Raksha Bandhan रक्षाबंधन के 10 रोचक तथ्य जो आप नहीं जानते होंगे

रक्षा सूत्र को कहते हैं राखी

पहले राखी को रक्षा सूत्र कहा जाता था, जिसे सामान्य बोलचाल की भाषा में राखी कहा जाने लगा। यह शब्द वेद के संस्कृत शब्द रक्षिका का अपभ्रंश है।

हर प्रांत में है अलग नाम

कहा जाता है कि राखी को श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है इसलिए रक्षा कहने के पहले इसे श्रावणी या सलूनों कहते थे अलगअलग प्रांतों में राखी के अलगअलग नाम हैं, जैसे दक्षिण में नारियल पूर्णिमा, बलेव और अवीन अवित्तम, राजस्थान में रामराखी और चूड़ाराखी या लूंबा।

Download the KUNDALI EXPERT App

इंद्र की पत्नी के कारण भी राखी का त्योहार मनाया जाने लगा

भविष्य पुराण में कहा गया है कि देव और असुरों में जब युद्ध शुरू हुआ, तब असुर या दैत्य देवों पर भारी पड़ने लगें। इस कारण से देवताओं को हारता देख देवेंद्र इंद्र घबराकर ऋषि बृहस्पति के पास गएं। तब बृहस्पति जी के सुझाव पर इंद्र की पत्नी इंद्राणी ने रेशम का एक धागा मंत्रों की शक्ति से पवित्र करके अपने पति के हाथ पर बाँध दिया। संयोगवश वह श्रावण पूर्णिमा का दिन था जिसके फलस्वरूप इंद्र विजयी हुएं। कहते हैं कि तब से ही पत्नियाँ अपने पति की कलाई पर युद्ध में उनकी जीत के लिए राखी बाँधने लगीं।

राजा बली के कारण भी राखी का त्योहार मनाया जाता है – 

स्कंद पुराण, पद्यपुराण और श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार जब भगवान वामन ने महाराज बली से तीन पग भूमि माँग कर उन्हें पाताल लोक का राजा बना दिया तब राजा बली ने भी वर के रूप में भगवान से रातदिन अपने सामने रहने का वचन भी ले लिया।

भगवान को वामनावतार के बाद पुनः लक्ष्मी जी के पास जाना था लेकिन भगवान ये वचन देकर फस गएं और वे वहीं रसातल में बली की सेवा में रहने लगें। उधर इस बात से माता लक्ष्मी चिंतित हो र्गइं। ऐसे में नारद जी ने लक्ष्मी जी को एक उपाय बताया। तब लक्ष्मी जी ने राजा बली को राखी बाँध कर अपना भाई बनाया और अपने पति का अपने साथ र्ले आइं। उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि थी। तभी से यह रक्षा बंधन का त्योहार प्रचलन में है इसीलिए रक्षा बंधन पर महाराजा बली की कथा सुनने का प्रचलन है।

द्रौपदी की रक्षा से जुड़ा प्रसंग

एक बार भगवान श्री कृष्ण के हाथ में चोट लग गई थी तथा उनके हाथों में से खून बह रहा था जब द्रौपदी ने देखा कि भगवान श्री कृष्ण के हाथों से खून निकल रहा है तब उन्होंने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर कृष्ण जी के हाथ में बाँध दिया जिससे खून बहना बंद हो गया। जब महाभारत में द्रौपदी का दुःशासन ने चीरहरण का प्रयास किया था तब श्रीकृष्ण ने उसी चीर को बढ़ाकर इस बंधन का उपकार चुकाया था तब से यह प्रसंग भी रक्षा बंधन के महत्व को प्रतिपादित करता है।

Download the KUNDALI EXPERT App

राखी बाँधने का मंत्र

बहन को भाई को राखी बाँधते समय इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए:

येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।

तेनत्वां अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।

हनुमान जी को राखी बाँधना

कहते हैं कि रक्षा बंधन पर हनुमान जी को राखी बाँधने से वे भाईबहनों के क्रोध को शांत करके उनमें आपसी प्रेम बढ़ाते हैं।

रक्षा बंधन का त्योहार पूर्णिमा के दिन

रक्षा बंधन का त्योहार पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है पूर्णिमा के देवता चंद्रमा हैं। इस तिथि में शिवजी के साथ चंद्रदेव की पूजा करने से मनुष्य का सभी जगह आधिपत्य हो जाता है। यह सौम्या तिथि है। दोनों की पूजा करने से घर में शांति और समृद्धि का वास होता है।

Download the KUNDALI EXPERT App

माता पार्वती जी को खीर अर्पित करना

सावन पूर्णिमा के दिन माता पार्वती जी को चावल की खीर बनाकर अर्पित करने से सभी विपत्तियाँ दूर हो जाती हैं।

ॐ सोमेश्वराय नमःमंत्र का जाप

रक्षाबंधन के दिन सोमेश्वराय नमःमंत्र का जाप करते हुए शिवलिंग पर दूध और जल चढ़ाने से आर्थिक परेशानियाँ दूर होती हैं और धन लाभ में वृद्धि होती है।

464 Views
× How can I help you?