पितृ पक्ष हिंदू धर्म में पितरों के प्रति सम्मान और श्रद्धा व्यक्त करने का एक महत्वपूर्ण अवसर होता है। यह अवधि विशेष रूप से पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म करने के लिए निर्धारित की जाती है। आइए जानें Astrologer K.M Sinha ji से कि पितृ पक्ष को श्राद्ध के लिए क्यों खास माना जाता है और इसका महत्व क्या है।
पितृ पक्ष का महत्व और विशेषता
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पितरों का आशीर्वाद और उसकी भूमिका
पितरों का आशीर्वाद हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पितरों के प्रति की जाने वाली पूजा और तर्पण से न केवल उनके आत्मा को शांति मिलती है, बल्कि परिवार में सुख-समृद्धि और उन्नति भी बनी रहती है। यदि पितर नाराज़ होते हैं, तो जीवन में अनेक संकट आ सकते हैं, जैसे कि आर्थिक समस्याएँ, स्वास्थ्य समस्याएँ और परिवारिक विवाद।
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पितृ पक्ष का समय और तिथियाँ
पितृ पक्ष का आयोजन भाद्रपद मास की पूर्णिमा से शुरू होता है और आश्वयुजा कृष्णपक्ष की अमावस्या तक चलता है। इस अवधि में 16 दिन होते हैं, जिन्हें पितृ पक्ष कहा जाता है। यह समय पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म करने के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है। इन 16 दिनों के दौरान पितरों को सम्मान देने और उनकी आत्मा की शांति के लिए विशेष उपाय किए जाते हैं।
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पितरों का धरती पर आगमन
पौराणिक मान्यता के अनुसार, पितृलोक का एक दिन धरती के एक पक्ष के बराबर होता है। इस अवधि में यमराज पितरों को धरती पर भेजते हैं ताकि वे अपने परिवार से मिल सकें। यह समय उनके लिए विशेष होता है, जब वे अपने वंशजों से सम्मान और भोजन की अपेक्षा करते हैं। इसलिए, इस समय पितरों के प्रति श्रद्धा और सम्मान व्यक्त करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
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श्राद्ध कर्म का महत्व
श्राद्ध कर्म पितरों को तृप्त करने और उनकी आत्मा को शांति देने के लिए किया जाता है। हिंदू धर्म में यह माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान किया गया श्राद्ध कर्म विशेष रूप से प्रभावशाली होता है। इस समय पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान और ब्राह्मण भोजन का आयोजन किया जाता है, जो कि पितरों को तृप्त करने के लिए आवश्यक होता है।
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पितृ पक्ष बनाम अन्य श्राद्ध अवसर
पुराणों और स्मृतियों में कुल 12 प्रकार के श्राद्ध बताए गए हैं। वहीं, धर्मसिंधु में श्राद्ध कर्म के 96 अवसर वर्णित हैं लेकिन पितृ पक्ष का महत्व इन सबमें सबसे अधिक होता है। यह समय पितरों के लिए विशेष होता है और इस दौरान किए गए कर्म शीघ्र फलदायी होते हैं। पितृ पक्ष की अवधि के दौरान पितरों की कृपा प्राप्त करने के लिए यह समय सबसे उपयुक्त माना जाता है।
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पितृ दोष और उसका समाधान
पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए पितृ पक्ष का समय विशेष रूप से लाभकारी होता है। पितरों को प्रसन्न करने के लिए इस समय विशेष तर्पण और पूजा की जाती है, जिससे पितृ दोष दूर हो जाता है और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है। पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए पितृ पक्ष का अनुसरण करना अत्यंत आवश्यक होता है।
पितृ पक्ष का आयोजन और इस दौरान किए जाने वाले श्राद्ध कर्म पितरों की आत्मा की शांति और तृप्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। यह समय पितरों को सम्मान देने, तर्पण करने और उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का एक विशेष अवसर होता है। पितृ पक्ष में किए गए कर्म न केवल पितरों को शांति प्रदान करते हैं, बल्कि परिवार में सुख-समृद्धि और शांति भी लाते हैं। इसलिए, पितृ पक्ष को श्रद्धा और धैर्य के साथ मनाना चाहिए, ताकि पितरों की कृपा प्राप्त की जा सके और पितृ दोष से मुक्ति मिल सके।