Kalash Sthapna Puja Samagri 2024: कलश स्थापना के लिए आवश्यक पूजा सामग्री और विधि
नवरात्रि का पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह नौ दिनों का उत्सव देवी दुर्गा के नौ रूपों की आराधना के लिए समर्पित होता है। इस दौरान कलश स्थापना का विशेष स्थान होता है, जिसे शुभता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। कलश की स्थापना और पूजा से घर में देवी दुर्गा का वास होता है और सभी कष्टों का निवारण होता है। अगर आप 2024 में नवरात्रि पर कलश स्थापित करने की योजना बना रहे हैं, तो यहां पूजा सामग्री (Kalash Sthapna Puja Samagri 2024) की विस्तृत सूची और कलश स्थापना विधि दी गई है।
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त:
2024 में नवरात्रि घटस्थापना का शुभ मुहूर्त 3 अक्टूबर को होगा। आश्विन घटस्थापना इस वर्ष बृहस्पतिवार, 3 अक्टूबर 2024 को होगी। इस दिन घटस्थापना का मुख्य मुहूर्त सुबह 05:50 ए.एम. से लेकर 06:55 ए.एम. तक रहेगा, जिसकी कुल अवधि 1 घंटा 5 मिनट होगी। इसके अलावा, अभिजित मुहूर्त भी महत्वपूर्ण है, जो 11:22 ए.एम. से 12:09 पी.एम. तक चलेगा, जिसकी अवधि 47 मिनट है। इस विशेष दिन को ध्यान में रखते हुए, भक्तजन विधिपूर्वक कलश स्थापना कर सकते हैं। शुभ मुहूर्त में कलश की स्थापना (Kalash Sthapna Puja Samagri 2024) करने से मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में शांति और सुखसमृद्धि आती है।
कलश स्थापना पूजा सामग्री (Kalash Sthapna Puja Samagri 2024):
नवरात्रि की पूजा के लिए नीचे दी गई सामग्री को पहले से तैयार कर लेना आवश्यक होता है:
कलश (घट): एक पीतल, मिट्टी या तांबे का कलश।
गंगाजल: कलश में भरने के लिए।
मौली (कलावा): कलश पर बांधने के लिए।
रोली और सिंदूर: तिलक के लिए।
अक्षत (चावल): पूजा के लिए।
सिक्का: कलश में रखने के लिए।
नारियल (जटा वाला): कलश पर रखने के लिए।
आम के पत्ते: कलश के चारों ओर लगाने के लिए।
मिट्टी का बर्तन: ज्वार बोने के लिए।
गेहूं या जौ: ज्वार बोने के लिए।
दीपक: अखंड ज्योति के लिए।
घी और रूई की बत्तियां: दीपक जलाने के लिए।
लाल वस्त्र: कलश को सजाने के लिए।
फूल माला: मां दुर्गा को अर्पित करने के लिए।
धूप और कपूर: पूजा में उपयोग के लिए।
पंचमेवा: हवन सामग्री में डालने के लिए।
हवन कुंड और आम की लकड़ी: हवन अनुष्ठान के लिए।
भोग: देवी को अर्पित करने के लिए प्रसाद।
मां के श्रृंगार के लिए सामग्री:
लाल चुनरी: मां दुर्गा को अर्पित करने के लिए।
सिंदूर, बिंदी और काजल: श्रृंगार के लिए।
सोने या चांदी की चूड़ियां और बिछिया: माता को चढ़ाने के लिए।
माला: मां को पहनाने के लिए।
जवार बोने की सामग्री:
शुद्ध मिट्टी: जवार बोने के लिए।
गेहूं या जौ: जवार के लिए।
साफ कपड़ा: मिट्टी पर बिछाने के लिए।
जल: सिंचाई के लिए।
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अखंड ज्योति के लिए सामग्री:
दीपक (मिट्टी या पीतल का): अखंड ज्योति जलाने के लिए।
घी और रूई: दीपक में डालने के लिए।
हवन सामग्री:
नवरात्रि के दौरान हवन करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके लिए आपको निम्न सामग्री की आवश्यकता होगी:
हवन कुंड और आम की लकड़ी: हवन के लिए।
काले तिल, धूप और कपूर: हवन अनुष्ठान के लिए।
कपूर, गुग्गल और कमलगट्टा: हवन सामग्री।
घी और पंचमेवा: हवन में डालने के लिए।
सुपारी और लौंग का जोड़ा: हवन सामग्री में शामिल करने के लिए।
कलश स्थापना विधि:
सबसे पहले पूजा स्थल को साफ करें और वहां स्वस्तिक का चिह्न बनाएं।
कलश में गंगाजल भरें और उसमें सिक्का, अक्षत और सुपारी डालें।
कलश के चारों ओर मौली बांधें और उसमें आम के पत्ते सजाएं।
नारियल पर रोली और सिंदूर से तिलक करें और उसे कलश के ऊपर रखें।
मिट्टी के बर्तन में गेहूं या जौ बोएं और उसे कलश के पास रखें।
अखंड ज्योति जलाएं और देवी की आराधना करें।
हवन के समय हवन कुंड में आम की लकड़ी, तिल, घी और हवन सामग्री डालें।
नवरात्रि के नौ दिनों तक पालन करने वाले विशेष नियम:
कलश की पूजा प्रतिदिन करें और अखंड ज्योति को बुझने न दें।
मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा अलगअलग दिन करें और भोग लगाएं।
नवरात्रि के समापन पर कलश का विसर्जन विधिपूर्वक करें और नारियल को प्रसाद के रूप में वितरित करें।
इस प्रकार नवरात्रि के दौरान कलश की स्थापना और मां दुर्गा की पूजा से घर में शांति, सुख और समृद्धि का वातावरण बना रहता है। पूजा की सभी सामग्री को सही तरीके से उपयोग करने से देवी का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में सुखशांति बनी रहती है।