Chaitra Purnima Vrat, विष्णु जी की कृपा प्राप्त करने के लिए करें चैत्र पूर्णिमा का व्रत

हिन्दू धर्म के अनुसार चैत्र मास में मनायी जाने वाली पूर्णिमा तिथि को चैत्र पूर्णिमा कहा जाता है। इस पूर्णिमा तिथि को कुछ जगहों पर चैती पूनम के नाम से भी जाना जाता है। आपको बता दें हिन्दू धर्म में चैत्र मास वर्ष का पहला महीना होता है इसलिए इस माह में चैत्र पूर्णिमा का भी विशेष महत्व होता है। इस पूर्णिमा के दिन भगवान भगवान विष्णु जी के सत्यनारायण की पूजा करने के साथ-साथ उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए व्रत भी रखा जाता है। उत्तर भारत में चैत्र पूर्णिमा के दिन ही हनुमान जयन्ती भी मनायी जाती है।

Chaitra Purnima Vrat, (चैत्र पूर्णिमा व्रत) by Astrologer K.M. Sinha 

चैत्र पूर्णिमा का महत्व

हिन्दू धर्म की पौराणिक मान्यताओं के अनुसार चैत्र पूर्णिमा के दिन का महत्व इसलिए भी ज्यादा बढ़ जाता है क्योंकि इसी दिन प्रभु श्री कृष्ण जी ने ब्रज में रास उत्सव रचाया था जिसे महारास के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन के होने वाले महारास में कई हजार गोपियों ने भाग लिया तथा उन्हीं गोपियों के साथ-साथ भगवान श्री कृष्ण भी रात भर नाचे थे। इस दिन गीता और रामायण का पाठ करना अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके अलावा चैत्र पूर्णिमा के दिन दान-पुण्य करने से जातक को अपने पिछले जन्म तथा वर्तमान में किये गये पापों से भी मुक्ति मिल जाती है। इस पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी जी की उपासना करने से सभी भक्तों को धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है साथ ही उनके जीवन में सुख-समृद्धि का भी आगमन होता है। सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि का महत्व इसलिए भी ज्यादा बढ़ जाता है क्योंकि इसी दिन हनुमान जी का जन्मोत्सव बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है।

चैत्र पूर्णिमा की पूजा विधि

☸ चैत्र पूर्णिमा के दिन प्रातः जल्दी उठकर सूर्योदय से पूर्व किसी पवित्र नदी में स्नानादि करें, और यदि नदी में स्नान करना सम्भव न हो पाये तो नहाने के पानी में गंगाजल की कुछ छीटें डालकर स्नान करें।

☸ स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करके पवित्र हो जाने के बाद सूर्यदेव के मंत्रों का उच्चारण करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दें।

☸ उसके बाद व्रत का संकल्प लेकर भगवान सत्यनारायण की पूजा करें।

☸ रात्रि में विधिपूर्वक चन्द्रदेव की पूजा करें और उन्हें भी अर्घ्य दें।

☸ पूजा विधिपूर्वक समाप्त हो जाने के बाद अन्न से भरा हुआ घड़ा किसी जरुरतमंद व्यक्ति को दान करें।

☸ जो भक्त इस दिन उपवास रखते हैं वह फल का सेवन करके उपवास रखें और अगले दिन पूजा करके दान-पुण्य करने के बाद ही पारण करें।

आइए जानें ज्योतिषाचार्य के.एम.सिन्हा द्वारा चैत्र पूर्णिमा के दिन किये जाने वाले कुछ उपाय

चैत्र पूर्णिमा व्रत के दौरान दिये गये कुछ महत्वपूर्ण उपायों को अवश्य कर लेना चाहिए जो निम्न हैं

☸ चैत्र पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी जी की पूजा विधिपूर्वक कर लेने के बाद रात्रि में उन्हें सफेद खीर या सफेद रंग की मिठाई का भोग अवश्य लगाएं, ऐसा करने से माता लक्ष्मी अत्यधिक प्रसन्न होती हैं साथ ही जीवन में आ रही समस्याएँ भी कोसों दूर हो जाती हैं।

☸ चैत्र पूर्णिमा के दिन हनुमान जी की पूजा विधिपूर्वक अवश्य करना चाहिए साथ ही इस दिन सुबह और शाम के समय हनुमान चालीसा का पाठ भी अवश्य करना चाहिए, इसके अलावा “ओम नमो भगवते हनुमते नमः” इस मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करना चाहिए।

☸ शास्त्रों के अनुसार हर पूर्णिमा तिथि के दिन पीपल के वृक्ष में माता लक्ष्मी जी वास करती हैं इसलिए चैत्र पूर्णिमा के दिन विशेष रूप से पीपल के वृक्ष पर जल अर्पित करके शाम के समय उसके समक्ष नीचे दीपक अवश्य रूप से जलाना चाहिए।

☸ विवाह होने तथा वैवाहिक जीवन में आ रही किसी भी समस्या को दूर करने के लिए चैत्र पूर्णिमा के दिन पति-पत्नी को साथ मिलकर चंद्र देव को अर्घ्य देना चाहिए, ऐसा करने से उनके जीवन में आ रही समस्याएँ धीरे-धीरे करके दूर हो जायेंगी।

☸ चैत्र पूर्णिमा के दिन चन्द्रदेव को रात्रि के समय में कच्चे दूध में चावल मिलाकर अर्घ्य देते हुए “ओम स्रां स्रीं सौं सः चन्द्रमसे नमः” या फिर “ओम ऐं क्लीं सोमाय नमः” मंत्रों का श्रद्धापूर्वक जाप करें।

चैत्र पूर्णिमा शुभ मुहूर्त

चैत्र पूर्णिमा 23 अप्रैल 2024 मंगलवार के दिन मनाया जायेगा।
शुक्ल पूर्णिमा प्रारम्भः- 23 अप्रैल 2024 प्रातः 03ः25 मिनट से,
शुक्ल पूर्णिमा समाप्तः- 24 अप्रैल 2024 प्रातः 05ः18 मिनट तक ।

🌟 Special Offer: Buy 1 Get 10 Astrological Reports! 🌟

Unlock the secrets of the stars with our limited-time offer!

Purchase one comprehensive astrological report and receive TEN additional reports absolutely free! Discover insights into your future, love life, career, and more.

Hurry, this offer won’t last long!

🔮 Buy Now and Embrace the Stars! 🔮