बसंत पंचमी का त्यौहार माघ महीने के पंचमी तिथि को मनाया जाता है, यह त्यौहार ज्ञान की देवी माँ सरस्वती की पूजा का दिन है। इसलिए इसे ‘सरस्वती पूजन’ के नाम से भी जाना जाता है, माता सरस्वती को ज्ञान वाणी बुद्धि तथा विवेक की प्रेरणा माना जाता है, पौराणिक कथाओं मे प्रचलित है कि माँ सरस्वती के प्रेरणा से ही राम जी ने रावण का वध किया था।
माँ सरस्वती का प्राकटयोत्सवः-
माता सरस्वती विद्या, बुद्धि, ज्ञान और वाणी की देवी है, सृष्टिकाल में अद्याशक्ति नें स्वयं को पांच भागो में विभक्त कर लिया था वे राधा, पार्वती, सावित्री, दुर्गा और सरस्वती के रुप में भगवान श्री कृष्ण के विभिन्न अंगो से प्रकट हुई थी, जो देवी श्री कृष्ण के कण्ठ से उत्पन्न हुई थी उनका नाम सरस्वती पड़ा, माता सरस्वती के और नाम भी है जैसे वाकृ, वाणी, गी, गिरा, भाषा, शारदा, श्रीश्वरी, वागीश्वरी, ब्राहिम, गौ, सोमलता, वाग्देवी आदि।
ऋग्वेद में यह बताया गया है कि वाग्देवी सौम्य गुणो की दात्री और सभी देवो की रक्षिका है, सृष्टि के निर्माण में भी वाग्देवी का कार्य है माता के अनुग्रह से मनुष्य संसार के सभी सुख को भोगता है तथा ज्ञानी, विज्ञानी, मेधावी, महर्षि और ब्रहार्षि हो जाता है।
बसंत पंचमी व्रत कथाः-
लोक कथा के अनुसार एक बार ब्रह्मा जी धरती पर विचरण के लिए आये तब उन्होने मनुष्यों और जीव-जन्तुओं को देखा जो नीरस और शांत प्रतीत हो रहे थे। यह देखकर ब्रह्मा जी को कुछ कमी महसूस हुई है उन्होने अपने कमण्डल से जल निकालकर पृथ्वी पर छिड़क दिया, जल छिड़कने के पश्चात् 04 भुजाओं वाली एक सुन्दर स्त्री प्रकट हुई जिसके हाथ मे वीणा, माला, पुस्तक तथा वर मुद्रा थी, भगवान ब्रह्मा जी ने उन्हें ज्ञान की देवी सरस्वती नाम से पुकारा, ब्रह्मा जी की आज्ञा से सरस्वती जी ने वीणा के तार झंकृत किए जिससे सभी प्राणी बोलने लग गए नदियों में कलाकल की आवाज आने लगी, हवा में भी संगीत उत्पन्न हो गया तभी से बुद्धि और संगीत की देवी के रुप में माँ सरस्वती की पूजा होने लगी।
एक अन्य कथाः-
पौराणिक कथा में बताया गया है कि एक बार माँ सरस्वती ने भी कृष्ण जी को देख लिया था और वो उन पर मोहित हो गई थी तथा सरस्वती जी ने कृष्ण जी को अपने पति के रुप में पाने को सोचा परन्तु जब श्री कृष्ण जी को इस बात का पता चला तो उन्होने देवी सरस्वती को बताया कि वो (श्री कृष्ण) केवल राधा रानी को समर्पित है परन्तु साथ ही भगवान कृष्ण ने देवी सरस्वती को आशीर्वाद दिया कि आज से माघ के शुक्ल पक्ष के पंचमी को समस्त विश्व आपकी पूजा विद्या व ज्ञान की देवी के रुप में करेगा, तभी से बसंत पंचमी के दिन माँ सरस्वती की पूजा लोग करते आ रहे है।
अन्य विद्वानों के अनुसार ज्ञान की देवी माँ सरस्वती का जन्म इसी दिन हुआ था
बसंत पंचमी पूजा का महत्वः-
ग्रंथो के अनुसार भगवान श्री मन नारायण ने वाल्मीकि जी को सरस्वती का मंत्र बताया था जिसके जप से उनमें कवित्व शक्ति उत्पन्न हुई थी महर्षि वाल्मीकि, व्यास, वशिष्ठ, विश्वामित्र तथा शौनक जैसे ऋषि माता सरस्वती के पूजा आराधना से ही कृतार्थ हुए माता सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए तथा उनसे इच्छानुसार वरदान प्राप्त करने के लिए विश्व विजय नामक सरस्वती कवच पाठ किया जाता है। माँ सरस्वती की उपासना काली के रुप में करने के बाद कवि कुलगुरु कालिदास ने ख्याति पाई।
गोस्वामी जी के अनुसार देवी गंगा और सरस्वती दोनो एक ही समान पवित्र है, एक पापहारिणी तथा दूसरी अभिषेक हारिणी है, विद्या को सभी धनों में मुख्य माना गया है।
माँ सरस्वती के व्रतोपासको के लिए नियमः-
☸ माँ सरस्वती के भक्तों को वेद, पुराण, रामायण, गीता आदि ग्रंथों का आदर करना चाहिए उन्हें देवी की वयाऽमयी मूर्ति मानते हुए पवित्र स्थान पर रखना चाहिए, माता के मूर्ति को अपवित्र अवस्था में स्पर्श नही करना चाहिए तथा अनादर से फेकना नही चाहिए।
☸ माँ के मूर्ति को काष्ठ फलक पर ही रखना चाहिए नियमपूर्वक प्रातः काल उठकर देवी सरस्वती का ध्यान करना चाहिए।
☸ विद्यार्थियों को तो विशेष रुप से सरस्वती व्रत का अवश्य ही पालन करना चाहिए।
बसंत पंचमी पूजा विधिः-
☸ बसंत पंचमी के दिन प्रातः काल स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ पीले या सफेद रंग का वस्त्र धारण करे तत्पश्चात सरस्वती पूजा का संकल्प लें।
☸ पूजा स्थान पर माँ सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित कर दें।
☸ प्रथम पूज्य गणेश जी को माना जाता है तो सर्वप्रथम उनको फूल, अक्षत, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित कर पूजा करें।
☸ तत्पश्चात माँ सरस्वती को गंगाजल से स्नान कराए और उन्हें पीले वस्त्र धारण कराए इसके पश्चात पीले फूल, अक्षत, सफेद चंदन या पीले रंग की रोली, पीला गुलाल, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें माँ शारदा को गेंदे के फूल की माला पहनाएं।
☸ माता सरस्वती को बेसन के लड्डु या फिर कोई दूसरी पीले रंग के मिठाई का भोग लगाएं आप मालपुआ, सफेद बर्फी या खीर का भी भोग लगा सकते है।
☸ इसके बाद सरस्वती वंदना एवं मंत्र से माँ सरस्वती की पूजा करें।
☸ अन्त में सरस्वती पूजा का हवन करते हुए, हवन कुण्ड बनाकर हवन सामग्री तैयार कर लें और “ओम श्री सरस्वत्यै नमः स्वाहाः ” मंत्र की एक माला का जाप करते हुए हवन करे तथा माँ सरस्वती की आरती भी करें।
सरस्वती पूजा में ध्यान देने वाली बातेंः-
☸ सरस्वती पूजा के दिन अगर सम्भव हो तो पीले वस्त्र धारण करें यह शुभ माना जाता है।
☸ छात्रों को सरस्वती पूजा के दिन पुस्तकों, कलम, पेंसिल आदि का भी पूजा करनी चाहिए।
☸जो लोग कला एवं संगीत से जुड़े हुए उनको इस दिन माँ सरस्वती का ध्यान करके अपनी कला का अभ्यास करना चाहिए।
बसंत पंचमी तिथि एवं शुभ मुहूर्तः-
बसंत पंचमी का त्यौहार 26 जनवरी दिन गुरुवार को मनाया जायेगा पंचमी तिथि का आरम्भ 25 जनवरी 2023 को दोपहर 12ः34 से आरम्भ होगा तथा 26 जनवरी को प्रातः 10ः28 पर समाप्त होगा।