नवरात्रि के दौरान नवपत्रिका पूजा: नौ पत्तियों का विशेष महत्व

नवरात्रि के दौरान नवपत्रिका पूजा: नौ पत्तियों का विशेष महत्व

नवरात्रि पर्व में माता दुर्गा की पूजा का विशेष महत्व है। इस अवसर पर भक्तगण विभिन्न प्रकार के अनुष्ठान करते हैं, जिनमें से एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है नवपत्रिका पूजा। यह पूजा खासकर बंगाल, असम और ओडिशा में प्रचलित है, और इसे नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान श्रद्धा एवं भक्ति के साथ किया जाता है। नवपत्रिका पूजा में नौ विभिन्न पेड़ों की पत्तियों का गुच्छा तैयार किया जाता है, जिसे नवपत्रिका कहा जाता है, और यह देवी दुर्गा को अर्पित किया जाता है।

नवपत्रिका का अर्थ है “नौ पत्तियाँ,” और ये पत्तियाँ देवी दुर्गा के नौ विभिन्न रूपों का प्रतिनिधित्व करती हैं। प्रत्येक पत्ता विशेष ऊर्जा और शक्ति से भरा होता है, जो श्रद्धालुओं को समर्पित करने से उन्हें मानसिक, शारीरिक, और आर्थिक सुख की प्राप्ति होती है। इस पूजा को करने की मान्यता है कि जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा और शुद्धता के साथ नवपत्रिका को बांधकर देवी को अर्पित करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

आइए जानते हैं नवपत्रिका में शामिल प्रत्येक पत्ते का महत्व विस्तार से

केले का पत्ता: 

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केले का पत्ता पवित्रता और शुद्धता का प्रतीक माना जाता है। इसे अर्पित करने से न केवल भक्त को मानसिक शांति मिलती है, बल्कि घर में भी सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। मान्यता है कि इसे अर्पित करने से जीवन में संतुलन और सामंजस्य बढ़ता है।

दारूहल्दी पत्र: 

दारूहल्दी पत्र शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक है। यह पत्ता विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जो किसी कठिनाई का सामना कर रहे हैं। इसे देवी के चरणों में अर्पित करने से जीवन में बल और साहस प्राप्त होता है। इसके माध्यम से व्यक्ति अपने डर और बाधाओं को पार कर सकता है।

हल्दी पत्र: 

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हल्दी पत्र शुभता, समृद्धि और स्वास्थ्य का प्रतीक है। इसे देवी को अर्पित करने से जीवन में खुशहाली आती है। हल्दी का धार्मिक महत्व भी है, और इसे शुभ अवसरों पर उपयोग किया जाता है। इसके प्रभाव से घर में सकारात्मकता बनी रहती है और बीमारियों से दूर रहने का आशीर्वाद मिलता है।

जयंती पत्र: 

जयंती पत्र शुभता और कामना का प्रतीक है। इसे अर्पित करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस पत्र के माध्यम से भक्त को सफलता और खुशी की प्राप्ति होती है, और इसे विशेषकर नए कार्यों की शुरुआत में अर्पित किया जाता है।

बेल पत्र: 

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बेलपत्र शांति और शक्ति का प्रतीक है। यह पत्ता नकारात्मक ऊर्जा का नाश करने में सहायक होता है। इसे अर्पित करने से न केवल घर में शांति बनी रहती है, बल्कि यह मानसिक स्थिरता भी प्रदान करता है। भक्त इसे ध्यान और साधना में भी प्रयोग करते हैं।

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अनार पत्र: 

अनार पत्र ज्ञान, प्रेम और सौंदर्य का प्रतीक है। इसे देवी के चरणों में अर्पित करने से आंतरिक सुंदरता और प्रेम का संचार होता है। यह पत्ता विशेष रूप से प्रेम संबंधों को मजबूत करने और ज्ञान की प्राप्ति में सहायक होता है।

अशोक पत्र: 

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अशोक पत्र शुद्धता, सत्य और जीत का प्रतीक है। इसे देवी के चरणों में अर्पित करने से सकारात्मकता का अनुभव होता है। यह पत्ता विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो सफलता और विजय की कामना करते हैं।

धान पत्र: 

धान पत्र समृद्धि का प्रतीक है। इसकी पूजा से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। यह पत्ता विशेष रूप से व्यापारियों के लिए लाभकारी होता है, जो इसे अपनी दुकान या व्यापार स्थल पर रखकर समृद्धि की कामना करते हैं।

अमलतास पत्र: 

अमलतास पत्र आशा, उल्लास और ऊर्जा का प्रतीक है। इसे अर्पित करने से जीवन में उत्साह और उल्लास का अनुभव होता है। यह पत्ता उन लोगों के लिए प्रेरणादायक होता है जो जीवन में नए लक्ष्य निर्धारित करना चाहते हैं।

इन नौ पत्तियों को एकत्रित कर माता दुर्गा के चरणों में अर्पित करने से भक्तों को सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य प्राप्त होता है। नवपत्रिका पूजा न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह आंतरिक शक्ति और सकारात्मकता का संचार करने का भी एक साधन है। इस पूजा के माध्यम से भक्त अपनी कठिनाइयों से उबरने और जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त करने की आशा रखते हैं। नवरात्रि के इस पावन पर्व पर नवपत्रिका पूजा करके भक्त मां दुर्गा की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपनी सभी मनोकामनाओं को पूरा कर सकते हैं।

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