी एकादशी के बाद एवं देवशयनी एकादशी के मध्य करना श्रेय कर होता है।

☸ चैत्र माह में गृहारंभ करने से शोक की प्राप्ति होती है।

☸ वैशाख माह में गृहारंभ करने से धन लाभ की प्राप्ति होती है।

☸ ज्येष्ठ माह में गृहारंभ करने से जीव हानि की प्राप्ति होती है।

☸ आषाढ़ माह  में गृहारंभ करने से पशु धन हानि की प्राप्ति होती है।

☸ श्रावण माह में गृहारंभ करने से पशु लाभ की प्राप्ति होती है।

☸ भाद्रपद माह में गृहारंभ करने से मित्र हास्य की प्राप्ति होती है।

☸ आश्विन माह में गृहारंभ करने से द्वेष की प्राप्ति होती है।

☸ कार्तिक माह में गृहारंभ करने से धन एवं आरोग्य की प्राप्ति होती है।

☸ मार्गशीर्ष माह में गृहारंभ करने से उत्तम धान्य लाभ की प्राप्ति होती है।

☸ पौष माह में गृहारंभ करने से अग्नि भय की प्राप्ति होती है।

☸ फाल्गुन माह में गृहारंभ करने से सर्व समृद्धि एवं वंश वृद्धि की प्राप्ति होती है।