नाग पंचमी का उत्सव श्रावण मास के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है। नाग पंचमी के दिन शिव भक्त विशेष रूप से नाग देवता की पूजा-अर्चना करते हैं। मंदिरों में नाग देवता का जल से अभिषेक किया जाता है और उन्हें दूध चढ़ाया जाता है। इस दिन शिव भक्त उपवास भी करते हैं। यह त्योहार उन लोगों के लिए विशेष महत्वपूर्ण होता है जिनकी कुंडली में काल सर्प दोष होता है। इस दिन नाग देवता की विधिवत पूजा करने से यह दोष समाप्त हो सकता है। यह त्योहार देशभर में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
नाग पंचमी की पूजा कथा
बहुत समय पहले की बात है एक सेठ जी के सात पुत्र थें उन सबके विवाह हो चुके थें। उनमें से छः पुत्रों के संतान भी हो चुकी थीं सबसे छोटे पुत्र को अब तक कोई संतान नही हुई। जेठानिया बांझ कहकर बहुत ताने देती थीं। एक तो संतान न होने का दुख और उस पर सास, ननद, जंठानी आदि के ताने उसको और भी दुःखी करने लगे। इससे परेशान होकर वह बेचारी रोने लगती उसका पति समझाता की संतान होना होता तो भाग्य के अधीन है। फिर तू क्यों दुःखी होती है। वह कहती सुनते हो सब लोग बांझ -बांझ कह कर मेरी नाक में दम किए हैं। पति बोला दुनिया बकती है बकने दे मै तो कुछ नही कहता, तू बस मेरी ओर ध्यान दे और दुःख को छोड़कर प्रसन्न रहा करो। पति की बात सुनकर उसे कुछ सांत्वना मिलती है पर जब भी कोई ताने देता तो रोने लगती है। इस प्रकार एक दिन नाग पंचमी आ गयी। चौथ की रात को सपने में पांच नाग दिखाई दिए उनमें से एक ने कहा अरे पुत्री कल नागपंचमी हैै। तुम अगर हमारा पूजन करोे तो तुम पुत्र की प्राप्ति होगी। यह सुनकर वह उठ कर बैठ गयी और पति को जगाकर स्वप्न की बात सुनायी। पति ने कहा यह कौन सी बड़ी बात है। पांच नाग दिखाई दिए है तो पांचों की आकृति बनाकर उसका पूजन कर देना। नाग लोग ठंडा भोजन ग्रहण करते हैं इसलिए उन्हें कच्चे दूध से प्रसन्न करना दूसरे दिन उसने ठीक वैसा ही किया । नागों के पूजन से उसे नौ मास के बाद सुंदर पुत्र की प्राप्ति हुई।
नाग पंचमी की दूसरी कथा
किसी राज्य में एक किसान परिवार रहता था किसान के दो पुत्र एक पुत्री थी। एक दिन हल जोतते समय हल से नाग के बच्चे कुचल कर मर गये। नागिन पहले तो विलाप करती रही फिर उसने अपने संतान के हत्यारे से बदला लेने का संकल्प किया। रात्रि के अंधकार में नागिन ने किसान उसकी पत्नी व उनके दोनों बच्चो को काट लिया। अगले दिन प्रातः किसान की पुत्री का काटने के उद्देश्य से नागिन फिर चली तो किसान की कन्या ने उसके आगे दूध का भरा कटोरा रख दिया और हाथ जोड़कर क्षमा मांगने लगी। नागिन ने प्रसन्न होकर उसके माता-पिता वे दोनों भाइयों को जीवित कर दिया। उस दिन श्रावण की शुक्ल पंचमी थी तब से आज तक नागों के कोप से बचने के लिए नागों की पूजा की जाती है।
कालसर्प दोष के निवारण के लिए सर्वश्रेष्ठ दिन है नागपंचमी
ज्योतिषशास्त्र के योग्य ज्योतिषीयों के द्वारा जिन जातकों की कुण्डली में काल सर्प दोष है उन्हें अपने जीवन में कई तरह की अलग-अलग समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यदि आपकी कुण्डली में इस दोष के उत्पन्न होने के तमाम कोशिशों के बावजूद भी कार्य-व्यवसाय में सफलता नही मिल पा रही है, धन हानि की स्थिति उत्पन्न हो रही है, या विवाह में एक के बाद एक अड़चने आती रह रही हैं या फिर ऐसी ही बहुत सी समस्याएं लगी रहती हैं तो ऐसी स्थिति में नाग-पंचमी का अवसर आपके लिए बहुत शुभ होने वाला है। ज्योतिष में काल सर्प जैसे दोषों को बहुत ही खतरनाक दोष की श्रेणी में रखा जाता है ऐसी किसी समस्या को देखते हुए उस समस्या का निवारण जल्द ही करने की सलाह दी जाती है। इसलिए नाग पंचमी के शुभ अवसर पर काल सर्प दोष का निवारण करना सबसे उत्तम माना जाता है। इस दोष की समाप्ति के लिए शिवलिंग पर चाँदी या ताँबे का नाग और नागिन अर्पित करना चाहिए इसके अलावा नदी में चाँदी का नाग-नागिन प्रवाहित करने से भी इस तरह के दोष जल्द ही समाप्त हो जाते हैं साथ ही जातक को इस दोष से मुक्ति भी मिल जाती है।
नागपंचमी के दिन क्या करें और क्या न करें
☸ नागपंचमी वाले दिन यदि संभव हो तो उपवास अवश्य रखें कहा जाता है कि उपवास रखने से सांप आपको कोई भी कष्ट नही पहुँचाते और ना हि काटते हैं।
☸ नागपंचमी के शुभ अवसर पर खेती बिल्कुल न करें क्योंकि ऐसा करने से वहाँ पर रहने वाले साँपों को नुकसान पहुँच सकता है।
☸ नागपंचमी के पवित्र त्योहार में सुई धागे का प्रयोग बिल्कुल न करें ऐसा करना बहुत ही ज्यादा अशुभ माना जाता है।
☸ नागपंचमी के दिन घर में किसी भी लोहे की चीजों का प्रयोग करके भोजन न बनाएं ऐसा करने से घर में अनचाही परेशानियाँ आने लगती हैं।
☸ नागपंचमी के दिन नागदेवता की पूजा करके उन्हें दूध, मिठाई और पुष्प चढ़ाकर भगवान शिव जी के मंत्रों का जाप करना शुभ माना जाता है।
☸ जिन जातकों की कुण्डली में राहु और केतु अशुभ स्थिति में हैं या भारी हैं तो ऐसे जातक को इस दिन नाग देवता की पूजा अवश्य करनी चाहिए ऐसा करने से कुण्डली में चल रही राहु -केतु से सम्बन्धित सारी परेशानियाँ समाप्त हो जाती हैं।
☸ नागपंचमी के दिन नाग पंचमी के मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए साथ ही शिवलिंग या नागदेवता पर पीतल के पात्र से दूध चढ़ाना चाहिए। ऐसा करने से शिव जी का आशीर्वाद हमेशा आप पर बना रहेगा।
☸ नागपंचमी के दिन पीपल या किसी भी वृक्ष को नही काटना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से यहाँ छिपे हुए नागदेवता घायल हो सकते हैं जिसका पाप आपको अवश्य लग सकता है।
☸ नागपंचमी के दिन किसी को भी उल्टा-सीधा या अपशब्द कहने से बचना चाहिए और नाहि किसी से बेवजह का लड़ाई झगड़ा करना चाहिए ऐसा करने से आपके घर में नकारात्मक विचारों का समावेश होगा।
☸ सबसे आखिरी और अंतिम बात नागपंचमी के पवित्र त्योहार में माँस, मदिरा या शराब पीने से परहेज करना चाहिए ।
नाग पंचमी के मंत्र
ॐ भुजंगेशाय विद्महे, सर्पराजाय धीमहि, तन्नो नागरू प्रचोदयात्।
सर्वे नागाः प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले।
ये च हेलिमरीचिस्था ये न्तरे दिवि संस्थितारू।।
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिनः।
ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नमरू।।
अनंत वासुकी शेषं पद्मनाभं च मंगलम्शं खपालं ध्रतराष्ट्रकंच तक्षकं कालियं तथा।।
ॐ हँ जू सरू श्री नागदेवतायेनमोनमः।।
ॐ श्री भीलट देवाय नमः।।
नाग पंचमी का धार्मिक महत्व
नागपंचमी के त्योहार की धार्मिक मान्यताओं की बात करें तो धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अमृत सहित नवरत्नों को प्राप्त करने के लिए जब सभी देवता और दानवों ने समुद्र मंथन किया तब इस पूरी सृष्टि के कल्याण के लिए वासुकी नामक नाग देव ने मथानी की रस्सी के रूप में कार्य किया था। इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि इस दिन नाग जाति की उत्पत्ति हुई थी। भगवान शिव जी के गले मंे नाग देवता वासुकि ही लिपटे हुए हैं। अतः धार्मिक मान्यता के अनुसार नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा आराधना करने से सभी भक्तों को शिव जी का पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त होता है।
नाग पंचमी की तिथि पर मुख्य रूप से आठ देवताओं की पूजा का विधान होता है इन अष्टनागों के नाम वासुकि, तक्षक, कालिया, मणिभद्रक, धृतराष्ट्र, ऐरावत, कार्कोटक और धनंजय इन आठ देवताओं की पूजा करने से मनुष्य को अपने हर तरह के पापों से मुक्ति मिलती है।
मान्यता के अनुसार नागपंचमी के दिन धन की देवी माँ लक्ष्मी की रक्षा नाग देवता ही करते हैं साथ ही नाग पंचमी के दिन श्रीया, नाग और ब्रह्म अर्थात तीनों का ही समूह शिवलिंग की उपासना करने से सभी भक्तों की मनोकामनाएं जल्द ही पूर्ण हो जाती हैं।
नाग पंचमी शुभ मुहूर्त
नाग पंचमी तिथि प्रारम्भः- 20 अगस्त 2023 को रात्रि 12ः21 मिनट से
नाग पंचमी तिथि समाप्तिः- 21 अगस्त को रात्रि 02ः00 मिनट तक
नाग पंचमी पूजा मुहूर्तः- प्रातः 05ः58 से प्रातः 08ः35 तक
अवधिः- 02 घण्टे 37 मिनट