चंद्रदर्शन का पौराणिक महत्व और धार्मिक विधि

चंद्रदर्शन का महत्त्व

चंद्रदर्शन का हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व है। चंद्रमा को देवता समान माना जाता है और यह अमावस्या के बाद द्वितीया तिथि को विशेष रूप से पूजा जाता है। भगवान शंकर की जटाओं में द्वितीया का चंद्र विराजमान होने से इसका आध्यात्मिक और शारीरिक महत्त्व और भी बढ़ जाता है।

इस दिन क्या करते हैं?

पूजा और उपवास

हिंदू धर्म में चंद्रदर्शन का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान चंद्रमा की पूजा पूरी श्रद्धा के साथ की जाती है। चंद्रमा का दर्शन करना बहुत ही फलदायी और भाग्यशाली माना जाता है। भक्त इस दिन उपवास रखते हैं और पूरे दिन किसी भी प्रकार का भोजन ग्रहण नहीं करते हैं। चांद दिखने के बाद ही उपवास समाप्त किया जाता है और पूरी श्रद्धा भाव से प्रार्थना की जाती है।

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चंद्रदर्शन का पौराणिक महत्व और धार्मिक विधि 1चंद्रदर्शन का पौराणिक महत्व और धार्मिक विधि 2

दान

इस दिन दान देने को बहुत ही शुभ माना जाता है। ब्राह्मणों को चीनी, चावल और सफेद कपड़े दान करना विशेष रूप से लाभदायक माना जाता है।

चंद्रदर्शन से संबंधित अनुष्ठान

कई प्रांतों, खासकर दक्षिण भारतीय महिलाएं, इस दिन व्रत रखती हैं ताकि अपने पति और बच्चों की लंबी उम्र के लिये ईश्वर का आशीर्वाद मिल सके। इस दिन चंद्रमा देव की पूजा पूरी श्रद्धा के साथ की जाती है और उनका आशीर्वाद लिया जाता है। उपवास के दौरान भक्त पूरे दिन किसी भी प्रकार का भोजन ग्रहण नहीं करते हैं। चांद दिखने के बाद ही उपवास समाप्त किया जाता है और साथ ही पूरी श्रद्धा भाव के साथ प्रार्थना की जाती हैं।

चंद्रदर्शन का ज्योतिषीय महत्व By Famous Astrologer K.M.Sinha

चंद्रदर्शन का ज्योतिष शास्त्र में भी विशेष महत्व है। इस दिन चंद्रमा और सूर्य दोनों समान क्षितिज पर स्थित होते हैं, इस कारण चंद्रदर्शन सूर्यास्त के बाद ही संभव होता है। द्वितीया तिथि चंद्रमा की दूसरी कला है। इस कला का अमृत कृष्ण पक्ष में स्वयं सूर्यदेव पी कर स्वयं को ऊर्जावान रखते हैं व शुक्ल पक्ष में पुनः चंद्रमा को लौटा देते हैं। यदि किसी जातक की जन्मपत्री में चंद्रमा नीच का है तो उसे मानसिक तनाव से छुटकारा पाने के लिए इस दिन चंद्र भगवान की पूजा करनी चाहिए।

चंद्रदर्शन का स्वास्थ्य लाभ

चंद्रदर्शन का ना केवल धार्मिक महत्व होता है बल्कि यह शरीर को स्वस्थ रखने में भी सहायक है। उपवास रखने से मानव शरीर में वात, पित्त और कफ के तत्वों में संतुलन पैदा होता है जिससे रोगों का नाश होता है।

चंद्रदर्शन की पूजा विधि

संध्या के समय चंद्र देव का दशोपचार पूजन करें। गौघृत का दीपक जलाएं, कर्पूर जलाकर धूप करें, सफेद फूल, चंदन, चावल और इत्र चढ़ाएं, खीर का भोग लगाएं और पंचामृत से चंद्रमा को अर्घ्य दें। सफेद चंदन की माला से 108 बार इस विशेष मंत्र का जाप करें:

ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृत तत्वाय धीमहि, तन्नो चन्द्र: प्रचोदयात॥

चंद्र दर्शन मुहूर्त

संध्या के समय चंद्र दर्शन का समय शाम 5:30 से 6:30 तक होता है। चंद्र पूजन मुहूर्त शाम 6:00 से 7:00 तक होता है।

उपाय

मानसिक विकार से मुक्ति हेतु जल में अपनी छाया देखकर चंद्र देव पर चढ़ाएं।

माता के स्वास्थ्य में सुधार के लिए चंद्र देव पर चढ़ी शतावरी माता को भेंट करें।

चंद्रदर्शन का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है और यह धार्मिक, ज्योतिषीय और स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। इस दिन का पालन श्रद्धा और भक्ति के साथ करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

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