माता लक्ष्सी ऋषि भृगु को पुत्री थीं और उनकी माता का नाम ख्याति था। महार्षि भृगु को सप्त ऋषियों में स्थान प्राप्त है। राजा दक्ष के भाई भृगु ऋषि थे। माता लक्ष्मी के दो भाई दाता एवं विधाता थे और माता सती उनकी सौतेली बहन थी। माता लक्ष्मी के 18 पुत्रों में से चार प्रमुख पुत्र हैं जिनके नाम आनंद, कर्दम, श्रीद, चिक्लीत माता लक्ष्मी श्रीदेवी नाम से दक्षिण भारत में विख्यात है।
लक्ष्मी जी का विवाह
जब माता लक्ष्मी बड़ी हुईं तो विष्णु जी की महिमा के प्रभाव का वर्णन सुनकर उनके प्रेम में खो गईं और उनको प्राप्त करने के लिए माता पार्वती जी की भाॅति तपस्या करने लगीं । उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु जी ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया।
श्रीराम एवं माता सिता के वियोग का रहस्य
एक बार की बात है, माता लक्ष्मी का स्वयंवर हुआ परन्तु माता लक्ष्मी मन ही सन भगवान विष्णु को अपने पति के रूप में स्वीकार कर चुकी थीं। लेकिन नारद जी उनसे विवाह करना चाहते थे तब नारद जी ने एक उपाय सोचा कि यह राजकुमारी हरि रूप पाकर ही उनका वरण करेंगी इसलिए नारद जी भगवान विष्णु के पास हरि के भाँति सुन्दर रूप मांगने पहुंचे। उन्होंने जैसा कहा भगवान विष्णु ने उन्हे वैसा ही हरि रूप दे दिया । हरि रूप लेकर जब नारदमुनी माता लक्ष्मी के स्वयंवर में पहुंचे तो उन्हें पूर्ण विश्वास था कि राजकुमारी (माता लक्ष्मी) उन्हें ही वरमाला पहनाएंगी लेकिन ऐसा नही हुआ। राजकुमारी ने नारद को छोड़कर भगवान विष्णु के गले में वरमाला डाल दी। तब नारद जी वहाँ से उदास लौट रहे थे तभी मार्ग में एक जलाशय में अपना चेहरा देखा और वह अपना चेहरा देखकर हैरान रह गये उनका चेहरा बन्दर जैसा लग रहा था। क्योकि हरि का एक अर्थ विष्णु एवं एक अर्थ हरि है। भगवान विष्णु ने उन्हें बानर रूप दे दिया दिया था। नारद जी समझ गये के भगवान विष्णु ने उसके साथ छल किया है।
इसपर नारद जी को बहुत क्रोध आया और नारद जी सीधा बैकुण्ठ पहुंचे और क्रोध के आवेश में आकर उन्हें श्राप दे दिया कि आपको मनुष्य रूप में जन्म लेकर पृथ्वी पर जाना होगा और जिस प्रकार मुझे स्त्री का वियोग सहना पड़ा है उसी प्रकार आपको भी वियोग सहना पड़ेगा । इसी कारणवश माता सीता के रूप में और भगवान हरि श्रीराम के रूप में धरती पर अवतरित हुए।
कौन थी समुन्द्र मंथन वाली लक्ष्मी
समुन्द्र मंथन के दौरान जिस लक्ष्मी की उत्पत्ति हुई थी वह माता कमला कहलाती है। जो दस महाविद्याओं में से अंतीम महाविद्या है। देवी कमला, जगत पालन कर्ता भगवान विष्णु की पत्नी है। देवताओं तथा दानवों ने मिलकर अधिक सम्पन्न होने हेतु समुंद्र का मंथन किया जिसमे से 18 रत्न प्राप्त हुए जिनमें माता लक्ष्मी भी थीं। जिन्हें भगवान विष्णु को प्रदान किया गया तथा उन्होंने देवी वानिग्रहण किया। देवी का घनिष्ठ संबंध देवराज इन्द्र तथा कुबेर से है।