आइए हम जानते है क्या नवग्रह की पूजा और उसकी पूजा विधि: नवग्रह शांति अनुष्ठान

ज्योतिष के अनुसार ग्रहों की दशा ग्रहों की चाल का प्रभाव जातक के उपर पड़ता है और जातक के जन्मतिथि, जन्मस्थान और जन्म समय के आधार पर ही उसकी कुण्डली बनती है कुण्डली मे 09 ग्रहों का उल्लेख होता है। उसके आधार पर ही तय किया जाता है कि जातक भविष्य मे कैसा होगा उसकी शिक्षा कैसी होगी वो सरकारी नौकरी करेगा या अपना व्यवसाय करेगा आदि।
सौरमण्डल मे 09 ग्रह सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु व केतु उपस्थित है, विज्ञान राहु व केतु को ग्रह नही मानता है लेकिन हमारा ज्योतिष सभी नौ ग्रहो को मानता है।
यदि किसी जातक के कुण्डली में कोई ग्रह कमजोर हो या दशा के अनुसार उसका विपरीत प्रभाव जातक पर पड़ रहा हो तो उसे शांत करने का उपाय भी ज्योतिष में उपलब्ध है।

आइए हम जानते है क्या नवग्रह की पूजा और उसकी पूजा विधि

नवग्रह की पूजाः- हमारे दैनिक जीवन मे जो भी उतार-चढाव आते है। वो ग्रहों के चाल के कारण होते हंै, इस परेशानियों से छुटकारा पाने और क्रोधित ग्रह को शांत करने के लिए हमारे पौराणिक ग्रंथ मे 09 ग्रहों की पूजा की विधि है। प्रत्येक राशि के प्रत्येक ग्रह मे प्रवेश करने के गति को ग्रहों की चाल कहा जाता है। जब कोई राशि एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है तो वो अन्य राशियों पर भी अपना सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव डालता है सभी जातक में सभी ग्रह के गुण उपस्थित होते है। जैसे- चंद्र से सफलता सूर्य से स्वास्थ्य और मंगल से समृद्धि इस प्रकार सभी ग्रह के सूचक होते है। जो जातक के जीवन को प्रभावित करते है मंत्रों का उच्चारण करने के बाद ग्रहों की सही स्थापना की जा सकती है। कमजोर ग्रहों के बल प्राप्त करने के उपाय को नवग्रह पूजा या नवग्रह पूजन कहा जाता है।

नवग्रह पूजन विधिः- इस पूजा के लिए सबसे पहले ग्रहो का आह्वान किया जाता है और तत्पश्चात् ग्रहों की स्थापना भी की जाती है। उसके बाद बाँए हाथ में अक्षत लेकर मंत्र का उच्चारण किया जाता है और दाएं हाथ से अक्षत अर्पित करके ग्रहों का आह्वान किया जाता है। इसी तरह सभी ग्रहों का आह्वान करके उनका स्थापना किया जाता है। तत्पश्चात् अक्षत लेकर मंत्र उच्चारण करते हुए नवग्रह मंडल मे प्रतिष्ठा के लिए अर्पित करना चाहिए और मंत्र उच्चारण करते हुए नवग्रहों की पूजा करना चाहिए।

नवग्रह हवन विधिः-

रविदेव हवन

हवन सामग्री- गाय का घी और अर्क की लकड़ी
दिशा पूर्वा
मुद्रा हंसी
संख्या 108
मंत्रः- सूर्य ग्रह की शान्ति के लिए जातक को निम्नलिखित मंत्रों मे से किसी एक का जाप करना चाहिए।
वैदिक मंत्रः– . ऊँ आ कृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतम्मत्र्यञय हिरण्ययेन सविता रथेना देवो यति भुवनानि पश्यन्।
2. सूर्य गायत्री मंत्रः- ऊँ आदित्याय विदृमहे प्रभाकराय धीमहि तन्नो सूर्यः प्रचोदयात्।
3. एकाक्षरी सूर्य बीज मंत्रः- ऊँ श्रीं सूर्याय नमः ।।
4. तांत्रिक सूर्य मंत्रः- ऊँ हां हां हां सः सूर्याय नमः ।।
5. सूर्य नमस्कार मंत्रः- ऊं जपाकुसुमसंकाशं काश्यपेयं महाधुतिम् तमोडरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोस्मि दिवाकरम् ।।

सोमदेव/चंद्र हवन

हवन सामग्रीः- गाय का शुद्ध घी तथा फ्लाश की लकड़ी
दिशाः- पूर्व
मुद्राः हंसी
संख्याः- 108 बार
मंत्रः- ऊँ गुरुजी सोमदेव मन धरी बा शून्य। निर्मल काया पाप न पुण्य।। शशि-हर बरसे अम्बर झरे। सोमदेव गुण चेता करें। सोमदेव जाति का माली। शुक्ल वर्णी गोत्र अत्री।। ऊँ जमुना तीर स्थापना थाप लो। कन्हरें पुष्प् शिव-शंकर की पूजा करो।। सत फुरै सत वाचा फुरै श्रीनाथजी के सिंहासन ऊपर पान फूल की पूजा चढ़ै। हमारे आसन पर ऋद्धि-सिद्धि धरै, भण्डार भरे। 7 बार, 27 नक्षत्र, 9 ग्रह, 15 तिथि। मंगल रवि शुक्र शनि। बुध-गुरु राहु-केतु सुख करै दुःख हरै। खाली वाचा कभी ना पड़ै।। ऊँ सोम मंत्र गायत्री जाप। रक्षा करे श्री शम्भूजती गुरु गोरखनाथ। नमो नमः स्वाहा।

मंगलदेव हवन

हवन सामग्रीः- गाय का शुद्ध देसी घी और खैर की लकड़ी
दिशाः- पुर्व
मुद्राः- हंसी
संख्याः- 108 बार
मंत्रः- मंगल ग्रह के शांति के लिए जातक को निम्नलिखित मंत्र मेे से किसी एक का जाप करना चाहिए।
ऊँ अग्निर्मूद्र्धादिवः ककुत्पतिः पृथिब्याअयम् अपाच्टरेत्यसि जिन्वति।। भौमाय नमः।।
मंगल गायत्री मंत्रः- ऊँ अंगारकाय विदृमहेशक्तिहस्ताय धीमहि तन्नो भौमः प्रचोदयात्।।
एकाक्षरी मंगल बीज मंत्रः- ऊँ अं अंगारकाय नमः ।।
तंत्रिक मंगल मंत्रः- ऊँ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः।।
मंगल नमस्कार मंत्रः- ऊँ हीं धरणीगर्भसंभूतं विद्युत्कान्ति समप्रभम्।
कुमारं शक्तिहस्तं तं मंगल प्रणमाग्यहम्।।

बुधग्रह हवन

हवन सामग्रीः- गाय का शुद्ध घी तथा अपामार्ग की लकड़ी
दिशाः- पूर्व
मुद्राः- हंसी
संख्याः- 108 बार
बुध मंत्रः– बुधकृत पीड़ा से ग्रस्त व्यक्ति को निम्नलिखित मंत्र से किसी एक या सभी का जाप करना चाहिए।
1. बुध वैदिक मंत्रः- ऊँ उदृबुध्यस्वाग्ने प्रतिज्ञागृहि त्वमिष्टा पूर्ते सुजेथामयं च अस्मिनृत्सथस्थेैष्युक्तरस्मिन् विश्व देवा यजमानश्च सदित्
2. बुध गायत्री मंत्रः- ऊँ सौम्यरुपाय विदृमहे वाणेशाय धीमहिं तन्नो सौम्यः प्रचोदयात्।।
3. बुध तांत्रिक मंत्रः- ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः।।
4. बुध एकाक्षरी बीज मंत्रः- ऊँ बुं बुधाय नमः।।
5. बुध नमस्कार मंत्रः- ऊँ प्रियंगकुलिका श्यामं रुपेणाप्रतिमं बुधम्। सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम्।।

 बृहस्पति हवन

हवन सामग्रीः- गाय का शुद्ध घी और पीपल की लकड़ी
दिशाः- पूर्व
मुद्राः- हंसी
संख्याः- 108 बार
गुरु मंत्रः- ऊँ बृहस्पते अतियदयों अर्हाद्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु। यद्वीदयच्छवसप्रजातवदस्मासु द्रविणं धेहिं चित्रम्।।

 शुक्रदेव हवन

हवन सामग्रीः- गाय का शुद्ध घी और गूलर की लकड़ी
दिशाः– पूर्व
मुद्राः- हंसी
संख्याः- 108 बार
शुक्र मंत्रः- शुक्र ग्रह के शान्ति के लिए जातक को प्रातः काल निम्नलिखित मंत्रो मे से किसी एक का या फिर सभी का जाप करना चाहिए।
1. शुक्र वैदिक मंत्रः- ऊँ अन्नात् परिसुतों रसं ब्रहाणा व्यापिबत्क्षत्रम्वयः सोमं प्रजापतिः। ऋतेन सत्यमिन्द्रियं विपा ऊँ शुक्रमन्धसइन्द्रस्येन्द्रियमिद्ं पयोेमृतम्मधु।।
2. शुक्र गायत्री मंत्रः-ऊँ भृगुजाय विदृमहे दिव्यदेहाय धीमहि तन्नो शुक्रः प्रचोदयात्।।
3. शुक्र एकाक्षरी बीज मंत्रः- ऊँ शुं शुकाय नमः ।।
4. तान्त्रिक शुक्र मंत्रः- ऊँ द्रां द्रीं द्रों सः शुक्राय नमः।।
5. शुक्र नमस्कार मंत्रः- ऊँ हीं हिमकुन्दमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम्। सर्व शास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम् ।।

शनिदेव हवन

हवन सामग्रीः- गाय का शुद्ध घी तथा शमी की लकड़ी
दिशाः– पूर्व
मुद्राः- हंसी
संख्याः- 108
मंत्रः- निम्नलिखित शनि मंत्रो मे से किसी एक का जाप करें।
1. वैदिक मंत्रः- ऊँ शन्नो देवीरभिष्टयेआपो भवन्तु पीतये। शंय्योरभिस्त्रवन्तु नः।।
2. शनि गायत्री मंत्रः- ऊँ भगभवाय विदृमहे मृत्यु रुपाय धीमहि तन्नौ शनैश्चरः प्रचोदयात्।।
3. शनि एकाक्षरी बीज मंत्रः- ऊँ शं शनैश्चराय नमः ।
4. तांत्रिक शनि मंत्रः- ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः।
5. शनि नमस्कार मंत्रः-
(क) नीलांजन समाभासं रविपुत्र यमाग्रजम।
छाया मार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्यरम्।।
(ख )सूर्यपुत्रो दीर्घ देही विशालाक्षः शिवप्रियः।
मन्दचारः प्रसन्नात्मा पीडां दहतु मे शनिः।।

राहु ग्रह हवन

हवन सामग्रीः- गाय की घी तथा दूर्वा की लकड़ी
दिशाः- पूर्व
मुद्राः- हंसी
संख्याः- 108 बार
राहु मंत्रः- राहु पीड़ित जातक को राहु सम्बन्धित निम्नलिखित मंत्रों से किसी एक जाप करना चाहिए।
1. राहु वैदिक मंत्रः- ऊँ कयानश्चित्रआभुव दूती सदावृधः सखा। कथा शचिष्ठाया वृता।।
2. राहु गायत्री मंत्रः- ऊँ शिरारुपाय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्नो राहुः प्रचोदयात।।
3. राहु एकाक्षरी बीज मंत्रः- ऊँ रां राहवे नमः।।
4. राहु तांत्रिक मंत्रः- ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः।।
5. राहु नमस्कार मंत्रः- ऊँ हीं अर्धकायं महावीर्य चन्द्रादित्य विमर्दनम्। सिहिंकागर्भसंभूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम्।।

केतु ग्रह हवन

हवन सामग्रीः- गाय का शुद्ध घी तथा कूश की लकड़ी
दिशाः- पूर्व
मुद्राः- हंसी
संख्या-108
केतु मंत्रः- केतु ग्रह से पीड़ित जातक को केतु सम्बन्धित निम्नलिखित मंत्रों मे से किसी एक का जाप करना चाहिए।
1. केतु वैदिक मंत्रः- ऊँ केतुं कृण्वन्न केतवे पेशोमय्र्या अपेशसे समुषदृभिरजा यथाः।
2. केतु गायत्री मंत्रः- ऊँ पदुमपुत्राय विदृमहे अमृतेशाय धीमहि तन्नों केतुः प्रचोदयात्।
3. केतु एकाक्षरी बीज मंत्रः- ऊँ कें केतवे नमः
4. केतु तांत्रिक मंत्रः- ऊँ स्त्रां स्त्रीं स्त्रों सः केतवे नमः।
5. केतु नमस्कार मंत्रः- ऊँ फ्लाशपुष्पसंकाशं तारकात् ग्रहमस्तकम्। रौद्र रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाग्यहम्।।

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