अपरा एकादशी, Apara Ekadashi

हिन्दू धर्म में ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी तिथि को अपरा एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह एकादशी  भी भगवान श्री विष्णु जी को ही समर्पित है। कुछ जगहों पर अपरा एकादशी को अचला तथा भद्र काली एकादशी भी कहा जाता है। अपरा एकादशी के दिन भगवान श्री विष्णु जी के पाँचवे अवतार यानि वामन ऋषि की पूजा-अर्चना की जाती है। पापों का प्रायश्चित करने के लिए इस एकादशी का व्रत रखना सर्वोत्तम माना जाता है।

अपरा एकादशी का महत्व

सभी पड़ने वाली एकादशी तिथियों में से अपरा एकादशी का भी अपना एक विशेष महत्व है। इस दिन श्रद्धापूर्वक व्रत रखन से मनुष्यों को अपने अतीत और वर्तमान के पापों से छुटकारा प्राप्त होता है तथा व्यक्ति पापों को छोड़कर एक सकारात्मक मार्ग प्राप्त कर सकता है।

इस एकादशी का व्रत करने तथा एकादशी के व्रत का पालन करने से सभी भक्त अपने जन्म और मरण के मृत्यु चक्र से मुक्त हो जाते हैं तथा मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।

अपरा एकादशी का व्रत करने से सभी भक्तों को जीवन में धन और सफलता प्राप्त करने में मदद मिलती है।

विशेष रूप से अपरा एकादशी पापों का प्रायश्चित करने के लिए विशेष महत्व रखता है।

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अपरा एकादशी, Apara Ekadashi 1अपरा एकादशी, Apara Ekadashi 2

अपरा एकादशी की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, महीध्वज नाम का एक धर्मात्मा राजा था, लेकिन उसका छोटा भाई अधर्मी और पापी था। राजा के छोटे भाई ने षड्यंत्र रचकर महीध्वज की हत्या कर दी और उसके शव को एक पीपल के वृक्ष के नीचे दबा दिया। आकस्मिक मृत्यु के कारण राजा की आत्मा उस पीपल के वृक्ष पर भटकने लगी और राहगीरों को परेशान करने लगी।

एक दिन, एक तपस्वी साधु उस पीपल के वृक्ष के पास से गुजर रहा था। राजा की आत्मा ने साधु को डराने की कोशिश की, लेकिन साधु ने अपनी शक्ति से आत्मा को वश में कर लिया और उससे उसके भटकने का कारण पूछा। राजा ने अपनी पूरी कहानी बताई। इसे सुनकर साधु ने उसे परलोक का ज्ञान दिया और उसे मुक्ति दिलाने का निश्चय किया।

ज्येष्ठ माह की एकादशी तिथि थी, साधु ने अपरा एकादशी का व्रत किया और व्रत के बाद राजा को एकादशी का दान-पुण्य अर्पित किया। इस पुण्य के प्रभाव से राजा की आत्मा को प्रेत योनि से मुक्ति मिली और उसे स्वर्ग में स्थान प्राप्त हुआ।

अपरा एकादशी पूजा विधि तथा अनुष्ठान

☸ अपरा एकादशी तिथि के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नानादि कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

☸ पूजा स्थल की अच्छे से साफ-सफाई करके भगवान विष्णु जी की तस्वीर स्थापित करें।

☸ भगवान विष्णु जी की पूजा फल, फूल, अगरबत्ती, धूप, दीपक, अक्षत तथा तुलसी की पत्ती से करें।

☸ उसके बाद विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना अत्यधिक शुभ होता है।

☸ अंत में भगवान विष्णु जी की आरती और उनके मंत्रों का जाप करके अपनी पूजा समाप्त करें और प्रसाद वितरित करें।

☸ उसके बाद दान-दक्षिणा करना भोजन करना तथा वस्त्र इत्यादि का दान करना अत्यधिक शुभ माना जाता है।

अपरा एकादशी शुभ मुहूर्त

अपरा एकादशी 02 जून 2024 को रविवार के दिन मनाया जायेगा।
एकादशी तिथि प्रारम्भः- 02 जून 2024, सुबह 05ः04 मिनट से,
एकादशी तिथि समाप्तः- 03 जून 2024, सुबह 02ः41 मिनट तक।
पारण करने का समयः- सुबह 08ः05 मिनट से, सुबह 08ः10 मिनट तक।

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