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Hindi Diwas: हिंदी भाषा का संवैधानिक महत्व

Hindi Diwas: हिंदी भाषा का संवैधानिक महत्व

Hindi Diwas: हिंदी भाषा का संवैधानिक महत्व

हिंदी दिवस

हिंदी दिवस हिंदी भाषा को श्रद्धांजलि देने का दिन है। हिंदी भाषा का एक समृद्ध इतिहास और संस्कृति है लेकिन इसका उपयोग धीरे-धीरे घटता जा रहा है, जो एक बड़ी चिंता का विषय है। हिंदी दिवस भारत के विशाल और विविध परिदृश्य में लोगों को एक साथ लाता है। यह हिंदी के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व की याद दिलाता है और भारतीय संदर्भ में इसकी भूमिका को रेखांकित करता है, जो अनेक भाषाओं और बोलियों वाले राष्ट्र में एक एकीकृतशक्ति के रूप में कार्य करता है।

हिंदी हिंदुओं की भाषा थी। सिंधु नदी के किनारे रहने वाले लोगों को हिंदू कहा जाता था। हिंदी कई परिवर्तनों से गुजरी और अंततः एक आधुनिक हिंदुस्तानी भाषा के रूप में विकसित हुई। हिंदी के विकास में खड़ी बोली की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

 हिंदी भाषा का महत्व

हिंदी भाषा न केवल भारत में बल्कि विश्व के कई अन्य हिस्सों में भी बोली जाती है। यह भाषा भारतीय संस्कृति, साहित्य और इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हिंदी दिवस हमें यह याद दिलाता है कि हमें अपनी मातृभाषा का सम्मान और संरक्षण करना चाहिए। हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए इस दिन विशेष कार्यक्रम, प्रतियोगिताएँ और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

 हिंदी दिवस का उद्देश्य

हिंदी दिवस का मुख्य उद्देश्य लोगों में हिंदी भाषा के प्रति जागरूकता बढ़ाना और इसके महत्व को उजागर करना है। इस दिन विभिन्न शिक्षण संस्थानों, सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों में हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए विविध कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। विद्यार्थियों में हिंदी के प्रति रुचि बढ़ाने के लिए निबंध लेखन, भाषण प्रतियोगिता, कवि सम्मेलन आदि का आयोजन किया जाता है।

 हिंदी भाषा की स्थिति

हालांकि हिंदी भारत की राजभाषा है, फिर भी इसका उपयोग कई क्षेत्रों में सीमित होता जा रहा है। आधुनिक युग में अंग्रेजी भाषा का प्रचलन बढ़ गया है, जिसके कारण हिंदी का महत्व कम होता जा रहा है। हिंदी दिवस का यह भी उद्देश्य है कि लोगों को हिंदी भाषा के महत्व के प्रति जागरूक किया जाए और इसके उपयोग को बढ़ावा दिया जाए।

हिंदी दिवस पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम अपनी मातृभाषा का सम्मान करेंगे और इसे भविष्य की पीढ़ियों तक पहुँचाने का प्रयास करेंगे। हिंदी न केवल एक भाषा है, बल्कि यह हमारे देश की सांस्कृतिक धरोहर भी है। हमें इसे संजो कर रखना चाहिए और इसके विकास के लिए प्रयासरत रहना चाहिए।

हिंदी दिवस इतिहास

वर्ष 1918 में, गांधीजी ने हिंदी साहित्य सम्मेलन में हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा बनाने का आग्रह किया। गांधीजी ने हिंदी को जनमानस की भाषा भी कहा था। 1949 में, भारत की आधिकारिक भाषा के प्रश्न पर काफी चर्चा के बाद, 14 सितंबर 1949 को यह निर्णय लिया गया, जिसे भारतीय संविधान के भाग ग्टप्प् के अध्याय 17 के अनुच्छेद 343 में वर्णित किया गया है। संघ की आधिकारिक भाषा हिंदी होगी और लिपि देवनागरी होगी। संघ के आधिकारिक उद्देश्यों के लिए प्रयुक्त अंकों का रूप अंतरराष्ट्रीय रूप में होगा।

यह निर्णय 14 सितंबर को लिया गया, जो कि प्रसिद्ध हिंदी लेखक व्यावहार राजेंद्र सिंह की 50वीं जयंती थी, इसलिए इस दिन को हिंदी दिवस के लिए सबसे उपयुक्त माना गया। हालांकि, जब इसे राष्ट्रीय भाषा के रूप में चुना गया और लागू किया गया, तो गैर-हिंदी भाषी राज्यों के लोगों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया और अंग्रेजी को भी आधिकारिक भाषा का दर्जा देना पड़ा। इस कारण से हिंदी पर भी अंग्रेजी भाषा का प्रभाव बढ़ने लगा।

हिंदी भाषा का संवैधानिक महत्व

भारतीय संविधान के अनुसार, हिंदी को संघ की राजभाषा घोषित किया गया है और इसका प्रयोग संघ के आधिकारिक कार्यों के लिए किया जाना चाहिए। संविधान के अनुच्छेद 343 के अनुसार, हिंदी को देवनागरी लिपि में लिखा जाएगा और संघ के सभी आधिकारिक कार्यों के लिए अंकों का अंतरराष्ट्रीय रूप उपयोग किया जाएगा।


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 हिंदी दिवस की स्थापना

14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाने का निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि यह दिन प्रसिद्ध हिंदी लेखक व्यावहार राजेंद्र सिंह की जयंती है। इस दिन को हिंदी भाषा के महत्व और उसकी उपयोगिता के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए चुना गया था।

 हिंदी की वर्तमान स्थिति

हालांकि हिंदी भारत की आधिकारिक भाषा है, लेकिन इसे राष्ट्रीय भाषा के रूप में लागू करने के दौरान कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। गैर-हिंदी भाषी राज्यों ने इसका विरोध किया और अंग्रेजी को भी आधिकारिक भाषा का दर्जा देना पड़ा। इस विरोध और अंग्रेजी भाषा के बढ़ते प्रभाव के कारण हिंदी को भी अंग्रेजी भाषा से प्रभावित होना पड़ा।  हिंदी दिवस का उद्देश्य हिंदी भाषा के महत्व को पहचानना और उसे संरक्षित और संवर्धित करना है। इस दिन को मनाकर हम हिंदी भाषा के प्रति सम्मान व्यक्त करते हैं और इसे भविष्य की पीढ़ियों तक पहुंचाने का संकल्प लेते हैं।

हिंदी दिवस कैसे मनाया जाता है?

हिंदी दिवस के अवसर पर एक नारा तैयार किया जाता है जिसका उद्देश्य लोगों को एकजुट करना होता है और जो हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में उपयुक्त हो। हर साल चुने गए विषय हिंदी भाषा के महत्व को दर्शाते हैं। स्कूलों, काॅलेजों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में प्रतियोगिताएं, क्विज और कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जो छात्रों को हिंदी का उपयोग करने और उसकी सराहना करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। इस दिन, स्कूलों और काॅलेजों में कविता प्रतियोगिताएं, सार्वजनिक भाषण प्रतियोगिताएं और अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। उत्सव के एक हिस्से के रूप में, कई छात्र और प्रोफेसर हिंदी दिवस पर भाषण तैयार करते हैं और हिंदी भाषा के संरक्षण और संवर्धन के महत्व पर प्रकाश डालते हैं। हिंदी दिवस लेखकों और कवियों को पहचान देने का दिन भी है जिन्होंने हिंदी भाषा को संरक्षित और समृद्ध करने के लिए अपना जीवन समर्पित किया। सरकार भी हिंदी दिवस के समारोह में सक्रिय भूमिका निभाती है। भारत के राष्ट्रपति राजभाषा पुरस्कार प्रदान करते हैं, जो सरकारी विभागों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और राष्ट्रीयकृत बैंकों को हिंदी के प्रचार-प्रसार में उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए दिया जाता है।

 

 

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