15 जनवरी 2024 पोंगल

बात करें यदि पोंगल की तो यह भी एक महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है जो कि दक्षिण भारत के राज्यों विशेष रूप से तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलांगना और कर्नाटक जैसे राज्यों में मनाया जाता है। पोंगल का यह पर्व धान की फसल कट जाने के बाद मकर संक्रान्ति के दौरान ही मनाया जाता है। आपको बता दे पोंगल एक चार दिनों तक चलने वाला उत्सव है जो सुख-समृद्धि खुशियों तथा आनंद का प्रतीक होता है। एक ओर उत्तर भारत के लोग जहाँ 14 जनवरी को मकर संक्रान्ति का त्योहार मनाते हैं वहीं दूसरी ओर दक्षिण भारत में इस त्योहार को पोंगल के रूप में मनाते हैं।

भोगी पोंगल

चार दिनों के इस त्योहार में पोंगल के पहले दिन की बत करें तो भोगी पोंगल की शुरूआत मकर संक्रान्ति के पहले दिन से ही हो जाती है। यह त्योहार देवी-देवताओं के राजा हिंदू को समर्पित होता है। जो सभी किसानों के जीवन में वर्षा ऋतु का आगमन करते हैं जिससे की सभी किसानों के खेत में हरी-भरी फसलें लहलहाती हैं। इसके अलावा भगवान इंद्र के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हुए भगवान इंद्र देव की पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं तथा इस दिन के त्योहार को  भीगी पोंगल के रूप में मनाते हैं।

भोगी पोंगल के पर्व के दिन घर की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इतना ही नही घर के कूड़े, कचरे, लकड़ी को आग में जलाते हैं घर की पुरानी वस्तुओं को भी जलाकर जलती हुई अग्नि के चारों ओर नाचते गाते दिखाई देते हैं।

थाई पोंगल

पोंगल के चार दिन होने वाले त्योहारों में से दूसरे दिन के त्योहार को थाई पोंगल के नाम से जानते हैें। तमिलनाडू के सभी सदस्य खासकर के सूर्यदेव की पूजा करते हैं साथ ही सूर्यदेव को उबलते हुए चावल और दूध का भोग लगाते हैं। जिस बर्तन में सूर्यदेव को भोग लगाया जाता है उसी बर्तन में हल्दी की एक गाँठ बाँध दें ऐसा करना बहुत शुभ होता है। इसके अलावा इस दिन चूना,  पाउडर पूरे घर की रंगाई की जाती है तथा इस दिन अपने हाथ से अलग-अलग तरह की पारंपरिक रंगोलियाँ बनाई जाती है।

मट्टू पोंगल

पोंगल के चार दिन चलने वाले इस त्योहार के तीसरे दिन को मट्टू पोंगल के नाम से जाना जाता है। पोंगल का यह दिन विशेष रूप से गाय और बैलों को समर्पित होता है। इस दिन गायों और बैलों के गले में नयी-नयी घंटियाँ बाँधकर उन्हें अच्छी तरह से सजाया जाता है और उनकी विधि पूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यताओं के अनुसार शिव जी के द्वारा गाय और बैलों को श्राप दिया गया था इसी कारण से वह आज भी खेतों में हल चलाने और खेतों की जुताई करने का कार्य करते हैं।

इसलिए पोंगल के तीसरे दिन मट्टू पोंगल का त्योहार और बैलों के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है। इसके अलावा तमिलनाडू के कई क्षेत्रों में मट्टू पोंगल के इस अवसर पर जली कट्टू प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता है जिसमें बैलों के साथ व्यक्तियों का मुकाबला करवाया जाता है।

कान्नुम पोंगल

चार दिन के पोंगल के त्योहार में चौथा दिन कान्नुम पोंगल का होता है इस त्योहार को कानू पोंगल के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन विशेष रूप से गन्ने का फलम पककर पूरी जरह से तैयार हो जाता है। आपको बता दें पोंगल के चौथे दिन सभी गृहणियाँ बचे हुए पकवान पोंगल को केले के पत्ते पर परोसती हैं। जिसे पक्षियों के खाने के लिए रखा जाता है। पोंगल के आखिरी दिन सभी लोग अपने रिश्तेदार तथा दोस्तों के घर मिलने जाते हैं और एक दूसरे को मिठाईयाँ देकर शुभकामनाएंँ देते हैं।

पोंगल पूजा विधि

☸ पोंगल के दिन सबसे पहले सूर्योदय होने के बाद घर के बाहर सूर्य पूजा करें।

☸ उसके बाद कुछ विशेष रूप से तैयार किये गये पोंगल और अन्य व्यंजनो को भी सूर्य देव को विधि पूर्वक अर्पित करें।

☸ पोंगल को पकाना इस पर्व के दौरान कई अन्य लोगों के लिए प्रसाद स्वरूप होता है।

☸ पोंगल बनाने के लिए तीन गन्ने,  एक खुले तंबू की तरह खड़ी करें और गन्ने की एक तिपाई के साथ बाहर करते हैं।

☸ पोंगल के बर्तन को हल्दी के पौधो से बाँधा जाता है।

☸ पोंगल और अन्य व्यंजन के अलावा पूजा करने वाले लोग फल, हाल ही में मिलने वाले फसल तथा गन्ना, नारियल, पान का पत्ता तथा सुपारी और फूल भी चढ़ाते है।

☸ उसके बाद सभी फल और सब्जियों फूल और पोंगल के पकवान को सूर्य के प्रारूप में बनी हुई रंगोली पर रखें साथ ही वहाँ एक दीपक जलाकर सूर्य देव के समक्ष प्रार्थना करें।

☸ पूजा के दौरान आदित्य हृदय स्त्रोत या सूर्य अष्टोत्रम् या गायत्री मंत्र का जाप करें।

☸ उसके बाद चढ़ाये गये पकवान पर थोड़ा जल और फूल छिड़क कर अक्षत के साथ कुछ कच्चे चावल भी छिड़कें।

☸ कुछ क्षेत्रों में पानी से भरे बर्तन में सूर्य का प्रतिबिम्ब देखने की परम्परा है। प्रतिबिम्ब देखने के लिए हल्दी और कुमकुम पानी में मिलाकर सूर्य के प्रतिबिम्ब को देख सकते हैं ऐसा करने से भी सूर्य देव की विशेष कृपा दृष्टि प्राप्त होती है।

☸ पूजा पूरी तरह से समाप्त हो जाने के बाद पोंगल तथा अर्पित किये गये अन्य व्यंजनों और फल को सभी लोगों में वितरित किये जाते हैं।

पोंगल शुभ मुहूर्त

पोंगल का पर्व 15 जनवरी 2024 को सोमवार के दिन मनाया जायेगा।
पोंगल संक्रान्ति का समयः- 15 जनवरी रात्रि 02ः54 मिनट।

 

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