लहसुनिया रत्न मेष राशि के जातकों के लिएः-
मेष राशि वाले जातक को यदि यह लहसुनिया रत्न धारण करना चाहते है तो उन जातकों को सबसे पहले अपनी कुण्डली किसी योग्य ज्योतिषी से दिखा लेना चाहिए ताकि कुण्डली का विश्लेषण करके यह पता चल सके की आपकी कुण्डली में केतु किस भाव में स्थित है। यदि आपकी जन्म कुण्डली में केतु कुण्डली के पंचम, कुण्डली के षष्ठम, कुण्डली के नवम या फिर कुण्डली के द्वादश भाव में स्थित हो तो ऐसी स्थिति में जातक को लहसुनिया रत्न धारण कर लेना चाहिए परन्तु जातक को यह रत्न तब धारण करना चाहिए जब केतु आपकी जन्म कुण्डली में एक निर्णायक स्थिति में बैठा होना चाहिए।
लहसुनिया रत्न वृषभ राशि के जातकों के लिएः-
वृष राशि वाले जातक की कुण्डली में यदि केतु नवम या एकादश भाव में स्थित होकर बैठा हो तो आपको इस रत्न को अवश्य रुप से धारण करना चाहिए। साथ ही यदि वृषभ राशि के जातक यह लहसुनिया रत्न धारण करना चाहते है तो धारण करने से पहले किसी योग्य ज्योतिषी को अवश्य अपनी कुण्डली दिखा लेनी चाहिए ताकि इस बात का पता भली-भाँति चल सके कि केतु आपकी जन्मकुण्डली में किस भाव में बैठा है। यदि आप लहसुनिया रत्न का प्रभाव आपके ऊपर क्या पड़ रहा है। यह जानना चाहते है तो शुरुआत में कम से कम तीन दिन तक इस रत्न को पहन कर देखें यदि आपको इस रत्न का बुरा प्रभाव दिख रहा है तो आपको इसे उतार देना चाहिए अन्यथा जिस चीजों के बुरे प्रभावों को दूर करने के लिए आपने यह रत्न पहना उसका विपरीत प्रभाव आपके ऊपर पड़ सकता है।
लहसुनिया रत्न मिथुन राशि के जातकों के लिएः-
मिथुन राशि वाले जातकों की कुण्डली में केतु ग्रह यदि आपकी कुण्डली के नवम भाव, कुण्डली के दशम भाव तथा कुण्डली के एकादश भाव में स्थित हो तो इस स्थिति में मिथुन राशि के जातकों को लहसुनिया रत्न धारण करना चाहिए परन्तु जब भी कोई रत्न आप धारण करें तो किसी योग्य ज्योतिषाचार्य की सलाह लेकर ही धारण करें और यदि इस रत्न को धारण करके देखना चाहते है तो 3 दिन पहले और यदि इसके बुरे प्रभाव पड़ रहे है तो तुरन्त ही इसे निकाल दें।
लहसुनिया रत्न कर्क राशि के जातकों के लिएः-
कर्क राशि वाले जातकों की कुण्डली में यदि केतु ग्रह कुण्डली के षष्ठम भाव, नवम भाव या एकादश भाव में स्थित हो तो आप अवश्य रुप से यह रत्न धारण कर सकते है परन्तु फिर भी यदि कर्क राशि के जातक यह रत्न धारण करना चाहते है तो किसी योग्य ज्योतिषी से अवश्य आपको अपनी कुण्डली दिखा लेनी चाहिए ताकि इस बात का पता चल सके कि केतु कुण्डली के किस भाव में स्थित है। उसके बाद ही रत्न धारण करें।
लहसुनिया रत्न सिंह राशि के जातकों के लिएः-
सिंह राशि के जातकों की कुण्डली में यदि केतु ग्रह कुण्डली के अष्टम भाव, नवम भाव या एकादश भाव में स्थित हो तो ऐसे में आपको किसी प्रकार की परेशानी हो सकती है। ऐसे में आपको लहसुनिया रत्न अवश्य धारण करना चाहिए परन्तु फिर भी यदि सिंह राशि के जातक लहसुनिया रत्न पहनना चाहते है तो किसी योग्य ज्योतिषाचार्य से अवश्य अपनी कुण्डली का विश्लेषण करवा लेना चाएि। जिससे यह पता चल सके कि आपकी कुण्डली में केतु किस भाव में बैठा है। उसके बाद ही रत्नों को धारण करना चाहिए।
लहसुनिया रत्न कन्या राशि के जातकों के लिएः-
कन्या राशि के जातकों की कुण्डली में यदि केतु ग्रह कुण्डली के तृतीय भाव, कुण्डली के चतुर्थ भाव तथा कुण्डली के नवम भाव में उपस्थित है तथा इनके बुरे प्रभाव आप पर पड़ रहे हो तो ऐसी स्थिति में आपको लहसुनिया रत्न धारण करना चाहिए परन्तु आप लहसुनिया रत्न अपने मन से धारण करना चाहते है तो बिल्कुल न करें किसी योग्य ज्योतिषी से अपनी कुण्डली का विश्लेषण अवश्य करवा लेना चाहिए ताकि आपकी कुण्डली में केतु किस भाव में स्थित है इस बात का पता चल सकें।
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लहसुनिया रत्न तुला राशि के जातकों के लिएः-
तुला राशि वाले जातकों की कुण्डली में यदि केतु ग्रह आपकी कुण्डली के द्वितीय भाव, तृतीय भाव तथा कुण्डली के एकादश भाव में स्थित है और उसका बुरा प्रभाव आप पर पड़ रहा है तो आपको अवश्य रुप से लहसुनिया रत्न धारण करना चाहिए परन्तु धारण करने से पहले एक बार अवश्य किसी योग्य ज्योतिष को दिखा लेना चाहिए ताकि इस बात का पता चल सके कि केतु ग्रह आपकी कुण्डली के किस भाव में स्थित है उसके बाद ही कोई रत्न धारण करना चाहिए।
लहसुनिया रत्न वृश्चिक राशि के जातकों के लिएः-
वृश्चिक राशि वाले जातकों की कुण्डली में यदि केतु ग्रह आपकी कुण्डली के द्वितीय भाव, कुण्डली के दशम भाव या कुण्डली के एकादश भाव में स्थित हो और उसका बुरा प्रभाव आप पर पड़ रहा हो तो ऐसी स्थिति में आपको अवश्य ही लहसुनिया रत्न धारण करना चाहिए परन्तु धारण करने से पहले एक बार अवश्य रुप से किसी योग्य ज्योतिष से अपनी कुण्डली का विश्लेषण करवा लेना चाहिए ताकि इस बात का पता चल सके की आपकी कुण्डली में केतु किस भाव में बैठा है उसके बाद ही कोई रत्न धारण करें।
लहसुनिया रत्न धनु राशि के जातकों के लिएः-
धनु राशि वाले जातकों की कुण्डली में यदि केतु ग्रह आपकी कुण्डली के द्वितीय भाव, कुण्डली के चतुर्थ भाव, कुण्डली के नवम भाव या कुण्डली के द्वादश भाव में स्थित हो तो ऐसे में आप लहसुनिया रत्न धारण कर सकते है परन्तु धारण करने से पहले आपको एक बार अवश्य रुप से किसी योग्य ज्योतिष से अपनी कुण्डली का विश्लेषण करवा लेना चाहिए ताकि इस बात का पता भली-भाँति पता चल सके कि आपकी कुण्डली में केत ुकिस भाव में स्थित है उसके बाद ही आपको किसी प्रकार का रत्न धारण करना चाहिए।
लहसुनिया रत्न मकर राशि के जातकों के लिए
मकर राशि वाले जातकों की कुण्डली में यदि केतु ग्रह आपकी कुण्डली के द्वितीय भाव में कुण्डली के चतुर्थ भाव में, कुण्डली के नवम भाव में या फिर कुण्डली के द्वादश भाव में हो या तो बहुत मजबूत स्थिति में हो तो ऐसे में आपको अवश्य रुप से लहसुनिया रत्न धारण करना चाहिए परन्तु रत्न को धारण करने से पहले आपको एक बार अवश्य रुप से अपने कुण्डली का विश्लेषण किसी योग्य ज्योतिषी से अवश्य करवा लेना चाहिए ताकि इस बात का पता चल सके कि आपकी कुण्डली में केतु ग्रह किस भाव में बैठा है उसके बाद ही आपको किसी प्रकार का रत्न धारण करना चाहिए।
लहसुनिया रत्न कुंभ राशि के जातकों के लिए
कुंभ राशि वाले जातकों की कुण्डली में यदि केतु ग्रह आपकी कुण्डली के द्वितीय भाव, कुण्डली के दशम भाव या फिर कुण्डली के एकादश भाव में मजबूत स्थिति में बैठा हो तो ऐसी स्थिति में आपको अवश्य रुप से लहसुनिया रत्न धारण करना चाहिए। परन्तु रत्न को धारण करने से पहले आपको एक बार अवश्य रुप से अपने कुण्डली का विश्लेषण किसी योग्य ज्योतिषी से अवश्य करवा लेना चाहिए ताकि इस बात का पता विशेष रुप से चल सके कि आपकी कुण्डली में केतु किस भाव में स्थित है। उसके बाद ही आपको किसी प्रकार का रत्न धारण करना चाहिए।
लहसुनिया रत्न मीन राशि के जातकों के लिए
मीन राशि वाले जातकों की कुण्डली में यदि केतु ग्रह आपकी कुण्डली के द्वितीय भाव, कुण्डली के नवम भाव तथा कुण्डली के दशम भाव में स्थित हो तथा आपके ऊपर बुरा प्रभाव डाल रहा हो तो ऐसी स्थिति में आपको अवश्य लहसुनिया रत्न धारण करना चाहिए परन्तु रत्न को धारण करने से पहले आपको अवश्य रुप से अपनी कुण्डली का विश्लेषण किसी योग्य ज्योतिषी से अवश्य करवा लेना चाहिए ताकि इस बात का पते चले की आपकी कुण्डली में केतु ग्रह किस भाव में स्थित होकर बैठा है उसके बाद ही आपको किसी प्रकार का रत्न धारण करना चाहिए।
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