Ganesh Chaturthi 2024: गणेश चतुर्थी पर बन रहे हैं कई दुर्लभ और मंगलकारी योग

गणेश चतुर्थी का महापर्व

गणेश चतुर्थी का महापर्व हिन्दू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण है। यह पर्व भगवान गणेश की पूजा और आराधना के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व को भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है, इस दिन भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना की जाती है, उनकी पूजा और की जाती है, उन्हें प्रसाद के रूप में फल, मिठाई आदि चढ़ाई जाती है। इस पर्व का मुख्य उद्देश्य भगवान गणेश की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करना होता है। गणेश उत्सव दस दिनों तक चलता है। सामान्यतः लोग एक या पांच दिनों के लिए गणपति बप्पा को घर लाते हैं। वहीं, सार्वजनिक स्थानों पर दस दिनों तक गणेश भगवान की पूजा और सेवा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान गणेश की पूजा से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है।

गणेश चतुर्थी का महत्व

हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी का महत्व बहुत उच्च है । यह पर्व भगवान गणेश को समर्पित है, जिन्हें सर्वप्रथम पूजनीय माना जाता है। गणेश जी को विज्ञान, विद्या, बुद्धि, शुभकामनाओं और विघ्नहर्ता के रूप में पूजा जाता है। इस दिन के अद्वितीय महत्व के कारण, लोग उन्हें उपासना, आराधना और विशेषता से मनाते हैं। गणेश चतुर्थी का पर्व लोगों के लिए आशीर्वाद, समृद्धि और सम्पत्ति की प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है।

गणेश चतुर्थी पर बन रहे हैं कई दुर्लभ और मंगलकारी योग

गणेश चतुर्थी के दिन ब्रह्म और इंद्र योग समेत कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। ब्रह्म योग रात 11 बजकर 17 मिनट तक रहेगा। इसके बाद इंद्र योग का संयोग बनेगा। इस दिन भद्रावास का भी संयोग हो रहा है। गणेश चतुर्थी पर सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग का भी अवसर हो रहा है। समग्र रूप से यह कहा जा सकता है कि गणेश चतुर्थी पर कई दुर्लभ और मंगलकारी योग बन रहे हैं।

महाराष्ट्र में गणेशोत्सव

महाराष्ट्र और गुजरात समेत देश के सभी हिस्सों में गणेश उत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। अब धीरे-धीरे भारत के कई अन्य स्थानों पर भी इस पर्व का आयोजन होने लगा है। यह पर्व पूरे 10 दिनों तक चलता है, जिसकी शुरुआत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से होती है और इसका समापन अनंत चतुर्दशी के दिन होता है। गणेश जी का आगमन उत्साह से किया जाता है और उनका विसर्जन भव्यता से ढोल-नगाड़ों के साथ मनाया जाता है।


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गणेश चतुर्थी की पूजा विधि

पूजा से पहले स्वयं स्नान कर लें और साफ कपड़े पहन लें। पूजा स्थान को स्वच्छ कर लें और गंगाजल से शुद्ध करें।
अब एक स्वच्छ स्थान पर कलश स्थापित करें। कलश में जल भरकर उसमें सुपारी, दूर्वा, रोली और सिक्का डालें। कलश के ऊपर एक नारियल रखकर उस पर मौली बांधें।
गणेश जी की मूर्ति या चित्र को पूजा स्थान पर रखें। मूर्ति को एक साफ कपड़े पर स्थापित करें।
ॐ गण गणपतये नमः मंत्र का जाप करते हुए गणेश जी को आमंत्रित करें।
गणेश जी की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं और फिर गंगाजल से शुद्ध करें।
इसके बाद गणेश जी को नए वस्त्र अर्पित करें।
गणेश जी को चंदन, अक्षत, फूल, दूर्वा, सुपारी, पान और नारियल अर्पित करें।
इसके बाद दीपक और धूप जलाकर आरती करें।
गणेश जी को मोदक या लड्डू का भोग लगाएं।
गणेश जी से सुख, शांति, समृद्धि और विद्या की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करें।

गणेश चतुर्थी पूजा सामग्री

गणेश जी की मूर्ति या चित्र, मोदक या लड्डू, पुष्प (लाल फूल विशेष रूप से), धूप, दीपक, रोली, मौली, सिंदूर, कुमकुम, चंदन, सुपारी, पान के पत्ते, नारियल, दूर्वा (दूर्वा घास), गंगाजल, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर), कलश, पूजा के लिए साफ कपड़ा अक्षत (चावल), मौली (रक्षासूत्र) आदि।

गणेश चतुर्थी शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 6 सितंबर को दोपहर 03 बजकर 31 मिनट पर शुरू होगी और 7 सितंबर को संध्याकाल 05 बजकर 37 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि का विशेष महत्व होता है, जिसके अनुसार इस वर्ष गणेश चतुर्थी का पर्व 7 सितंबर को मनाया जाएगा। गणेश चतुर्थी की पूजा के लिए सबसे उत्तम समय मध्याह्न का होता है । इस वर्ष मध्याह्न काल का समय 7 सितंबर को 11 बजकर 02 मिनट से 01 बजकर 36 मिनट तक रहेगा। इस समय में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित कर विधिपूर्वक पूजा की जा सकती है।

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