हिन्दु सभ्यता मे सभी त्योहार का अपना महत्व होता है और त्योहारो को इसी श्रेणी मे नाग पंचमी एक बेहद ही पावन और प्रमुख त्योहार माना गया है। नाग पंचमी हिन्दु पंचाग के अनुसार सावन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। जैसा की नाम से ही परिचित हो रहा है कि यह त्योहार नागो और सर्पों को आभार प्रकट करने के लिए मनाया जाता है। इस दिन नागो के देवता और अन्य सापों की पूजा की जाती है। इसी बीच सर्पो को दूध पिलाने की मिथ्या चल पड़ी है। जो कि पूर्णतः गलत है। उन्हें दूध से नहलाया जाता है ना की पिलाया जाता है। दूध नागो के लिए नही होता और यह उनके शरीर के लिए भी हानिकारक होता है। सर्प को दूध नही पचता है जिसकी वजह से उनकी तत्काल मृत्यु भी हो जाती है। इसलिए आप सभी को यह बता दिया जाता है जिससे कि आप पाप के भागी ना बने और भगवान शिव की पूर्ण कृपा आप पर हो। नाग पंचमी पर अष्टनागो की पूजा होती है। यूपी के वाराणसी मे एक स्थान श् नाग कुआँ श् नाम से है, वहाँ इस दिन बहुत बड़ा मेला लगता है और लोग अलग-अलग जगह से इस मेले को देखने के लिए आते है। नाग पंचमी वाले दिन पूजा करने से जन्म कुण्डली के सर्प दोष और काल सर्पदोष का निवारण भी हो जाता है। बहुत से जातक तो नाग पंचमी का बेसबरी से इतंजार करते है जिससे कि वह पूजा करके अपनी कुण्डली मे बन रहे दोषो से मुक्त हो सकें। नाग पंचमी वाले दिन अनेक गांवो मे कुश्ती का आयोजन भी किया जाता है। इस दिन गाय, भैस, बैल आदि पशुओं को तालाब मे स्नान कराया जाता है।
सर्प का महत्व
यह हम सभी जानते है कि भारत मे कृषि को सर्वप्रथम विशेषता दी जाती है और भारत को कृषिप्रधान देश भी कहा जाता है और सांप खेत की रक्षा करते है इसीलिए उन्हें क्षेत्रफल की संज्ञा भी दी जाती है। खेतो को जीव-जन्तु, चूहे, बैल आदि खराब करने की क्षमता रखते है किंतु सांप इन सभी से हमारे खेत को बचाता है और साथ ही यह कुछ संकेत भी देता है। देखा जाए तो सामान्यतः सांप किसी को भी अकारण नही काटता है, वह तभी प्रहार करता है जब कोई उसे परेशान करे, जिस प्रकार हम अपना बचाव करते है, ठीक उसी प्रकार वह भी अपने प्राण बचाने के लिए हमे डँस लेता है, सांप को सुगंध बहुत ही पंसद होती है इसीलिए वह चंपा और चंदन के पेड़ो पर अधिक पाया जाता है, इसके अलावा सांप शिव जी के गले पर भी विराजमान देखा गया है, इससे यह पता चलता है कि सांप कितना महत्वपूर्ण है।
नाग पंचमी की पौराणिक कथा
हिन्दु त्योहार किसी न किसी कहानी से अवश्य जुड़ा होता है तो आइए नाग पंचमी की पौराणिक कथा को भी समझते है। प्राचीन समय एक सेठ जी के सात पुत्र थे, सेठ जी अपने सातो पुत्रो का विवाह कर चुके थे, सबसे छोटे वाले पुत्र की धर्मपत्नी सबसे चरित्रवान और कार्य में दक्ष थी किंतु उसका कोई भाई नही था एक दिन घर लीपने के लिए सबसे बड़ी बहू ने बाकी बहुओ को बुलाया और पीली मिट्टी के लिए खुरपी लेकर मिट्टी खोदने लगी।, मिट्टी खोदते वक्त वहां एक साप आ गया और बड़ी बहू उसे खुरपी से मारने लगी किंतु छोटी बहू से उसे ऐसा करने से रोक दिया बड़ी बहू नेे उसे नही मारा और वह दूसरी तरफ जा कर बैठ गयी। छोटी बहू ने सांप से कहा कि वो वहीं रुके और वह अभी वापस आएगी किंतु छोटी बहू यह बात भूल और बाकी बहूओ के साथ मिट्टी लेकर घर चली गई। अगले दिन उसे यह बात याद आई कि उसने सांप से वादा किया गया था तो वह उसी स्थान पर पहुँच गई और जब उसने सर्प को वहीं देखा तो बोली – सर्प भैया नमस्कार यह सुनकर सर्प ने जवाब दिया कि तूने मुझे भैया बोला है इसलिए जाने दे रहा हूँ नही तो अभी डस लेता । छोटी बहू नेे क्षमा प्रार्थना की और तब सर्प ने उससे बोला आज से तू मेरा भाई बन गया है। कुछ दिन बीत जाने के बाद साप मनुष्य का रुप लेकर अपनी बहन के घर गया और बोला कि उसकी बहन को भेज दिया जाए। यह सुनके सब आश्चर्यचकित हो गए और बोले कि उसका कोई भाई नही है तो तुम कहाँ से आ गए। सांप ने उन्हें यकीन दिलाया कि वो दूर का भाई है और शुरु से ही बाहर रहता है। सांप की बाते सुनकर उन्होंने छोटी बहु को उसके साथ भेज दिया। रास्ते मे सांप ने उसे बताया कि मै वही सांप हूँ और तुम्हें डरने की जरुरत नही है और यदि कहीं भी तुम थक जाओ तो मेरी पूंछ पकड़ लेना। वो दोनो सांप के घर पहुँच गए और वह इतना धन ऐश्वर्य देख के चकित हो गई। एक दिन सर्प की माता ने उसे अपने भाई को ठंडा दूध देने के लिए कहा और बाहर चली गई किंतु छोटी बहू ने गलती से गर्म दूध दे दिया और सांप का मुख जल गया। उनकी माता को बहुत क्रोध आया तब सांप ने उन्हें समझाकर शांत कर दिया। सांप ने कहा कि अग बहन को अपने घर चले जाना चाहिए और सांप से ऐसा ही किया अपनी बहन को बहुत सारे जेवर, सोना, चाँदी वस्त्र आदि के साथ घर भेज दिया। यह सब देख कर बड़ी बहू को जलन होने लगी और बोली की तुम्हारे भाई तो बहुत ही धनवान है, तुम्हेें तो उससे और धन लाना चाहिए। सांप से यह सब सुन लिया और अपनी बहन को सारी सोने की वस्तुएं आकर दे दी। यह देखकर बहू को और लालच आया तो बोली की झाडू भी सोने की होनी चाहिए तो सांप ने वह भी लाकर दे दी। सांप ने अपनी बहन को एक अनमोल हीरा-मणी का हार दिया जिसकी प्रशंसा पूरे राज्य मे होने लगी और रानी से राजा से कहा कि उसे वो हार चाहिए। राजा तुरंत ही आदेश दिया कि हार सेठ के घर से लाया जाए और महारानी को दिया जाए मंत्री ने राजा के आदेश का पालन किया और वह हार लेने के लिए सेठ के घर पहुॅच गया। छोटी बहू को बहुत दुख हुआ किंतु वह मजबूर थी और उसने मन ही मन प्रार्थना भी कि भैया कुछ ऐसा करना जिससे कि जब भी यह हार रानी पहने तो सर्प बन जाए और अगर मै पहनु तो वह फिर से हीरा-मोती बन जाए। सांप ने वैसा ही किया और जैसे ही रानी ने उसे अपने गले मे डाला वह साप बन गया। रानी जोर से चिल्लाने लगी और यह सब देखकर राजा ने जल्दी से छोटी को बुलवाया और बोला की अब वह उसे इस पाप का दंड देगा। छोटी बहू ने क्षमा प्रार्थना की और बताया कि हे राजन यह एक ऐसा हार है जो कि सिर्फ मेरे ही गले में हीरे-मातियों का होता है और यदि कोई इसे पहने तो वह सांप का हो जाता है। ऐसा वचन सुनकर राजा ने उसे वह सर्प दिया और बोला की अब इसे पहन कर दिखाओ। छोटी बहू ने वैसा ही किया और जैसे ही उसने सांप को गले मे डाला बहू हीरे-मणियों की माला बन गई। सब आश्चर्यचकित हो गए और राजा ने खुश होकर छोटी बहू को बहुत सी मुद्रांए पुरस्कार मे दी। छोटी बहू इनाम और हार लेकर घर वापस आ गई किंतु यह सब देखकर बड़ी बहू की ईर्ष्या और बढ़ गई। जलने के कारण बड़ी बहू ने उसके पति को बताया कि छोटी बहू कही से बहुत सारा पैसा आ रहा है। यह बातें सुनकर उससे अपनी पत्नी को बुला के पूछा कि उसके पास इतने पैसे कहा से आ रहे है। इस तरह की बाते सुनकर छोटी बहू सांप को मन ही मन याद करने लगी और तभी सांप वहाँ प्रकट से गया और बोला कि मेरी बहन के आचरण पर संदेह करने की गलती ना करें। छोटी बहू का पति यह सब सुनकर अत्यधिक प्रसन्न हुआ और सर्प का आदर सत्कार किया। तभी से नागपंचमी का त्योहार मनाया जाने लगा और स्त्रियां सांप को भाई मानकर उनकी पूजा करने लगी।
एक अन्य कथा
पुराने कथाओ के अनुसार अर्जुन के पौत्र और राजा परीक्षित के पुत्र जन्मेजय ने सर्पो से बदला लेने और नाग-वंश के विनाश के लिये यज्ञ रखा था ऐसा इसलिए क्योंकि राजा परीक्षित की मृत्यु तक्षक नाम के साप के काटने से हुई थी लेकिन इस यज्ञ को ऋषि जरत्कारु के पुत्र आस्तिक मुनि ने रोका था उन्होने सावन की पंचमी के दिन सांपो को जलने से बचाया था और उन्होनें नागो के जलते शरीर पर दूध की धार डालकर उनको शीतलता प्रदान की थी तभी नागो ने आस्तिक मुनि से बोला था कि पंचमी के दिन जो भी नागो की पूजा करेगा उसका नागदंश की भय नही रहेगा, ऋषि आस्तिक मुनि ने जिस दिन नागों की रक्षा की थी उस दिन श्रावन मास की पंचमी थी तभी से नाग पंचमी का त्योहार मनाने की रिति चली आई।
परम्परा से जुड़ी एक अन्य कथा
इस कथा के अनुसार भोलेनाथ का एक भक्त प्रतिदिन मंदिर जाकर शिव-पूजा किया करता था और नाग देवता को दूध पिलाता था धीरे-धीरे नाग देवता को उस भक्ति से इतना लगाव हो गया कि वो अपना मणि छोड़कर भक्त के पैरो मे लिपट जाता था, एक दिन की बात है सावन के महीने में भक्त अपनी बहन के साथ उसी मंदिर मे गया नाग हमेशा के जैसे भक्त के पैरो मे लिपट गया और भक्त के बहन को लगा की नाग उसके भाई को काट रहा है इसलिए बहन ने नाग को पीट पीटकर मार डाला इसके बाद जब उसके भाई ने नाग की पुरी कहानी सुनायी तो उसकी बहन सुनकर रोने लगी और वहाॅ उपस्थित लोग कहने लगे कि नाग देवता का रुप होते है तुमने उसे मार डाला इसलिए तुम्हें दण्ड अवश्य मिलना चाहिए जबकि ये पाप तुमने अजनजान मे किया है इसलिए भविष्य मे आज के दिन लड़की के जगह गुड़िया को पीटा जाएगा इस प्रकार नाग पंचमी के दिन पीटन की परम्परा की शुरुआत हुई।
नाग पंचमी की पूजा विधि
☸ नाग पंचमी के दिन प्रातः उठ कर स्नान के बाद साफ सुथरे वस्त्र पहनें।
☸ घर के दरवाजे पर पूजा करके गोबर से नाग बनाएं।
☸ नागदेवता से मन ही मन व्रत का संकल्प लें और यदि आप व्रत नही कर सकते तो उन्हें दिल से याद करके प्रणाम करे।
☸ दूध, दही, शहद, घी और चीनी का पंचामृत बनाकर उनकी प्रतिमा पर चढाएं और स्नान कराएं।
☸ इसके पश्चात् मूर्ति पर जल, पुष्प, लड्डू और मालपुए चढ़ाए। इसके बाद कुमकुम, चंदन, माला, धूप, दीया, फल आदि चढाएं।
☸ नाग देवता की आरती करें और शाम की पूजा के पश्चात व्रत खोलकर फलाहार ग्रहण करें।
नाग पंचमी विशेष
☸ नाग पंचमी के दिन खेत में हल चलाना भूमि की खुदाई करना अशुभ माना जाता है क्योंकि नागो को पाताल लोक का स्वामी माना जाता है और माना यह भी जाता है कि सांप भूमि मे रहते है और खेतो की रक्षा करते है इसलिए इस दिन भूमि की खुदाई नहीं करना चाहिए।
☸ नागपंचमी के दिन जीवित सांप की पूजा नही करना चाहिए इसके अलावा नागदेव की प्रतिमा, मिट्टी या धातु से बनी प्रतिमा की पूजा की जाती है।
☸ जिन लोगो की कुण्डली मे राह, केतु या कालसर्प दोष उपस्थित होता है उन्हें नागपंचमी के दिन विशेष रुप से नाग देवता की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से नौकरी मे आ रही दिक्कते परिवार और व्यापार में चल रही समस्या और दोेष से निवारण मिलता है।
☸ पौराणिक कथनों के अनुसार नाग पंचमी के दिन सर्पो को दूध से स्नान कराने और इनके पूजन से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है, इस दिन सपेरो को विशेष रुप से दान दक्षिणा देना शुभ माना जाता है इस दिन कई घरो में प्रवेश द्वार पर नाग चित्र बनाने की परम्परा भी है और लोगो मे मान्यता भी है कि नागदेव की कृपा से उस घर में हमेशा सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
नाग पंचमी के दिन क्यो पीटी जाती है गुड़िया
भारत देश के अन्दर उत्तर प्रदेश में नाग पंचमी के दिन एक परम्परा निभाई जाती है। यहाँ पर इस दिन गुड़िया को पीटी जाता है। इसके पीछे कई कहानियाँ प्रचलित है। एक कथा के अनुसार राजा परीक्षित की मौत तक्षक नाम के काटने से हुई थी कुछ वर्षो बाद तक्षक की चौथी पीढ़ी की कन्या का विवाह राजा परीक्षित की चौथी पीढी मे हुआ और विवाह के तत्पश्चात् कन्या ने अतीत का यह राज अपने सेविका को बता दिया इस तरह बात पूरे नगर मे फैल गई ये बात जब तक्षक के राजा ने सुना तो वो क्रोधित हो गए और उन्होने नगर के सभी स्त्रियो को चौराहे पर इकट्ठा करके उनको कोड़ो से पिटवाकर मार दिया, राजा को इस बात पर गुस्सा आया था कि औरतो के पेट मे कोई बात नही पचती और इसी कारण उनके पीढ़ी से जुडी एक अतीत की बात पूरे साम्राज्य में फैल गया और मान्यता यह है कि तभी से यहाॅ गुड़िया पीटने की परम्परा मनाई जाती है।
नाग पंचमी 2022 शुभ तिथि एवं मुहूर्तः-
नाग पंचमी तिथि प्रारम्भ:- 2 अगस्त 2022 को 05 बजकर 14 मिनट से
नाग पंचमी तिथि समापन:- 3 अगस्त 2022 को 05 बजकर 42 मिनट पर
नाग पंचमी पूजा मुहूर्तः- 2 अगस्त 2022 प्रातः 05 बजकर 42 मिनट से 8 बजकर 24 मिनट तक
मुहूर्त की अवधिः- 02 घंटे 41 मिनट