हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष ओड़िशा राज्य के पुरी जिले में आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को जगन्नाथ यात्रा निकाली जाती है। कहा जाता है कि इसी यात्रा के माध्यम से ही भगवान जगन्नाथ वर्ष में एक बार गुंडिचा माता के मंदिर में जाते हैं। जगन्नाथ रथ यात्रा केवल भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में एक प्रसिद्ध त्योहार के रूप में मनाया जाता है। विश्व भर के लाखों श्रद्धालु रथ यात्रा में शामिल होकर उस यात्रा के साक्षी बनते हैं। ओड़िशा राज्य के पुरी जिले में स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर भारत के चार पवित्र धामों में से एक है। इस दिन गुंडिचा मंदिर को पवित्र करके भगवान विष्णु जी की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। जगन्नाथ रथ यात्रा भगवान जगन्नाथ के सम्मान में मनाया जाता है जिसे भगवान विष्णु जी के दस अवतारों में से एक माना जाता है।
भाई-बहन के साथ मौसी के घर जाते हैं भगवान जगन्नाथः-
भगवान जगन्नाथ यात्रा से जुड़ी हुई मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान जगन्नाथ रथ पर सवार होकर अपने भाई-बहनों के साथ अपने मौसी के घर गुंडिचा जाते हैं। आपको बता दें गुंडिचा को भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर माना जाता है। अपने भाई-बहनों के साथ भगवान जगन्नाथ यहाँ आकर पूरे एक हफ्ते तक रहते हैं। मौसी के घर पर भगवान जगन्नाथ का पूरे श्रद्धा से आदर सत्कार किया जाता है। अपने मौसी के घर ठहरने के दौरान भगवान जगन्नाथ के दर्शन को आड़प दर्शन कहा जाता है। इन दिनों में नारियल, मालपुए, लाई, गजामूंग आदि के महाप्रसाद का भगवान जगन्नाथ जी को भोग लगाया जाता है। यहाँ से पूरे एक हफ्ते के बाद भगवान जगन्नाथ वापस अपने घर यानि जगन्नाथ मंदिर चले जाते हैं।
जगन्नाथ यात्रा के दिन किये जाने वाले अनुष्ठानः-
भगवान जगन्नाथ यात्रा के अनुष्ठान के बारे में बात करें तो इस दिन के रथ यात्रा की तैयारी बड़े उत्साह के साथ शुरू की जाती है। यात्रा के पवित्र रथ का निर्माण विशेष रूप से चयनित किये हुए नीम की लकड़ी का उपयोग करके सावधानीपूर्वक किया जाता है। यह त्योहार देवताओं के औपचारिक स्नान के साथ शुरू किया जाता है जिसे स्नान पूर्णिमा के रूप में जाना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन देवताओं को 108 घड़ों के सुगंधित जल से स्नान कराया जाता है। उसके बाद एक भव्य जुलूस निकाला जाता है। वास्तव में यह अनुष्ठान देवताओं के दिव्य शक्तियों के कायाकल्प का प्रतीक होता है। इस दिन की यात्रा का मुख्य आकर्षण बहुत ही भव्य जुलूस होता है यहाँ देवता लगभग तीन किलोमीटर की लम्बी यात्रा करते हुए जगन्नाथ मंदिर में गुंडिचा मंदिर तक एक प्रतीकात्मक रथ यात्रा पर निकलते हैं। इस यात्रा में उपस्थित सभी भक्त गण पूरे सम्मान के साथ इस रथ को खींचतें हैं। इन्हीं अनुष्ठानों के अनुसार प्रत्येक वर्ष भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाती है।
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इस विधि से करें भगवान जगन्नाथ की पूजाः-
✨ भगवान जगन्नाथ की पूजा आरम्भ करने से पहले आप स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद पूरी तरह से पवित्र हो जायें।
✨ उसके बाद भगवान जगन्नाथ की पूजा करने के लिए पूजा सामग्री में चावल, दलिया, घी, दूध, फूल, धूप, दीपक, नारियल, अगरबत्ती और पूजा की चैकी अवश्य रखें।
✨ भगवान जगन्नाथ की पूजा इन सभी सामग्रियों का प्रयोग करके विधिपूर्वक करें उसके बाद भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद प्राप्त करें।
✨ भगवान के समक्ष धूप और दीपक जलाकर उन्हें फल अर्पित करें।
✨ अब चावल और दलिया की थाली को भगवान जगन्नाथ की मूर्ति के सामने रखें, उसके बाद थाली में घी डालकर भगवान जगन्नाथ को अर्पित करें।
✨ उसी तरह से एक दूध से भरी हुई थाल को भी भगवान जगन्नाथ को अर्पित करें।
✨ पूजा की समाप्ति के बाद भगवान जगन्नाथ की आरती करें।
✨ उसके बाद अर्पित किये गये चावल, दलिया, घी और दूध को भगवान के प्रसाद के रूप में सभी भक्तों में बाँटें।
जगन्नाथ रथयात्रा शुभ मुहूर्तः-
जगन्नाथ रथयात्रा 07 जुलाई 2024 को रविवार के दिन मनाया जायेगा।
द्वितीया तिथि प्रारम्भः- 07 जुलाई 2024, सुबह 04ः26 मिनट से,
द्वितीया तिथि समाप्तः- 08 जुलाई 2024, सुबह 04ः59 मिनट तक।