दुर्गा महानवमी पूजा 2023

हिन्दू धर्म मे हिन्दू पंचांग के अनुसार दूगो पूजा के नौवे दिन को नवमी तिथि कहा जाता है। यह तिथि वर्ष मे दो बार मनायी जाती है एक अमावस्या के बाद और दूसरा पूर्णिमा के बाद, पूर्णिमा के बाद आने वाली नवमी तिथि को कृष्ण पक्ष की नवमी और अमावस्या के बाद आने वाली नवमी तिथि को शुक्ल पक्ष की नवमी कहते हैं। इस दिन देश के विभिन्न हिस्सों में देवी माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है उत्तर पूर्वी भारत में कन्या  पूजन  इस दिन कई स्थानों पर किया जाता है। महानवमीं पर देवी दुर्गा की पूजा आराधना महिषासुर मर्दिनी के तौर पर की जाती है जिसका अर्थ असुर महिषासुर का नाश करने वाली होती है। इसी दिन महिषासुर का वध किया था।

महानवमी व्रत कथाः-

एक समय महानवमी व्रत कथा की बात करें तो एक समय बृहस्पति जी ब्रह्माजी से बोले, हे ब्राह्मण। यह चैत्र साह और आश्विन माह के शुक्ल पक्ष में नवरात्रि का व्रत और उत्सव क्यों किया जाता है। इस व्रत को करने का फल क्या है, पहले इस व्रत को किसने किया इसके बारे में बताइए, तभी जी ने कहा की हे बृहस्पते जिसने सबसे पहले इस सहाव्रत को किया है मैं उसकी कथा तुम्हें सुनाता हूँ तुम इस कथा को सावधानी पूर्वक सुनो, ब्रह्मा जी बोले प्राचीन काल में मनोहर नगर में एक अनाथ ब्राह्मण रखा था, वह माँ दुर्गा का भक्त था जिसका नाम पीठत था, उससे सुमति नाम की एक अत्यन्त सुन्दरी कन्या उत्पन्न हुई वह अपनी बाल्यावस्था में सहोलियों के साथ- खेलती हुई ऐसी बड़ी हुई जैसे शुक्ल पक्ष की में चन्द्रमा की कला बढ़ती हैं। उसके पिता प्रतिदिन माँ दुर्गा की पूजा करके हवन करते थे और हवन के समय उसकी पुत्री नियम से वहाँ उपस्थित रहती है थी परन्तु एक दिन खेल में व्यस्त होने के कारण वह हवन नही कर पाई यह देख उसके पिता ने क्रोधित होकर पुत्री से कहा पूले आज माँ दुर्गा का पूजन नहीं किया इस कारण में जैरा विवाह कुष्ट, रोगी या दरिद्र रानुष्य के साथ करवा दूंगा यह सुनकर उसे बहुत दुख हुआ अपने पिता की यह बात सुनकर उसे बहुत दुख हुआ और उसने अपने पिता से कहा की आपकी जैसी इच्छा आप वैसा ही करो परन्तु जो मेरे भारभ जी लिखा होगा वही होगा द्य कन्या की यह बात सुनकर उस ब्राह्मण ने अपनी कन्या का विवाह एक के साथ कर दिया और क्रोधित होकर अपने पुत्री से कहा अपने कर्म का फल ओगे मैं भी देखूं भाग्य के भरोसे रहकर तुम क्या करती हो, तभी कन्था ने कहा की यह मेरा दुर्भाग्य है की मुझे एसा पनि मिया अपने दुख का विचार करती हुई अपने पति के साथ वह डरावने जंगल में चली गई। उसके बाद माँ दुर्गा के इस नवरात्रि का – व्रत किया साथ ही उसके पिछले जन्म के पुण्य से प्रसन्न होकर माँ दुर्गा ने उसके पति को पूरी तरह से ठीक कर दिया।

महानवमी शुभ तिथि शुभ मुहूर्तः-

महानवमी का व्रत 23 अक्टूबर 2023 को मनाया जायेगा।
नवमी तिथि प्रारम्भः- 8ः00 बजे (22 अक्टूबर 2023) से
नवमी तिथि समाप्तः- 04ः45 मिनट (23 अक्टूबर 2023) तक

100 Views