Varg Kundali: वैदिक ज्योतिष में वर्ग कुण्डलियों का महत्व

जन्म कुण्डली व्यक्ति के भूत, वर्तमान और भविष्य के बारे में जानकारी देती है, लेकिन वैदिक ज्योतिष में वर्ग कुण्डलियों (Divisional Charts) का भी विशेष महत्व है। इन वर्ग कुण्डलियों से जन्म कुण्डली में दिखाए गए योगों और ग्रहों की स्थिति की विस्तृत समीक्षा की जाती है। आइए Famous Astrologer K.M.Sinha से जानते हैं कि ये वर्ग कुण्डलियां कितनी महत्वपूर्ण होती हैं और किस प्रकार से इनके विश्लेषण से जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझा जा सकता है।

  1. होरा कुण्डली (Hora Kundali – D-2)

होरा कुण्डली धन के मामले में महत्वपूर्ण होती है। इसमें चंद्रमा की होरा और पुरुष ग्रह सूर्य की होरा को देखना विशेष माना जाता है। चंद्रमा की होरा को स्त्री समान और सूर्य की होरा को पुरुष समान माना जाता है। इस कुण्डली से व्यक्ति के धन की स्थिति और वित्तीय अवसरों का विश्लेषण किया जाता है।

  1. द्रेष्काण कुण्डली (Dreshkan Kundali – D-3)

द्रेष्काण कुण्डली भाई-बहनों के लिए देखी जाती है। इसमें यह पता लगाया जाता है कि कितने भाई-बहन होंगे और उनके साथ संबंध कैसे रहेंगे। इस कुण्डली से भाई-बहनों के सुख-दुख और उनके जीवन के अन्य पहलुओं की जानकारी मिलती है।

  1. चतुर्थांश कुण्डली (Chaturthansh Kundali – D-4)

चतुर्थांश कुण्डली भूमि, जमीन और भाग्य के लिए महत्वपूर्ण होती है। इससे यह पता चलता है कि व्यक्ति का भाग्य कैसा रहेगा, घर बनाना संभव होगा या नहीं और भूमि से संबंधित अन्य पहलुओं की जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

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  1. सप्तांश कुण्डली (Saptansh Kundali – D-7)

सप्तांश कुण्डली संतान के मामले में महत्वपूर्ण होती है। इससे यह देखा जाता है कि व्यक्ति के संतान संबंधी योग कैसे हैं और संतान से सुख मिलेगा या नहीं। यदि जन्म कुण्डली में संतान के योग हैं, लेकिन सप्तांश कुण्डली में नहीं हैं, तो संतान होने में समस्याएं आ सकती हैं।

  1. नवांश कुण्डली (Navansh Kundali – D-9)

नवांश कुण्डली सबसे महत्वपूर्ण वर्ग कुण्डली मानी जाती है। इसे जीवनसाथी और जीवन के अन्य पहलुओं के लिए देखा जाता है। इस कुण्डली में जन्म कुण्डली के योगों की पुष्टि होती है और यह जीवन के हर क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण होती है।

  1. दशमांश कुण्डली (Dashmansh Kundali – D-10)

दशमांश कुण्डली कैरियर के लिए देखी जाती है। इससे यह पता चलता है कि व्यक्ति को कैरियर में सफलता मिलेगी या नहीं। जन्म कुण्डली के दशम भाव की पुष्टि इस कुण्डली से की जाती है।

  1. द्वादशांश कुण्डली (Dwadshansh Kundali – D-12)

द्वादशांश कुण्डली माता-पिता के लिए महत्वपूर्ण होती है। इससे माता-पिता के स्वास्थ्य और उनसे मिलने वाले सुख-दुख की जानकारी प्राप्त की जाती है।

  1. षोडशांश कुण्डली (Shodshansh Kundali – D-16)

षोडशांश कुण्डली वाहन सुख के लिए देखी जाती है। इससे यह पता चलता है कि व्यक्ति को मनपसंद वाहन मिलेगा या नहीं।

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  1. विशांश कुण्डली (Vishansh Kundali – D-20)

विशांश कुण्डली आध्यात्मिक विकास के लिए देखी जाती है। इससे व्यक्ति के धार्मिक और आध्यात्मिक झुकाव का पता लगाया जा सकता है।

  1. चतुर्विशांश कुण्डली (Chaturvishansh Kundali – D-24)

चतुर्विशांश कुण्डली शिक्षा के लिए देखी जाती है। इससे व्यक्ति की शिक्षा का स्तर और उसमें आने वाली बाधाओं की जानकारी प्राप्त होती है।

  1. सप्तविशांश कुण्डली (Saptavishansh Kundali – D-27)

सप्तविशांश कुण्डली जीवन की ताकतवर और कमजोरियों को देखती है। इससे व्यक्ति की आंतरिक और बाहरी ताकत और कमजोरियों का विश्लेषण किया जाता है।

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  1. त्रिशांश कुण्डली (Trishansh Kundali – D-30)

त्रिशांश कुण्डली स्वास्थ्य और दुर्घटनाओं के लिए देखी जाती है। इससे शारीरिक बीमारियों और जीवन के कठिन समय की पुष्टि होती है।

  1. चत्वारिशांश कुण्डली (Chatvarishansh Kundali – D-40)

चत्वारिशांश कुण्डली जीवन के सामान्य शुभ-अशुभ पहलुओं को देखती है और माता की ओर से मिलने वाली संपत्ति के बारे में बताती है।

  1. अक्षवेदांश कुण्डली (Akshvedansh Kundali – D-45)

अक्षवेदांश कुण्डली व्यक्ति के व्यक्तित्व और पैतृक संपत्ति के बारे में जानकारी देती है।

  1. षष्टियाँश कुण्डली (Shashtiyansh Kundali – D-60)

षष्टियाँश कुण्डली पूर्व जन्म के कर्मों को दिखाती है। यह जीवन की घटनाओं के क्यो को स्पष्ट करती है और पूर्व जन्म के कर्मों के भुगतान को दिखाती है।

इन वर्ग कुण्डलियों का विश्लेषण करने से हम जन्म कुण्डली में देखे गए ग्रहों और योगों की सही स्थिति और प्रभाव को समझ सकते हैं। ये कुण्डलियां जीवन के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से समझने में सहायता करती हैं और जीवन के कई महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर प्रदान करती हैं।

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