कौन हैं शमी और मदार? श्रापित वृक्षों की पौराणिक कथा

शमी और मदार, दो पौधे जिनका शिव पूजा में विशेष स्थान है, वास्तुशास्त्र में भी इन्हें अत्यंत शुभ माना जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये दोनों पौधे वास्तव में श्रापित वृक्ष हैं? पौराणिक कथा के अनुसार एक श्राप के कारण इन्हें वृक्ष बनना पड़ा था। आइए जानते हैं इनकी कहानी और इनका धार्मिक महत्व।

शमी और मदार की पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, शमी ऋषि ओरा की बेटी थीं और मदार ऋषि धौम्य के पुत्र थे। शमी और मदार का विवाह हुआ, लेकिन विवाह के बाद मदार शिक्षा ग्रहण करने के लिए सोनक ऋषि के आश्रम में चले गए। जब मदार अपनी शिक्षा पूरी करके युवावस्था में पहुंचे, तो वे अपनी पत्नी शमी को लेकर आशीर्वाद के लिए सोनक ऋषि के पास गए।

मार्ग में उन्हें गणेश जी के अनन्य भक्त भृसंदी ऋषि का आश्रम मिला। भृसंदी ऋषि को गणेश जी का वरदान प्राप्त था, जिसके कारण उनका मुख गजमुख के समान हो गया था। शमी और मदार को इस वरदान की जानकारी नहीं थी, और उन्होंने भृसंदी ऋषि के गजमुख को देखकर उपहास किया।

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श्राप और उद्धार

अपने गजमुख का उपहास होते देख भृसंदी ऋषि क्रोधित हो गए और उन्होंने शमी और मदार को श्राप दिया कि वे ऐसे वृक्ष बन जाएं जिन्हें कोई पशु-पक्षी न खा सके और न ही उनके पास आए। इस श्राप से दुखी शमी और मदार ने ऋषि से माफी मांगी और श्राप मुक्त करने की प्रार्थना की।

भृसंदी ऋषि, श्राप को वापस लेने में असमर्थ थे, इसलिए उन्होंने गणेश जी से प्रार्थना की। गणेश जी ने अपने भक्त की लाज रखते हुए शमी और मदार को वरदान दिया कि वे तीनों लोकों में पूज्य होंगे और भगवान शिव की पूजा इन दोनों के बिना अधूरी होगी। साथ ही, जहां ये दोनों वृक्ष होंगे, वहां गणेश जी स्वयं रिद्धि और सिद्धि के साथ वास करेंगे।

धार्मिक महत्व और पूजा विधि

शमी और मदार का धार्मिक महत्व अत्यधिक है। शिव पूजा में इनका उपयोग अनिवार्य माना जाता है। शमी के पत्तों को शिवलिंग पर चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और मदार के फूलों का उपयोग भी विशेष महत्व रखता है। वास्तुशास्त्र में भी शमी और मदार को घर में लगाने के कई लाभ बताए गए हैं, ये पौधे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं और शुभता लाते हैं।

निष्कर्ष

शमी और मदार, जिनका शिव पूजा में विशेष स्थान है, वे केवल पौधे नहीं हैं बल्कि पौराणिक कथाओं से जुड़ी महत्वपूर्ण धार्मिक धरोहर हैं। इनका श्रापित वृक्ष बनना और फिर गणेश जी द्वारा इन्हें पूज्य बनाने का वरदान, इनकी महत्ता को और बढ़ा देता है। इसलिए, जब भी आप शिव पूजा करें, इन पौधों का महत्व अवश्य समझें और इन्हें पूजा में शामिल करें।

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