पितृ पक्ष के दौरान पितरों का स्मरण, तर्पण और पिंडदान जैसे कर्म अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इस समय में पितरों को प्रसन्न करने के लिए कई नियमों का पालन करना आवश्यक होता है। इन्हीं में से एक नियम यह है कि पितृ पक्ष के दौरान कुछ विशेष खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं किया जाना चाहिए। ये प्रतिबंधित पदार्थ न केवल पितरों को अप्रसन्न कर सकते हैं, बल्कि पूजा-पाठ में भी बाधा उत्पन्न कर सकते हैं। आइए Astrologer K. M. Sinha द्वारा विस्तार से जानते हैं कि पितृ पक्ष के दौरान किन चीजों का सेवन करना वर्जित है और क्यों।
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मांस और मदिरा का सेवन:
पितृ पक्ष के दौरान मांस और मदिरा का सेवन पूरी तरह से वर्जित है। हिंदू धर्म के अनुसार, ये पदार्थ तामसिक होते हैं और इनका सेवन करने से मन की शुद्धता में कमी आती है। इस समय पितरों की आत्मा की शांति और तृप्ति के लिए जो कर्म किए जाते हैं, वे पूरी श्रद्धा और सात्विकता के साथ होने चाहिए। मांस और मदिरा का सेवन पितरों की आत्मा को अशांत कर सकता है और पितृ दोष को बढ़ा सकता है।
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लहसुन और प्याज:
लहसुन और प्याज को भी तामसिक भोजन की श्रेणी में रखा गया है। इनका सेवन पितृ पक्ष के दौरान नहीं करना चाहिए। लहसुन और प्याज का प्रभाव मन और शरीर दोनों पर पड़ता है, जिससे पूजा-पाठ और श्राद्ध कर्म में विघ्न आ सकता है। इसलिए, इस समय सात्विक भोजन का सेवन करना ही उचित होता है।
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जमीन के नीचे उगने वाली सब्जियाँ (कंद):
पितृ पक्ष के दौरान उन सब्जियों का सेवन नहीं करना चाहिए जो जमीन के नीचे उगती हैं। इनमें आलू, शकरकंद, मूली, गाजर, शलजम, चुकंदर, अरबी आदि शामिल हैं। शास्त्रों में इन सब्जियों को कंद कहा गया है और इनमें जीव के अंश होने की बात वर्णित है। इसलिए, इनका सेवन पितरों को अप्रसन्न कर सकता है। ये सब्जियाँ पितरों से जुड़ी किसी भी विधि में भी उपयोग नहीं की जानी चाहिए, क्योंकि इससे पूजा में दोष लगता है और पितरों को तृप्ति नहीं मिल पाती।
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चना और उससे बने खाद्य पदार्थ:
पितृ पक्ष के दौरान चने और उससे बने खाद्य पदार्थों का सेवन वर्जित है। चना, चने की दाल, चने का सत्तू और चने से बनी मिठाइयाँ पितरों को नहीं खिलाई जानी चाहिए और न ही इन्हें घर में लाना चाहिए। यह माना जाता है कि चना पितरों को तृप्त नहीं कर पाता और इससे पितृ दोष का भय रहता है।
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मसूर की दाल:
मसूर की दाल को भी पितृ पक्ष के दौरान पूरी तरह से वर्जित किया गया है। इसे घर में लाना, खाना, पितरों को खिलाना या ब्राह्मण भोज में सम्मिलित करना बहुत अशुभ माना गया है। इसका सेवन पितरों की आत्मा को अशांत कर सकता है और श्राद्ध कर्म में दोष उत्पन्न कर सकता है।
पितृ पक्ष में इन चीजों का सेवन करने से बचने के कारण:
पितृ पक्ष एक ऐसा समय होता है जब पितरों की आत्मा पृथ्वी पर अपने वंशजों से मिलने और तर्पण ग्रहण करने आती है। इस दौरान उनका ध्यान रखना, उनके लिए सात्विक भोजन और श्रद्धा के साथ कर्म करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। जो भी व्यक्ति इन नियमों का पालन नहीं करता, उसे पितृ दोष का सामना करना पड़ सकता है। पितृ दोष से मुक्ति के लिए पुनः श्राद्ध कर्म करना पड़ता है और इसके लिए विशेष पूजा विधियों का पालन करना आवश्यक हो जाता है।
इसलिए, पितृ पक्ष के दौरान उपरोक्त नियमों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है ताकि पितरों की आत्मा को शांति मिल सके और वे प्रसन्न होकर परिवार को अपना आशीर्वाद दे सकें। इन नियमों का पालन करने से न केवल पितृ दोष से मुक्ति मिलती है, बल्कि परिवार में सुख-समृद्धि और शांति का वास भी होता है।