Basant Panchami, बसंत पंचमी 2024

प्रत्येक वर्ष बसंत पंचमी का त्योहार बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी मनाया जाता है। इसी दिन से भारत में बसंत ऋतु की शुरुआत भी हो जाती है। बसंत पंचमी हिन्दूओं का एक प्रसिद्ध त्योहार है। इस दिन विद्या की देवी माँ सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती हैं। आपको बता दें यह पूजा पूर्वी भारत, पश्चिमोत्तर, बांग्लादेश, नेपाल और भी अन्य राष्ट्रों में बहुत ही ज्यादा उल्लास और खुशी के साथ मनाया जाता है। बसंत पंचमी ज्ञान, संगीत और कला की देवी माँ सरस्वती का पर्व होता है।

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क्यों मनायी जाती है बसंत पंचमी

प्रत्येक वर्ष पड़ने वाले ऋतुओं में बसंत ऋतु का बहुत ही ज्याद महत्व होता है। इन ऋतुओं में बसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा माना जाता है इसी कारण से इस दिन को बसंत पंचमी के नाम से जाना जाता है। इस दिन से ही शीत ऋतु का समापन होता है और बसंत ऋतु का आगमन होता है। बसंत ऋतु में खेतों में फसलें लहलहा उठती है पीले-पीले फूल सूरज की भाँति खिलने लगते हैं और हर जगह खुशहाली छायी रहती है।

एक और मान्यता के अनुसार सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा जी के मुख से ही ज्ञान और विद्या की देवी माँ सरस्वती का प्राकट्य हुआ था। इसी वजह से ज्ञान की उपासना करने वाले लगभग सभी लोग बसंत पंचमी के दिन ही अपनी आराध्य देवी माँ सरस्वती की पूजा अर्चना करते हैं।

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बसंत पंचमी को होली के प्रतीक के रूप में भी मनाया जाता है जो कि बसंत पंचमी के 40 दिन बाद आता है। बसंत पंचमी के दौरान भगवान श्री विष्णु और कामदेव की पूजा भी की जाती है। शास्त्रों में बसंत पंचमी के दिन को ऋषि पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन सभी लोग पीले वस्त्र धारण करते हैं तथा तरह-तरह के पीले व्यंजन भी बनाते हैं।

माँ सरस्वती देवी को वागीश्वरी, शारदा, भगवती, वीणावादनी और वाग्देवी सहित और भी अन्य नामों से जाना जाता है। 

बसंत पंचमी का महत्व

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बसंत पंचमी का संबंध शिक्षा और ज्ञान से होने के कारण इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। बहुत से लोगों का यह मानना है कि इस दिन विद्या, बुद्धि, कला, विज्ञान, ज्ञान और संगीत की देवी माँ सरस्वती का जन्म हुआ था। बसंत पंचमी के दिन भारत के सभी स्कूल और काॅलेज, यूनिवर्सिटी तथा अन्य शिक्षा संस्थानों में बहुत ही सुंदर और पारंपरिक तरीके से माँ सरस्वती की पूजा-अर्चना करके सभी छात्र-छात्रायें माँ सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं तथा सरस्वती मंत्रों का भी जाप किया करते हैं।

बसंत पंचमी की पौराणिक कथा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब इस सृष्टि का आरम्भ हुआ था तो सृष्टि के प्रारम्भिक काल से ही भगवान श्री विष्णु जी की आज्ञा से ब्रह्मा जी ने जीवों तथा खासतौर पर मनुष्य योनि की रचना की, परन्तु ब्रह्मा जी इस सृष्टि की रचना करने के बाद भी पूरी तरह से प्रसन्न नही थे। उन्हें ऐसा प्रतीत हो रहा था कि इस सृष्टि की रचना करने में कोई न कोई कभी अवश्य रह गई है जिसके कारण चारों तरफ मौन छाया हुआ है।

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भगवान ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु से यह बात कही और भगवान विष्णु जी की अनुमति से ही उन्होंने अपने कमंडल से जल छिड़का,  जल छिड़कते ही पूरी पृथ्वी पर कंपन होने लगा, उसके तुरंत बाद ही एक बहुत ही सुंदर चतुर्भुजी स्त्री के रूप में इस पृथ्वी पर एक अद्भुत शक्ति का प्राकट्य हुआ। उस अद्भुत स्त्री के एक हाथ में वीणा तथा दूसरा हाथ में में वर मुद्रा था। इसके अलावा और दो अन्य हाथों में पुस्तक और मालाएं थीं।

ब्रह्मा जी ने उनके हाथ में वीणा देखते ही देवी से वीणा बजाने का अनुरोध किया। ब्रह्मा जी के कहने पर उस देवी ने जैसे ही वीणा का मधुर नाद बजाया उस वीणा की ध्वनि संसार के समस्त जीव जन्तुओं को प्राप्त हो गई सारे जीव जन्तुओं में ध्वनि सुनकर एक अलग ही ऊर्जा आ गई, जलधाराओं मे कोलाहल व्याप्त हो गया, पवनों के चलने में एक अलग सी सरसराहट होने लगी। तब यह देखते ही ब्रह्मा जी ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती कहा। उसी समय से विद्या, बुद्धि की देवी तथा संगीत की उत्पत्ति करने के कारण माँ सरस्वती देवी की पूजा प्रत्येक वर्ष किया जाने लगा।

बसंत पंचमी पूजा विधि

☸ माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन प्रातः काल सुबह स्नानादि कर लेने के बाद पीले स्वच्छ वस्त्र धारण करके माँ सरस्वती के व्रत का संकल्प लेकर विधिपूर्वक कलश स्थापना करें।

☸ माँ सरस्वती की विधिपूर्वक पूजा करने के दौरान यहाँ बताई गई पूजा आवश्यक सामग्रियों का प्रयोग अवश्य करें श्वेत चंदन, पीले वस्त्र, पुष्प, दही, मक्खन, सफेद तिल के लड्डू, नारियल और उसका जल, अक्षत, शुद्ध देसी घी, श्रीफल, बेर तथा दीपक।

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☸ माँ सरस्वती देवी को सफेद वस्त्र फूल-माला के साथ सिंदूर तथा अन्य तरह की श्रृंगार की वस्तुएं माँ सरस्वती को अर्पित करें।

☸ उसके बाद माँ सरस्वती के चरणो में लाल गुलाल अर्पित करें क्योंकि मान्यता के अनुसार बसंत पंचमी के दिन से ही होली की शुरुआत मानी जाती है।

☸ माँ सरस्वती की पूजा के दौरान माता के समक्ष दीपक जलाकर सरस्वती मंत्रों का जाप करें तथा माता से अपनी मनोवांछित इच्छाओं की पूर्ति करने की कामना करें।

☸ पूजा की समाप्ति हो जाने के बाद अंत मे माँ सरस्वती देवी को पीले रंग की मिठाई वाला प्रसाद या फिर केसर युक्त खीर का भोग अवश्य लगायें।

☸ साथ ही माँ सरस्वती के सामने यथाशक्ति ओम ऐ सरस्वत्यै नमः का जाप करें। आपको बता दें माँ सरस्वती के बीज मंत्रो का जाप 108 बार करने से जातक की बुद्धि बहुत ही ज्यादा तेजी से विकसित होती है तथा उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में दिन प्रतिदिन सफलता की प्राप्ति होती है।

बसंत पंचमी पर करें इन मंत्रों का जाप

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सरस्वती बीज मंत्र ओम ऐं ह्रीं श्रीं वाग्देव्यै सरस्वत्यै नमः

सरस्वती मंत्र- सरस्वती महाभाग विधे कमललोचने । विद्यारूपे विशालाक्षि विद्या देहि नमोस्तुते
सरस्वत्यै नमोः नित्यं भद्रकाल्यै नमो नमः।

बसंत पंचमी शुभ मुहूर्त

बसंत पंचमी 14 फरवरी 2024 को बुधवार के दिन मनायी जायेगी।
पंचमी तिथि प्रारम्भः- 13 फरवरी 2024 को दोपहर 02ः41 मिनट से ।
पंचमी तिथि समाप्तः- 14 फरवरी 2024 को दोपहर 12ः09 मिनट तक
शुभ मुहूर्तः- 14 फरवरी 2024 सुबह 07:01 मिनट से, दोपहर 12ः35 मिनट तक

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