उड़ीसा के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ का मंदिर हिंदुओं के पवित्र चार धामों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि भगवान जगन्नाथ की मूर्ति में श्रीकृष्ण का हृदय धड़कता है। स्कंद पुराण में जगन्नाथ रथ यात्रा का विशेष महत्व बताया गया है।
इस यात्रा में जो व्यक्ति भगवान जगन्नाथ के नाम का कीर्तन करते हुए गुंडिचा नगर तक जाता है, वह पुनर्जन्म के बंधन से मुक्त हो जाता है। रथ यात्रा में शामिल होकर भगवान के नाम का कीर्तन करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस पवित्र यात्रा में भाग लेने से संतान संबंधी परेशानियां भी दूर हो जाती हैं।
जगन्नाथ की रथ यात्रा कब से कब तक
जगन्नाथ की रथ यात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया से दशमी तिथि तक जगन्नाथपुरी में मनाई जाती है। इस साल, यह यात्रा 7 जुलाई 2024 से शुरू होकर 16 जुलाई 2024 को समाप्त होगी।
क्यों निकाली जाती है जगन्नाथ रथ यात्रा
जगन्नाथ रथ यात्रा भगवान जगन्नाथ के वार्षिक गुंडिचा माता मंदिर की यात्रा का प्रतीक है। एक बार, बहन सुभद्रा ने नगर देखने की इच्छा जताई थी, तब भगवान जगन्नाथ ने उन्हें रथ पर बैठाकर नगर भ्रमण कराया था। भगवान जगन्नाथ को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है और इस यात्रा में उन्हें नगर भ्रमण कराते हुए दिखाया जाता है। इस यात्रा में भाग लेकर भक्त भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।
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कौन है पुरी की देवी विमला ?
देवी विमला, जिन्हें भगवान जगन्नाथ जी के समान ही पूजा जाता है, माता सती के आदिशक्ति (माता पार्वती) का स्वरूप माना जाता है और वे भगवान विष्णु की बहन भी हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवी विमला जगन्नाथ पुरी की अधिष्ठात्री देवी हैं और इसीलिए मंदिर परिसर में उनका शक्तिपीठ है।
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा की महिमा
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा विश्व भर में प्रसिद्ध है। जगन्नाथ का शाब्दिक अर्थ है “जग के नाथ”, अर्थात् ब्रह्मांड के स्वामी। जगन्नाथ मंदिर पवित्र चार धामों में से एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। उड़ीसा के पुरी में इस यात्रा के दौरान देश-विदेश से लाखों लोग भगवान जगन्नाथ की एक झलक पाने के लिए आते हैं।